बापू की याद में कुछ पंकितयाँ
उसने तो जान भी देदी ख़ातिर उनके,
है पूछते वो ताउम्र तुमने किया क्या है.
शर्म से गर्दन नहीं झुकती होगी बापू की,
दिल में दर्द का एहसास तो होता होगा.
क़ाबिल बना दिया उसने तुमको इतना,
खड़े हो जहां, वहां के तुम काबिल नहीं थे. (आलिम)