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ऊँची नाक का सवाल (व्यंग्य)

24 जुलाई 2019

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इस दौर में जब देश में बाढ़ का प्रकोप है तो नाक से सांस लेने वाले प्राणियों में नाक एक लक्ष्मण रेखा बन गयी है ,पानी अगर नाक तक ना पहुंचा तो मनुष्य के जीवित रहने की संभावना कुछ दिनों तक बनी रहती है,बाकी फसल और घर बार उजड़ जाने के बाद आदमी कितने दिन जीवित रहेगा ये उतना ही बड़ा सवाल है जितनी कि हमारे देश में गरीबी की रेखा निर्धारित करने के मानक । कोई पानी में नाक तक डूब जाने से डूब जाने को अभिशप्त है।तो किसी के घर की नाक का टीवी पर टीआरपी उत्सव मनाया जा रहा है । नाक अलग अलग है ,सबका अलग -अलग महत्व है ,जैसे भारत में पकौड़ा की बढ़ती लोकप्रियता और पकौड़े बनाकर अकूत दौलत कमाने वालों की लोकप्रियता देखकर ,पाकिस्तान की राष्ट्रीय नाक कहे और माने जाने वाले हाफिज सईद आजकल खासी चर्चा में हैं।जो अपनी पकौड़े जैसी नाक के कारण भारत से काफी चिढ़े रहते हैं अब उन्होंने पकौड़े को खालिस हिंदुस्तानी और पाकिस्तान के लिये गैर मजहबी माना है। गैर मजहबी स्यापे को दूर करने के लिए हाफ़िज़ सईद ने अपनी नाक को पकौड़े के बजाय पकौड़ी जैसा करवाने का निश्चय किया है।


इस सर्जरी के लिए उसने अस्पताल में भर्ती होने का निर्णय किया ।

हुकूमते पाकिस्तान, अस्पतालों को कभी कभी जेल भी कहती है।पाकिस्तान के सुपर प्राइम मिनिस्टर हाफ़िज़ सईद की इस इच्छा को सुनते ही पाकिस्तान के कार्यवाहक प्राइम मिनिस्टर इमरान खान ने हाफ़िज़ सईद के अस्पताल जाते ही उनके जेल जाने की मुनादी कर दी और ट्रम्प साहब से कहा कि -

"अब तो कुछ मदद कर दें। हमारे अंकल सैम"।


अंकल ट्रम्प ने इसे अपनी नाक ऊँची करने वाली बात बताया और कहा कि "हमने दो बरस से डॉलर ना देकर पाकिस्तान की नाक में दम कर दिया था,इसी वजह आज हाफिज सईद गिरफ्तार हुआ" और अंकल ट्रम्प की नाक ऊँची हो गयी।ट्रम्प अंकल पूरी तरह से ट्रम्प पर यकीन करते हैं और चाणक्य की तरह जड़ में मट्ठा डाल देते हैं।उन्होंने ना सिर्फ पाकिस्तान की नाक में दम कर रखा है बल्कि छोटी नाक के लिए मशहूर चीनी राष्ट्रपति और पाकिस्तान के राष्ट्रीय फूफा शी जिनपिंग को भी नाकों चने चबवा दिए हैं ट्रेड वार छेड़ रखी है उनके खिलाफ।भारत में हालात इससे जुदा हैं यहां बड़े आदमी की नाक पर मक्खी भी बैठ जाए तो वो मशहूर हो जाती है।मक्खियां भी ऊँची नाक पर ही जाकर बैठती हैं और मशहूरियत का सबब बनती हैं ।ये बात हमारी हिंदी फिल्म की हीरोइनों को समझ में आ गयी तभी तो उन्होंने नाक ऊँची करने का अभियान छेड़ दिया ,।अंग्रेजों ने कभी भी ऊँची नाक को ज्यादा महत्व नहीं दिया वरना वो ऊँची नाक को राइनो शब्द से ना जोड़ते।ये और बात है कि राइनोप्लास्टी की शरण में जाकर सुपरस्टार बनीं ऐश्वर्य रॉय की तरह मशहूर होने की चाहत में शिल्पा शेट्टी भी विदेश पहुंची ,सर्जरी कराके अपनी नाक ऊँची और धाक ऊंची करने ।नाक ऊँची होते ही उनके सितारे बदल गए ,वो विलायत के बिग ब्रदर में इतना रोयीं ,इतना रोयीं कि पाकी शब्द की सहानभूति में उनके आँख और नाक के द्रव एकाकार हो गए।


वो इस चमत्कार से मालामाल हो गईं।जयपुर में हॉलीवुड अभिनेता ने मंच पर उनके साथ जो चुम्बन काण्ड किया था लोगों ने उसे देश की नाक से जोड़ा ,लेकिन ऊँची नाक वाली शिल्पा शेट्टी ने उन्हें क्लीन चिट दे दी। ये और बात है कि जब कुछ कथित राष्ट्रवादी संगठनों ने इस घटना पर आपत्ति करते हुए उनकी पिटाई करने शूटिंग पर पहुंच गए तो उन्होंने रोना धोना शुरू कर दिया और खुद को विक्टिम कहा।वैसे ही जैसे आजकल कुछ लोग काण्ड करते हैं मगर मीडिया का एक वर्ग उन्हें विक्टिम बनाकर पेश करता है। रोने -धोने से ना सिर्फ वो पिटाई से बच गयीं बल्कि कालांतर में आइटम गर्ल से रॉयल टीम की मालकिन भी बन गयीं। ये और बात है कि जांच एजेंसियां उन्हें उस टीम का सिर्फ ग्लैमरस चेहरा मानती थीं ,मालिकान तो कोई और थे।


शिल्पा शेट्टी जो बात कहती हैं वो लोगों को मान लेनी चाहिये,एक बार एक साड़ी बेचने वाले का उन्होंने विज्ञापन किया था ,उसने शिल्पा शेट्टी के पूरे पैसे नहीं चुकाए तो वो गैंगेस्टर से वसूली करवाने पर उतर आयीं ,शायद बैंकों को यहीं से रिकवरी एजेंट का आईडिया आया होगा ,खैर अब शिल्पा की टीम तो आईपीएल जीत नहीं पा रही है तो वो लोगों को योग -निरोग की ट्रेनिंग दे रही हैं।बॉलीवुड की तमाम वीर बालाएं उन्हीं की राह पर हैं ,पत्रकारों की आँख की किरकिरी बनी कंगना रनौत पर भी कुछ पत्रकार शोध कर रहे हैं कि जैसे दिन ब दिन उनकी एक्टिंग निखरती जा रही है वैसे ही दिन ब दिन उनकी नाक भी ऊँची हो गयी ।हमारे देश का मीडिया भी हर बात को नाक का सवाल बना लेता है और नाक पर सवाल कर बैठता है जैसे कि एक फ़िल्मी पत्रकार ने अभिनेत्री श्रुति हसन से पूछ लिया कि "ठीक -ठीक अभिनय कर लेने के बावजूद उनको अपनी नाक ऊँची क्यों करवानी पड़ी "।


श्रुति हसन ने बड़ी मासूमियत से जवाब दिया कि "उन्हें अपनी नाक से सांस लेने में दिक्कत हो रही थी ,इसलिये उन्हें ऐसा करना पड़ा"।

ये खबर आते ही कुछ एशियाई देशों में खलबली मच गयी कि उन देशों के लोग ज़िंदा कैसे हैं जहां भारत की अपेक्षाकृत लोगों की नाक चपटी होती है ।चीन ने इस सिलसिले में एक राष्ट्रीय आयोग तो बिठा दिया है कि चपटी नाक से सांस कम ले पाने के कारण कहीं उनका देश सांस कम ले पा रहा है और वो मैन्युफैक्चरिंग हब की अपनी कुर्सी गंवाने की कगार पर हैं ।इस खबर के शाया होने के बाद इमरान खान अपनी नाक जब तब सहलाते हुए नजर आते हैं , शुक्र है कि उनके पास ऊंची लम्बी नाक तो है ,मूंछे नहीं हैं तो क्या तिलोरने के लिए।इसी दरम्यान नाक की इस समस्या को करीब से जानने के लिये और अपनी नाक की दो बार सर्जरी करवा चुकी प्रियंका चोपड़ा दूसरी बार बांग्लादेश के कॉक्स बाजार इलाके का दौरा करेंगी और देखेंगी कि सभी रोहिंग्याओं के नाक को बराबर पोषण मिल रहा है या नहीं ,इस दरम्यान वो अपनी ऊँची नाक पर काला चश्मा लगाये हुए अपने प्राइवेट जेट के पायलट से कहती पायीं गयीं कि सिर्फ रोहिंग्या शिविर में ही लैंड करना बीच में आसाम,बंगाल,बिहार के नाक तक डूबे बाढ़ पीड़तों के दृश्य उनको बिलकुल नजर नहीं आने चाहिए।आखिर वो मिस वर्ल्ड रह चुकी हैं,यूनाइटेड नैशन्स की गुडविल अम्बेस्डर हैं वो ,रोहिंग्या का मामला इंटेरनेशनल है तो वो आसाम, बिहार,जैसे छोटे मोटे बाढ़ के मसलों को नहीं उठातीं।हां मैरी काम टाइप कोई रोल हो तो वो चाहे जितनी छोटी जगह का हो जाएंगी।नाक की अपरम्पार है शाहरुख़ खान ने बताया कि जब उन्होंने ने अपनी पहली साइन की थी तब उन्होंने हेमा मालिनी से पूछा था कि "आपने मुझे हीरो को रोल क्यों दिया"


अनुभवी हेमा मालिनी ने हँस कर शाहरुख़ खान से कहा था "बिकॉज़ यू हैव ए एरिस्टोक्रेटिक नोज"।नाक की वजह से शाहरुख़ खान सुपरस्टार और हिमेश रेशमिया गायन में शिखर पर पहुंच गए।अमिताभ बच्चन इस टोटके को सच मान बैठे और अभिषेक बच्चन की नाक की सुडौलता और ऊंचाई देखकर बलि बलि जाते हैं और नाक खुजाते हुए सोचते हैं कि इतनी अच्छी नाक होने के बावजूद उनका बेटा कामयाबी क्यों नहीं सूंघ सका ।

रहिमन अगर आज होते तो उनका मशहूर दोहा कुछ इस तरह होता


"रहिमन ऊँची नाक का,जलवा है चंहुँ ओर

सर्जरी करवा कर कहो "ये दिल मांगे मोर"😊


समाप्त,,कृते दिलीप कुमार

दिलीप कुमार की अन्य किताबें

प्रियंका शर्मा

प्रियंका शर्मा

बहुत ही करारा व्यंग्य, आपने कई मुद्दे साथ उठाए हैं . और सबकी नाक पकड़ कर सच्चे हालात बयान किये . बहुत खूब .

25 जुलाई 2019

सौरभ श्रीवास्तव

सौरभ श्रीवास्तव

किसी बेसहारा की मदद करके देखो अच्छा लगता है ..

25 जुलाई 2019

anubhav

anubhav

नाक ऊंची होना हर किसी के लिए बहुत जरूरी होता है। इस लेख में कुछ गहराई की बात कही है अगर कोई समझ सके तो।

25 जुलाई 2019

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जूतों के अच्छे दिन

29 नवम्बर 2018
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ऊँची नाक का सवाल (व्यंग्य)

24 जुलाई 2019
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डाल डाल की दाल (व्यंग्य)

28 जुलाई 2019
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"दाल रोटी खाओ प्रभु के गुण गाओ "बहुत बहुत वर्षों से ये वाक्य दोहरा कर सो जाने वाले भारतीयों का ये कहना अब नयी और मध्य वय की पीढ़ी को रास नहीं आ रहा है।दाल की वैसे डाल नहीं होती लेकिन ना जाने क्यों फीकी और भाग्य से प्राप्त चीजों की तुलना लोग दाल से ही करते हैं और अप्रा

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डाल डाल की दाल (व्यंग्य)

28 जुलाई 2019
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"दाल रोटी खाओ प्रभु के गुण गाओ "बहुत बहुत वर्षों से ये वाक्य दोहरा कर सो जाने वाले भारतीयों का ये कहना अब नयी और मध्य वय की पीढ़ी को रास नहीं आ रहा है।दाल की वैसे डाल नहीं होती लेकिन ना जाने क्यों फीकी और भाग्य से प्राप्त चीजों की तुलना

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अदीब@मेला

30 जुलाई 2019
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पुस्तक मेले में सब हमारी किताबें लपक रहदिल्ली में हर बार की भाँति पुस्तक मेला लगा, दिल्ली देश का दिल है ,अवार्ड वापसी वाले लेखक बहुत परेशान हैं कि जितनी ख्याति उनको अवार्ड लौटाकर नहीं मिली थी उससे ज्यादा प्रचार-प्रसार तो इस मेले में लेखकों का हो रहा है। एक अनुमान के तौर पर सिक्किम की आबादी के जितनी

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हम हिन्दीवाले

4 अगस्त 2019
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हम हिन्दीवाले (व्यंग्य )अपने कुनबे में हमने ही ये नई विधा इजाद की है ।एकदम आमिर खान की मानिंद "परफेक्शनिस्ट",नहीं,नहीं भाई कम्युनिस्ट मत समझिये।भई कम्युनिस्ट से जब जनता का वोट और सहयोग कम होता जा रहा है तब हम जैसा जनता के सरोकारों से जुड़ा साहित्यकार कैसे उनसे आसक्ति रख सकता है ।एक उस्ताद शायर फरमा ग

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अब आगे क्या

11 अगस्त 2019
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"अब आगे क्या "(व्यंग्य) तड़ाक,तड़ाक,तड़ाक ,ये थप्पड़ नहीं एक आवाज है जो कहीं कहीं सुनायी पड़ रहा है। जैैसे हवा भी होती है पर दिखती नहीं है।पिछले हफ्ते देश में पहले तो तीन तलाक पर ये तड़ाक का साया पड़ा और अब जम्मू कश्मीर में ,370,35-A, और स्पेशल स्टेटस

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तब क्यों नहीं

18 अगस्त 2019
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तब क्यों नहीं ,(व्यंग्य)"ये जमीं तब भी निगल लेने को आमादा थीपाँव जब जलती हुई शाखों से उतारे हमने इन मकानों को खबर है ना मकीनों को खबर उन दिनों की जो गुफाओं में गुजारे हमने "ये सुनाते हुए उस कश्मीरी विस्थापित के आँसूं निकल पड़े जो अपने घर वापसी के लिये दिल्ली से जम्मू की ट्

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लोहा टू लोहा

25 अगस्त 2019
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लोहा टू लोहा (व्यंग्य )आजकल देश में मोटा भाई कहने का चलन बहुत बढ़ गया है।माना जाता है कि बंधुत्व और दोस्ती का ये रिश्ता लोहे की मानिंद सॉलिड है। पहले ये शब्द भैया कहा जाता था ,लेकिन जब से अमर सिंह ने अमिताभ बच्च्न को भैया कहने के बाद हुए अपने हादसे का दर्द बयान किया तब से लोग भैया के बजाय मोटा भाई ही

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नाट आउट @हंड्रेड

8 सितम्बर 2019
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नॉट आउट @हंड्रेड (व्यंग्य)"ख्वाबों,बागों ,और नवाबों के शहर लखनऊ में आपका स्वागत है" यही वो इश्तहार है जो उन लोगों ने देेखा था जब लखनऊ की सरजमीं पर पहुंचे थे। ये देखकर वो खासे मुतमइन हुए थे । फिर जब जगह जगह उन लोगो ने ये देखा कि "मुस्कराइए आप लखनऊ में हैं "तो उनकी दिलफ़रेब मुस्कराहटें कान कान

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हैप्पी हिंदी डे

15 सितम्बर 2019
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"हैप्पी हिन्दी डे " (व्यंग्य )हे कूल डूड ऑफ़ हिंदी ,टुडे इज द बर्थडे ऑफ़ हिंदी ,ईट्स आवर मदर टँग एन प्राइड आलसो ,सो लेटस सेलेब्रेट ।यू आर कॉर्डियाली इनवाटेड।लेट्स मीट एट 8 पीएम ,इंडीड देअर विल भी 8 पीएम,वेन्यू,,ब्लैक डॉग हैंग आउट कैफे, ब्लैक डॉग ,,,योर फेवरेट ब्रो "मोबाईल पर ये खबर मिली ज

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तब्दीली आयी रे

22 सितम्बर 2019
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"तब्दीली आयी रे " (व्यंग्य)"हजारों साल नर्गिस अपनी बेनूरी पे रोती है तब कहीं जाकर होता चमन में एक बिदनवार पैदा" यही शेर आजकल पाकिस्तान में बच्चा बच्चा कह रहा है क्योंकि जो ऊपर वाले ने ऐसा छप्पर फाड़ कर दिया कि पाकिस्तानियों को अपनी खुशकिस्मती पर यकीन नहीं हो रहा है कि "या इलाही ये माजरा क्या है

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बोलो मियां नियाजी

29 सितम्बर 2019
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"बोलो मियां नियाजी " (व्यंग्य)"ख्वाबे गफलत में सोये हुए मोमिनों ऐशो इशरत बढ़ाने से क्या फायदा आँख खोलो याद रब को करो उम्र यूँ ही गंवाने का क्या फायदा "अल्लामा इक़बाल का ये शिकवा आजकल जनाब इमरान खान नियाजी साहब पर खूब सूट करता है जो यूनाइटेड नेशन के मंच से दुनिया भर के लोगों का आह्वन कर रहे हैं कि य

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पानी रे पानी

6 अक्टूबर 2019
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पानी रे पानी (व्यंग्य)"कोस कोस पर बानी बदले चार कोस पर पानी" बानी यानी बोली -भाषा तो हमारे यहाँ बदल ही जाती है। हिंदुस्तानी आदमी अपनी पूरी जिंदगी बोली सीखने में ही लगा देता है फिर भी उसे ये बात खटकती ही रहती है कि काश मुझे ये जुबान भी आती ।अंग्रेजी का स्थायी दुःख तो है ही ,प्रान्तीय भाषा सीख लेने स

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नजर लागी रे

13 अक्टूबर 2019
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नजर लागी राजा (व्यंग्य)"नजर नवाज नजारा ना बदल जाए कहीं जरा सी बात है ,मुँह से ना निकल जाए कहीं "जी हाँ बात जरा सी थी मगर बहुत सुर्खियां बटोर लायी है ।रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने राफेल पर नींबू की नजर क्या उतारी ,सोशल मीडिया में एक से एक तमाशे शुरू हो गए।राजनाथ सिंह को लोगो

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गोली नेकी की

20 अक्टूबर 2019
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"गोली नेकी वाली (व्यंग्य)"ये दौरे सियासत भी क्या दौरे सियासत है चुप हूँ तो नदामत है ,बोलूँ तो बगावत है" आम वोटर चुनाव के वक्त ऐसे ही सोचता है कि वो क्या बोले ,सब कुछ तो बोल दिया है नेताजी ने।नेताजी जवान हैं ,स्टाइलिश कपड़े पहनते हैं ,कभी मीडिया के लाडले हुआ करते थे ,सबको कान के नीचे बजाने की घुड़की दि

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मन का रावण

27 अक्टूबर 2019
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मन का रावण (व्यंग्य)हा, तुम्हारी मृदुल इच्छाहाय मेरी कटु अनिच्छा था बहुत माँगा ना तुमने ,किंतु वह भी दे ना पाया ।था मैंने तुम्हे रुलाया ,,ये एक तसल्ली भरा सन्देश है उन लोगों की तरफ से जिन्होंने इस बार मन के रावण को पुष्पित -पल्लवित नहीं होने दिया ।इस बार का दशहरा बहुत फीका फीका रहा।,फेसबुक के कॉलेज

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हैप्पी बर्थ डे

3 नवम्बर 2019
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"हैप्पी बर्थ डे ",,(व्यंग्य)"बड़ा शोर सुनते थे पहलू में दिल का जो काटा तो कतरा ए लहू तक ना निकला "ऐसा ही कुछ रहा ,इस हफ्ते,,जब कश्मीर का नया जन्म हुआ ।धमकी,ब्लैकमेलिंग,और सुविधा की राजनीति करके उसे इंसानियत,कश्मीरियत,जम्हूरियत का मुलम्मा चढ़ाने वालों के दिन अब लद गये।अब अल

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मेला आन ठेला

9 नवम्बर 2019
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मेला ऑन ठेला ,(व्यंग्य)"सारी बीच नारी है ,या नारी बीच सारीसारी की ही नारी है,या नारी ही की सारी"जी नहीं ये किसी अलंकार को पता लगाने की दुविधा नहीं है ,बल्कि ये नजीर और नजरनवाज नजारा फिलहाल लिटरेरी मेले का है ।मेले में ठेला है ,ये ठेले पर मेला है ।बकौल शायर "नजर नवाज नजार

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तो क्यों धन संचय

16 नवम्बर 2019
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तो क्यों धन संचय (व्यंग्य)हाल ही में एक ट्वीट ने काफी सुर्खियां बटोरी ,"पूत कपूत तो क्यों धन संचयपूत सपूत तो क्यों धन संचय"जिसमें अमिताभ बच्चन साहब ने सन्तान के लिये धन एकत्र ना करने का स दिया उपदेश दिया है लोगों ने इस वाक्य को आई ओपनर की संज्ञा दी है ।लोग बाग़ ये अनुमान लगा रहे हैं कि प्रयाग में जन्

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अबकी बार तीन सौ पार

24 नवम्बर 2019
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अबकी बार,तीन सौ पार,(व्यंग्य)"नहीं निगाह में मंजिल तो जुस्तजू ही सही नहीं विसाल मयस्सर तो आरजू ही सही "जी नहीं ये किसी हारे या हताश राजनैतिक पार्टी के कार्यकर्ता की पीड़ा या उन्माद नहीं है।बल्कि हाल के दिनों में तीन सौ शब्द काफी चर्चा में रहा।एक राजनैतिक दल ने तीन सौ की ह

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ये कैसे हुआ

30 नवम्बर 2019
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"ये कैसे हुआ" (व्यंग्य)फ़ांका मस्ती ही हम गरीबों की विमल देखभाल करती हैएक सर्कस लगा है भारत में जिसमें कुर्सी कमाल करती है "।उस्ताद शायर सुरेंद्र विमल ने जब ये पंक्तियां कहीं थी तब उन्होंने शायद ये अंदाज़ा लगा लिया था कि इस देश की जनता की साथी उसकी फांकाकशी ही रहने वाली है ।वी द पीपुल तो हमें जनता जन

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पापा नहीं मानेंगे

8 दिसम्बर 2019
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पापा नहीं मानेंगे (व्यंग्य)"खुदा करे इन हसीनों के अब्बा हमें माफ़ कर दें, हमारे वास्ते या खुदा , मैदान साफ़ कर दें ,"एक उस्ताद शायर की ये मानीखेज पंक्तियां बरसों बरस तक आशिकों के जुबानों पर दुआ बनकर आती रहीं थीं ,गोया ये बद्दुआ ही थी ।इन मरदूद आशिकों को ये इल्म नही

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कौआ कान ले गया

14 दिसम्बर 2019
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"कौआ कान ले गया "(व्यंग्य)"हुजूर ,आरिजो रुख्सार क्या तमाम बदनमेरी सुनो तो मुजस्सिम गुलाब हो जाए ,गलत कहूँ तो मेरी आकबत बिगड़ती है जो सच कहूँ तो खुदी बेनकाब हो जाए"इधर सताए हुए कुछ लोगों के जख्मों पर फाहे क्या रखे गए उधर धर्म को अफीम मानने वाले लोगों ने लोगों को राजधर्म याद

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आपको क्या तकलीफ है

21 दिसम्बर 2019
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"आपको क्या तकलीफ है " (व्यंग्य)रिपोर्टर कैमरामैन को लेकर रिपोर्टिंग करने निकला।वो कुछ डिफरेंट दिखाना चाहता था डिफरेंट एंगल से ।उसे सबसे पहले एक बच्चा मिला ।रिपोर्टर ,बच्चे से-"बेटा आपका इस कानून के बारे में क्या कहना है"?बच्चा हँसते हुये-"अच्छा है,अंकल इस ठण्ड में सुबह सुबह उठकर स्कूल नहीं जाना पड़ता

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डर दा मामला है

29 दिसम्बर 2019
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डर दा मामला है (व्यंग्य)"सबसे विकट आत्मविश्वास मूर्खता का होता है ,हमें एक उम्र से मालूम है --हरिशंकर परसाई"।फिल्मों की "द फैक्ट्री "चलाने वाले निर्देशक राम गोपाल वर्मा महोदय ने डर के लेकर दिलचस्प प्रयोग किये।वो अपनी किसी फेम फिल्म में डर फेम शाहरुख़ खान को तो नहीं ला पाये ,लेकिन डर को लेकर उन्होंने

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लोग सड़क पर

5 जनवरी 2020
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"लोग सड़क पर " ( व्यंग्य)"नानक नन्हे बने रहो, जैसे नन्ही दूबबड़े बड़े बही जात हैं दूब खूब की खूब "श्री गुरुनानक देव जी की ये बात मनुष्यता को आइना दिखाने के लिये बहुत महत्वपूर्ण है।ननकाना साहब में जिस तरह गुरूद्वारे को घेर कर सिख श्रद्धालुओं पर पत्थर बाज़ी की गयी और एक कमज़र्फ ने धमकी दी कि वो ये करेगा,

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मेरा वो मतलब नहीं था

11 जनवरी 2020
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"मेरा वो मतलब नहीं था " (व्यंग्य)"जामे जितनी बुद्धि है,तितनो देत बतायवाको बुरा ना मानिए,और कहाँ से लाय"देश में धरना -प्रदर्शन से विचलित ,और अपनी उदासीन टीआरपी से खिन्न फिल्म इंडस्ट्री के कुछ अति उत्साही लोगों ने सोचा कि तीन घण्टे की फिल्म में तो वे देश को आमूलचूल बदल ही द

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कागज़ नहीं दिखाएंगे

19 जनवरी 2020
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"कागज़ नहीं दिखाएंगे "(व्यंग्य)"युग के युवा,मत देख दाएंऔर बाएं और पीछे ,झाँक मत बगलेंन अपनी आँख कर नीचे,अगर कुछ देखना है देख अपने वे वृषभ कंधे,जिन्हें देता निमंत्रणसामने तेरे पड़ा, युग का जुआ "युग का जुआ युवाओं को अपने कंधों पर लेने की हुंकार देने वाले कविवर हरिवंश राय बच्चन अपने अध्यापन के दिनों में

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खिचड़ी बनाम बिरयानी

26 जनवरी 2020
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"खिचड़ी बनाम बिरयानी "(व्यंग्य)"मालिन का है दोष नहीं ,ये दोष है सौदागर का जो भाव पूछता गजरे का और देता दाम महावर का" ऐसा ही कुछ आजकल के धरना प्रदर्शनों का है जो किसी अन्य वजहों की वजह चर्चा में आ जाते हैं बजाय उसके जो वजह उन्होंने चुनी है ।धरना ,वैचारिक मतभेदों को लेकर है

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अंकल कम्युनलिज़्म

10 फरवरी 2020
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अंकल कम्यूनलिज्म (व्यंग्य)"वो सादगी कुछ भी ना करे तो अदा ही लगे वो भोलापन है कि बेबाकी भी हया ही लगेअजीब शख्स है नाराज हो के हँसता है मैं चाहता हूँ कि वो खफा हो तो खफा ही लगे"पोस्ट ट्रुथ के बाद ये फिलहॉल एक नया फैंसी शब्द है जो अपने को डिफेंड करते हुए बाकी सभी के ज्ञान को सतही और छिछला साबित करता है

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ब्लैक स्वान इवेंट

22 फरवरी 2020
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ब्लैक स्वान इवेंट (व्यंग्य)"तुलसी बुरा ना मानिएजौ गंवार कहि जाय जैसे घर का नरदहाभला बुरा बहि जाय "फ़िलहाल देश की आम सहनशील जनता आजकल एक दूसरे को समझाते हुये यही कहती है कि जो बहुत बोल रहे हैं ,बोलते ही जा रहे हैं ,लगातार बोलते रहने से उन्हें ये इल्हाम हो रहा है कि जब सुनें

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कर्फ्यू

27 फरवरी 2020
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कर्फ्यू,(लघुकथा)शहर में कर्फ्यू लगा था।मिसेज शुक्ला काफी परेशान थीं ।बच्ची का ऑपरेशन हुआ था ओठों का।वो कुछ भी खा-पी नहीं पा रही थी ।सिर्फ चिम्मच या स्ट्रॉ से कुछ पी पाती थी खाने का तो कुछ सवाल ही नहीं पैदा होता था।सुबह

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नीचे का खुदा

3 मार्च 2020
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3- नीचे का खुदादोनों सिपाहियों की ड्यूटी थी ,वो दोनों स्नाइपर थे और वो दोनों दुश्मनों के निशाने पर भी थे ।आबिद और इकबाल।वैसे इकबाल हिन्दू था और नाम था इकबाल सिंह ,जबकि आबिद का नाम आबिद पटेल था ।इकबाल को सब इकबाल कहकर ही बुलाते थे ताकि लोगों को लगे के वो मुसलमान है क्योंकि वो शक्ल सूरत और रव

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वर्क फ्रॉम होम

10 मार्च 2020
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वर्क फ्रॉम होम ,(व्यंग्य)आये दिन अख़बारों में इश्तहार आते रहते हैं कि घर से काम करो ,घण्टों के हिसाब से कमाओ,डॉलर,पौंड में भुगतान प्राप्त करो।जिसे देखो फेसबुक,व्हाट्सअप पर भुगतान का स्क्रीनशॉट डाल रहा है कि इतना कमाया,उतना माल अंदर किया ।महीने भर की नौकरी पर एक दिन वेतन पाने वाला फार्मूला अब आदिम लगन

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घर बैठे बैठे

21 मार्च 2020
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"घर बैठे -बैठे"(व्यंग्य)"पुल बोये से शौक से उग आयी दीवारकैसी ये जलवायु है हे मेरे करतार"दुनिया को जीत लेने की रफ्तार में ,चीन ने ये क्या कर डाला ,जलवायु ने सरहद की बंदिशों को धता बताते हुए सबको घुटनों पर ला दिया है ।इस स्वास्थ्य के खतरे ने भस्मासुर की भांति सबको लपेटा और

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मेहँदी लगा कर रखना

4 अप्रैल 2020
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" मेहँदी लगा कर रखना" (व्यंग्य )"मैं इसे शोहरत कहूँ,या अपनी रुस्वाई कहूँ,मुझसे पहले उस गली में ,मेरे अफसाने गये" अपनी तारीफ सुनने से वंचित और और अति व्यस्त रहने वाली नये वाले लिटरैचर विधा की मशहूर भौजी ने खाली बैठे बैठे उकताकर अपनी पुरानी ,विधाबदलू ननदी को फोन लगाया ,भौजी का फोन देखकर ननद रॉनी

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पंडी आन द वे

25 अप्रैल 2020
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पंडी आन द वे (व्यंग्य) जिस प्रकार नदियों के तट पर पंडों के बिना आपको मोक्ष की प्राप्ति नहीं हो सकती, गंगा मैया आपका आचमन और सूर्य देव आपका अर्ध्य स्वीकार नहीं कर सकते जब तक उसमें किसी पण्डे का दिशा निर्देश ना टैग हो, उसी प्रकार साहित्य में पुस्तक मेलों में कोई काम संहित्यिक पंडों और पण्डियों के बिना

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वादा तेरा वादा

10 मई 2020
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“वादा तेरा वादा” “परनिंदा जे रस ले करिहैं निसच्य ही चमगादुर बनिहैं” अर्थात जो दूसरों की निंदा करेगा वो अगले जन्म में चमगादड़ बनेगा।परनिंदा का अपना सुख है ,ये विटामिन है ,प्रोटीन डाइट है और साहित्यकार के लिये तो प्राण वायु है ।परनिंदा एक परमसत्य पर चलने वाला मार्ग है और मुफ्त का यश इसके लक्ष्य हैं।चत

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चाँद और रोटियां

14 जून 2020
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चाँद और रोटियां (व्यंग्य)प्रगतिशीलता के पुरोधा,परम्पराओं को ध्वस्त करने वाले कवि करुण कालखंडी जी देश में मजदूरों के पलायन से बहुत दुखी थे ,उन्होंने लाक डाउन के पहले दिन से बहुत मर्माहत करने वाली तस्वीरें और करुणा से ओत प्रोत कविताएं लिखी थीं ।वो सरकार पर बरसते ही रहे थे क

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