अजमेर की सैर के लिए मैं सहपरिवार नागपुर के रेलवे स्टेशन पर ट्रैन के इंतज़ार में बैठी थी अभी ट्रैन आने में कुछ समय बाकि था के उसी प्लाट फॉर्म पर एक लड़का लग भाग २२-२३ साल मतलब मेरा ही हम उम्र अपनी माँ का हाथ थामे हुए हमारे बेंच के बिलकुल बाज़ू वाले बेंच पर आ बैठे, थोड़ी ही देर में ट्रैन भी आ गई हम सब ट्रैन में चढ़ गए और सामानों को रख अपनी अपनी सीट पर बैठ गए मैं हर बार की तरह अपनी पसंदीदा खिड़की वाली सीट पर ही बैठी थी, उतने में ही वो लड़का अपनी माँ के साथ हमरे ही ब्लॉक में दाखिल हुआ, सब लोग बैठ गए , और हमारा सफर शुरू हो गया सब लोग बातों में मगन हो गए और मैं भी खिड़की वाली सीट से सफर और मौसम का भरपूर लुत्फ़ उठाने लगी , हरयाली और ख़ुशगवार मौसम ने मन को शांति से भर दिया मैं पूरी तरह से बाहरी मज़ा लेने लगी ऐसा महसूस होने लगा जैसे मैं अकेले ही सफर कर रही हूँ के अचानक बच्चों का शोर ने मुझे आभासी दुनिया से विपरीत कर दिया मैं एकदम से चौंक गई , बच्चों के साथ उस लड़के को मस्ती में देख मैं मौसम , सफर अपनी खिड़की वाली सीट सब कुछ भूल गई और एक बार को मेरा मन भी उन सब के साथ मस्ती करने के लिए कर गया , वो लड़का ब्लॉक में बैठे सभी लोगो से बेहद खुश मिजाज़ी से बातें करता, बच्चों के साथ खेलने लगता, कभी बच्चों की तरह ख़ुद भी शरारतें करता, बच्चों के उसे देख ऐसा लगता ही नहीं के वो पहली बार उनसे मिल रहा है, ज़िन्दगी को भरपूर जी रहा था, उसके चेहरे की मुस्कराहट तो जैसे मेरे दिल में बस गई, माँ भी उस लड़के की माँ से बातें कर रही थी ,इतना लम्बा रास्ता कैसे काट गया कुछ पता ही नहीं चला, हमारा स्टेशन आ गया हम सब ट्रैन से उतरे वो लोग भी उसी स्टेशन पर उतरे थे शायद उन्हें भी अजमेर ही जाना था, मैंने पुरे रास्ते बहुत चाहा के एक बार उसका नाम ही जान लूँमगर हिम्मत नहीं जूता पाई थी मगर जैसे ही ट्रैन से हम उतरे बहुत हिम्मत कर के मैं उस के पास चली गई और पूछ ही लिया, आपका नाम क्या है।उसने मुस्कुराते हुए जवाब दिया आनंद , नाम सुनते ही ऐसा लगा जैसे ये नाम तो मुझे पहले ही से पता था जिस तरह वो ट्रैन में ज़िन्दगी का आनंद ले रहा था उसका नाम उसी में छुपा हुआ था , मैं कहा nice to meet you , उसके चेहरे की मुस्कान थोड़ी और बढ़ गई और उसका चेहरा मुझे आज तक याद रह गया
अश्मीरा 19/7/19 02:00 pm