गर्मी के मौसम में जब तापमान बढ़ने लगता है तो उसका असर स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। इस मौसम में सिरदर्द की समस्या होना एक आम बात है। वहीं माइग्रेन पीड़ित व्यक्ति को तो इस मौसम में काफी कष्ट झेलना पड़ता है। अक्सर देखने में आता है कि सिरदर्द की समस्या होने पर व्यक्ति दवाई का सेवन करता है। लेकिन अगर आप चाहें तो कुछ योगासनों के जरिए भी सिरदर्द व माइग्रेन की समस्या को आसानी से दूर कर सकते हैं। तो चलिए जानते हैं इन योगासनों के बारे में-
सेतुबंधासन
जब इस आसन का अभ्यास किया जाता है तो शरीर मंे खासतौर से मस्तिष्क में रक्त का प्रवाह बेहतर तरीके से होता है, जिससे सिरदर्द की समस्या से भी आराम मिलता है। इस आसन का अभ्यास करने के लिए पहले पीठ के बल लेट जाएँ। अपने घुटनो को मोड़ लें। घुटनो और पैरों को एक सीध में रखते हुए, दोनों पैरों हल्का सा फैला ले। इस दौरान आपकी हथेलियाँ जमीन पर रहनी चाहिए। अब साँस लेते हुए, धीरे से अपनी पीठ के निचले, मध्य और फिर सबसे ऊपरी हिस्से को जमीन से उठाएँ। धीरे से अपने कन्धों को अंदर की ओर लें। बिना ठोड़ी को हिलाये अपनी छाती को अपनी ठोड़ी के साथ लगाएँ और अपने कन्धों, हाथों व पैरों को अपने वजन का सहारा दें। शरीर के निचले हिस्से को इस दौरान स्थिर रखें। दोनों जंघा इस दौरान एक साथ रहेंगी। चाहें तो इस दौरान आप अपने हाथों को जमीन पर दबाते हुए शरीर के ऊपरी हिस्से को उठा सकते हैं। अपनी कमर को अपने हाथों द्वारा सहारा भी दे सकते हैं। कुछ क्षण इस अवस्था में रूकने के बाद प्रारंभिक स्थिति में लौट आएं।
बालासन
अगर तनाव के कारण आपको सिर में दर्द की परेशानी है तो इस आसन का अभ्यास करना आपके लिए लाभदायक रहेगा। इस आसन का अभ्यास करने के लिए सबसे पहले फर्श पर घुटनों के बल बैठ जाएं। इस दौरान आपका पंजा बाहर की तरफ होना चाहिए। अब कमर को आगे की तरफ लाते हुए हाथ को बिल्कलु सीधा रखें। आगे की तरफ झुकते समय आपका माथा फर्श से टच होना चाहिए। इस पोजीशन में 10 गिनने तक रहें। उसके बाद धीरे से सांस छोड़ते हुए सामान्य स्थिति में वापिस लौट आएं।
पश्चिमोत्तानासन
सिरदर्द की समस्या को दूर करने में यह आसन बेहद ही प्रभावकारी माना गया है। अगर नियमित रूप से इस आसन का अभ्यास किया जाए तो तनाव को काफी हद तक दूर किया जा सकता है। इतना ही नहीं, क्रोध को दूर करते हुए मन को शांति एवम प्रसन्न रखता है। इस आसन को करने से गुस्सा नियंत्रित होता हैं। इस आसन का अभ्यास करने के लिए सबसे पहले आप जमीन पर बैठ जाएं। अब आप दोनों पैरों को सामने फैलाएं। पीठ की पेशियों को ढीला छोड़ दें। सांस लेते हुए अपने हाथों को ऊपर लेकर जाएं। फिर सांस छोड़ते हुए आगे की ओर झुके। धीरे धीरे सांस लें, फिर धीरे धीरे सांस छोड़े। अपने हिसाब से इस अभ्यास को धारण करें। धीरे धीरे इस की अवधि को बढ़ाते रहे। यह एक चक्र हुआ। इस तरह से आप 3 से 5 चक्र करें।
विपरीतकर्णी आसन
लेटकर किए जाने वाले इस आसन में जब शरीर उल्टा हो जाता है तो सिर की तरफ रक्त का प्रवाह बेहतर होता है, जिसके कारण सिरदर्द की समस्या से राहत मिलती है। इस आसन का अभ्यास करने के लिए पीठ के बल लेटकर दोनों पैरों को मिलाकर एड़ी-पंजे आपस में मिलाएं। साथ ही हाथ बगल में, हाथों की हथेलियाँ जमीन के ऊपर और गर्दन सीधी रखें। धीरे-धीरे दोनों पैरों को 30 डिग्री के कोण पर पहुँचाएं। 30 डिग्री पर पहुँचाने के बाद कुछ सेकंड रुकते हैं, फिर पैरों को 45 डिग्री कोण पर ले जाते हैं, यहाँ पर कुछ सेकंड रुकते हैं। उसके बाद फिर 90 डिग्री कोण पर पहुँचने के बाद दोनों हाथों को जमीन पर प्रेस करने के बाद नितंब को धीरे-धीरे उठाते हुए पैरों को पीछे ले जाते हैं, ठीक नितंब की सीध में रखते हैं।दोनों हाथ नितंब पर रखते हैं और पैरों को सीधा कर देते हैं।
शवासन
शवासन तनाव और दर्द को दूर करने के लिए बहुत अच्छा आसन माना गया है। इस आसन का अभ्यास करते समय शरीर की स्थिति कुछ ऐसी होती है, जैसे व्यक्ति सो रहा हो। इसलिए रिलैक्स होने के लिए इस आसन का अभ्यास किया जा सकता है। इस आसन का अभ्यास करने के लिए किसी शांत जगह पर पीठ के बल लेट जाएं। दोनों हाथों को शरीर से कम से कम 5 इंच की दूरी पर करें। दोनों पैरों के बीच में भी कम से कम 1 फुट की दूरी रखें। हथेलियों को आसमान की तरफ रखें और हाथों को ढ़ीला छोड़ दें। शरीर को ढ़ीला छोड़ दें। आंखों को बंद कर लें। अब हल्की-हल्की सांस लें। पूरा ध्यान अब अपनी सांसों पर केंद्रित करें। कुछ ही देर में आप स्वयं को बेहद रिलैक्स महसूस करेंगे।