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याद

21 जुलाई 2019

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article-imageआज चांदनी दरीचे से छनती हुई

हलकी सी मेरे चेहरे पर पड़ने लगी

मैं अपने कमरे में बैठी

दूर से दालान में झाँकने लगी

जहाँ मैं तुम्हारे इंतज़ार में

चाय की दो कप लिए बैठा करती थी

आज हवाओं में

बिलकुल वही आहट थी

जैसे तुम अक्सर शाम में

चुपके से आ कर

मेरी आँखों को अपने हाथों से

बंद कर दिया करते थे

और मैं तुम्हारे एहसास से

हर दम पहचान लिया करती थी तुम्हें

शायद ये आहट नहीं

तुम ही थे .............................

हर दिन तुम्हें याद कर

तुम्हें पुकारती रही

शायद मेरी सदा तुम तक पहुंची हो

और तुम फिर लौट आए हो

दालान में रखी उस कुर्सी पर बैठे

मुझे दूर से ही देख रहे हो

जहाँ मुझे बैठे हुए

एक अरसा बीत गया

अशीमिरा 31/3/19 01: 30 PM

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रेणु

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वाह !!!!! अश्मीरा , बढ़िया लिखा आपने | |प्रेम से विकल मन का शीतल उच्छ्वास है आपकी रचना | मेरे हार्दिक शुभकानाएं आपके लिए

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याद

21 जुलाई 2019
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आज चांदनी दरीचे से छनती हुईहलकी सी मेरे चेहरे पर पड़ने लगीमैं अपने कमरे में बैठीदूर से दालान में झाँकने लगीजहाँ मैं तुम्हारे इंतज़ार मेंचाय की दो कप लिए बैठा करती थीआज हवाओं मेंबिलकुल वही आहट थीजैसे तुम अक्सर शाम मेंचुपके से आ करमेरी आँखों को अपने हाथों सेबंद कर दिया करते थेऔर मैं तुम्हारे एहसास सेहर

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#भाप_की_चोरी

26 जुलाई 2019
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"बहुत भूक लगी है कल से कुछ खाया नहीं,""ख़ुदा का शुक्र है बस स्टैंड के पियाऊ में ठंडा पानी मिल जाता है , अब जीने के लिए खाना ना सही पानी पर गुज़ारा हो जाता है।" अनाथ 11 वर्षीय राजू छोटे छोटे अपने ही जैसे अनाथ दोस्तों के बिच बैठ बहुत उदास लहजे में कह रहा था।"अब तो कोई होटल में भी काम नहीं देता , जब से च

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बहु ही क्यों बेटी क्यों नहीं?

26 जुलाई 2019
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शादी के पुरे तीन साल बाद भी शोभा हमेशा ही अपनी सासु माँ के ताने, और जली कटी बातों का शिकार होती रही है, सास भी बस हर वक़्त मौके की तलाश में रहती है अगर बहु की कोई ग़लती ना मिले तो उसका अपने रूम में रहना भी उन्हें खटकने लगता है, आज भी सारा काम काज निपटाने के बाद जब शोभा

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#भगवान_की_लाठी

29 जुलाई 2019
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मोहन के घर से हर शाम उसकी बीवी की बहुत ज़ोर ज़ोर रोने बिलखने की आवाज़ आया करती थी । मोहन रोज़ शराब पि कर आता और घर में ख़ूब तमाशा करता। उसे बस बहाना चाहिए अपनी बीवी पर हाथ उठाने का,आज भी वो नशे में धुत घर में दाखिल होते ही अपनी बीवी पर बरस पड़ा " उमा , उमा कहा हो ज़रा मेरे लिए पानी ले आना, और लड़खड़ाते हुए ह

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इंद्रधनुष / धनक

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एक रोज़ चले आए थे तुम चुपके से ख़्वाब में मेरे मेरे हाथों को थामे हुए दूर फ़लक पर सजे उस धनक के शामियाने तक हमसफ़र बनाया था मुझे सुनोअपनी ज़िन्दगी के सियाह रंग छोड़ आई थी मैं उसी धनक के आख़िरी सिरे पर जो ज़मीन में जज़्ब होने को थे उसी धनक के रंगों से ख़ूबसूरत रंग मेरे दामन में जो तुमने भर दिए थे वो रंगों में

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#सपनों_का_गुल्लक

2 अगस्त 2019
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नानी के यहाँ से जब लौटा था तो नाना जी ने 50/-नानी जी ने 50/-मामा जी और मासी ने 100/- -100/- रुपये दिए थे स्कूल की छुट्टी लगे हुए भी लग भग २० दिन से अधिक हो रहे है वो पैसे भी गुल्लक में रोज़ डालता हूँ और आज पापा ने 50/- रुपये और दे दिए राजू गुल्लक में पैसे डालते हुए अपने गुल्लक से बत्या रहा था। अब इन

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#इंसाफ़

5 अगस्त 2019
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मैं नन्ही सी जां थी लेकिन फिर भी तरस ना उसको आया अपनी भूक मिटाने क्यों उसने बचपन को खाया चंचल सा जीवन मेरा क्यों उसने पलभर में बलि चढ़ाया घबराती हूँ देख कर अब मैं ये बदसूरत दुनिया की मोह माया कितनी सांसें टूट गई है #इंसाफ़ किसी ने अब तक कहाँ है पाया हर दम सच का गला घोंट कर दरिंदों ने दुनिया का दिल दहल

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रिश्ते

9 अगस्त 2019
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यूं रिश्तों में समझौते का पेवंद लगा कर उसे कब तक जोड़ा जाए क्यों ना ज़बरदस्ती वाले रिश्तों की गांठों को आज़ाद किया जाए घुटन में रहने से तो बेहतर है आज़ाद फ़िज़ा में सांस ली जाए क़समों , वादों में उलझी हुई दुनिया से अब क्यों ना चलो किनारा किया जाए अश्मीरा 8/8/19 11:30 am

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16 अगस्त 2019
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आमिर रोज़ सुबह सवेरे बड़ी ख़ुशी ख़ुशी त्यार हो कर अपने पिताजी के साथ स्कूल के लिए निकल जाता । आज भी वो अपने पिता के साथ स्कूल के लिए निकल पड़ा, स्कूल के गेट पर चौकीदार हर दिन की तरह सभी बच्चों को अंदर दाख़िल कर रहा था, आमिर हर रोज़ उसे देखता । आज स्कूल , से वापसी के बाद खाने की मेज़ पर आमिर ने पिताजी से कह

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रस्म ए उल्फ़त

20 अगस्त 2019
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चलो यूं निभाते हैं रस्म ए उल्फ़त हम दोनोंमैं हर दुआ में तुम्हारा नाम लूँहर बार तुम आमीन कह देनामेरा हर सजदा हो आगे तुम्हारेतुम हर बार मेरा काबा बन जानामेरी उँगलियों पे तुम तस्बीह की तरहइश्क़ की आयत लिख जानादोहराती रहूँ बार बार तुम्हें हीमेरे लबों का तुम कलमा बन जानाअश्मीरा 19/8/19 05:10 PM

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वो चलता हुआ नींद में कहाँ जाता है

30 अगस्त 2019
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वो चलता हुआ नींद में कहाँ जाता है ऐसा लगता है दूर से उसे कोई बुलाता है !! माँ को ढूंढ़ती है शायद उसकी नज़र उसीकी गोद में सर रख के सोना चाहता है !!अब नहीं भूक से बिलख के वो रोता है ना जाने इतना सब्र अब कहाँ से लाता है !!हर बात की ज़िद करते देखा था उसे अब तो हर बात में ख़ुशी मनाता है !!अश्मीरा 18/8/19 11:

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💞💞 तुम्हारी यादें 💞💞

17 सितम्बर 2019
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💞💞 सुनो ................................💞💞जब जब तुम्हारी यादें !!मन के भीतर नृत्य करती है !!मैं रंग जाती हूँ !!तुम्हारे रंग में !!मैं झूम उठती हूँ ख़ुशी से !!तुम्हारे एहसासों को गले लगा कर !!फ़िर क़दमों तले ज़मीन नहीं होती मेरे !!आसमान की सैर पे निकल जाते है जज़्बात !!तोड़ लाते है वो अनमोल तारों को वह

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