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बेटी की चित्कार

14 जुलाई 2019

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सपनें में भी सहम गयी वंदना सुन अपनी बेटी की चित्कार मानों पिंकी झकझोर रही है, कुछ समय पहले एक राक्षने दबोच लिया था स्कूल जाती हुई पिंकी को, ओर मसल दिया था मासूम कली को..! वंदना कुछ नहीं कर पाई थी, अभी तक न्याय नहीं मिला तो सपने में माँ से मानों असंख्य सवालों की गठरी खोल माँ से पूछ रही थी, उठो ना माँ पूछो तो सही उस भेड़िये की अंतरात्मा को क्या भूल सकता है वो उस काली अंधेरी रात को मेरे गूँगे से चित्कार को एक बेबस गुड़िया लाचार को..! मैं क्रुर पंजो से निबट रही थी जूझ रही थी नाखूनों की चुभन से उठते शूल से क्या इत्तू सी भी यातना मेरी नज़र ना आयी थी उस ज़ालिम को उठो ना माँ देखो तो सही ये खून से लथपथ गुप्तांग मेरे माँ दवा लगा दो दुख रहा है, टूट रहा हर एक अंग..! माँ पूछो ना उस अंकल को काँपती नहीं क्या रुह उसकी रात के सन्नाटे में कभी याद आती है जब-जब मेरी बेबसी क्या चैन की नींद वो सो सकते है,नोचकर एक मासूम सी कली..! क्या बंद आँखों के भीतर कभी झांकता नहीं चेहरा मेरा हाथ फैलाकर इंसाफ मांगता..! माँ पूछो ना उस पापी से क्या मिला मेरी बलि चढ़ाकर,चंद पलों की हवस बूझाकर रोंद दिया मेरे वजूद को..! बस इतना सा पूछ लो ना माँ खून का रंग तो धो लिया रुह पे पड़े मेरे आँसूओं के बोझ को हटा पाएगा वो..! सपनें में भी हिल गई वंदना क्या-क्या सहा होगा मेरी बेटी ने की इतने दर्द से कराह रही है, बेटी की फ़रियाद ने, तड़प ने नींद उड़ा दी, नींद में भी आँखों से टपक पड़े आँसू सुनकर बेटी की चित्कार को, कभी किसीका बुरा ना चाहने वाली वंदना के मुँह से एक हाय निकल गई, हे उपर वाले अगर तेरी हस्ती है अगर कहीं तो उस दरिंदे को एसी सज़ा देना की उसकी रूह काँपने उठे ओर फूट-फूट कर रोने लगी।।

beti bachao

beti bachao beti padhao yojana


प्रिया पटेल

प्रिया पटेल

बहुत ही रोचक तथ्य

15 जुलाई 2019

प्रियंका शर्मा

प्रियंका शर्मा

सच कह रही हूँ , इसे पढ़ कर मेरे रोंगटे खड़े हो गए !!!!!!!!

15 जुलाई 2019

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ए ज़िंदगी

12 जुलाई 2019
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ए ज़िन्दगी कभी तो मेरे ढंग में ढ़लकर देख,मेरी सोच में बसकर देख,मुझे जी कर देखले फ़िर मजे चुनौतियों की रंगीनीयों का,हो जाएगी खुद से ख़फ़ादेख खुद ही खुद की ज़ालिम अदा..!क्यूँ ज़िंदगी की कुछ ताने क्षुब्ध कर देती है हमें,जरूरी तो नहीं की उसका हर फैसला हमें मंज़ूर हो..! उसकी ताल पे नाचते पैर जो पकड़ ले द

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मेरा संसार

12 जुलाई 2019
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6:30 बज गए वो आते ही होंगे मैंने बाल ठीक किएकमर से लिपटा साडी का पल्लू खोल दिया डोरबेल बजी वो आ गए उनकी आँखों में खुद को देखना चाहती हूँ उनके होंठों पर हंमेशा मैं गुनगुनाती हूँ..! उनके दहलीज़ पर कदम रखते ही मेरा दरवाज़ा खोलना मैं देखना चाहती हूँमेरे सत्कार से उनकी मौजूदगी से बिखेरते हुए घर में पति क

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कहाँ ढ़ालने पाओगे शब्दों में

12 जुलाई 2019
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कहाँ समेटे जाती है संवेदना की सरिता, शब्दों का समुंदर भी उमटे कागजी केनवास पर फिर भी स्त्री के असीम रुप को ताद्रश करना मुमकिन कहाँ..!देखा है कभी गौर से ज़िंदगी के बोझ की गठरी के हल्के हल्के निशान, औरत की पीठ पर गढ़े होते हैं अपनी छाप छोड़े..!हर अहसास, हर ठोकर, ओर स्पर्श के अनगिनत किस्से छपे होते है.

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खुद को पाया आज

12 जुलाई 2019
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मोह के धागे की गांठ खोल दी है मैंने जो सालों से बँधी थी तुमसे,सालों से तुमने चुने इस पेड़ो की शाखाओं से फल, फूल मैं अनमनी सी देती रही घाव झेलते, बिखरे पत्तों सी की अब मुमकिन नहीं कुछ तुम्हें दे सकूँ संभलना जो सीख लिया है..!मत खिंचो अपनी ओरबहती रही उस दिशा में नाव सी खिंचा तुमने जिस तरफ़ अब साहिल खुद

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मन को खुश रखो तन खिल उठेगा

12 जुलाई 2019
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Age is just figur not our intro forget itमैंने उम्र को कभी कोई तवज्जों नहीं दी, ना ही महसूस किया, ना ही गिना..!वक्त का काम है बहना बहता रहेगा दिन, महीने, साल ये सब वाकिये याद रखने के लिए है ना की हमारा घड़ीया गिनना..!दिल में एक उम्र बिठा ली है मैंने जवाँ, खूबसूरत सी ज

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आभासी प्यार

12 जुलाई 2019
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मोबाइल की दुनिया में आभासी प्यार का रकास ☺️तलाशती है अब नज़रे तुम्हें सिर्फ़ हरे बिंदु की उम्र में,जब तक इस छोटी-सी मशीन में तुम्हारी प्रोफाइल पर ये हरा बिंदु दिखता है हम तुम्हें अपने करीब महसूस करते है जब की जानता है दिल की तुम मिलों दूर होतुम्हारे अहसास में भी हम नहीं..!पर इस पागल दिल का कोई इलाज भ

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गुफ़्तगु

14 जुलाई 2019
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गुफ़्तुगू...! अपने आशियाने की गरिमा है तुम्हारे मौन में दबी असंख्य अहसासों की गूँज, क्या मन नहीं करता तुम्हारा की इस मौन के किल्ले को तोड़ कर अपने अंदर छुपी हर अच्छी बुरी संवेदना को बाँट कर नीज़ात पा लो..!चलो आज तुम मेरे सारे सुख बाँट लो मैं तुम्हारे सारे गम बाँट लूँ..स

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बेटी की चित्कार

14 जुलाई 2019
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सपनें में भी सहम गयी वंदना सुन अपनी बेटी की चित्कार मानों पिंकी झकझोर रही है,कुछ समय पहले एक राक्षने दबोच लिया था स्कूल जाती हुई पिंकी को,ओर मसल दिया था मासूम कली को..! वंदना कुछ नहीं कर पाई थी, अभी तक न्याय नहीं मिला तो सपने में माँ से मानों असंख्य सवालों की गठरी खो

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तो क्या हुआ की

1 फरवरी 2022
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"तो क्या हुआ की"मेरी आँखें एक सुहाना सफ़र मेरे घर की दहलीज़ से उसके घर की खिड़की तक हररोज़ तय करती है, क्यूँकी मेरे सामने वाली खिड़की में इक चाँद का टुकड़ा रहता है। उस हूर परी की एक झलक पा लूँ तो आशिक नह

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