सुषमा स्वराज नहीं रहीं. 6 अगस्त को उनका निधन हो गया. अब लोग उन्हें याद कर रहे हैं. बताया जा रहा है कैसे वो ट्विटर पर सबकी मदद करती थीं. एक ट्वीट पर हज़ारों मील दूर बैठे इंसान तक मदद पहुंचा देती थीं. कहानियां चल रही हैं कि किसी ने कहा मैं मंगल पर फंस गया हूं, मेरी मदद करें. सुषमा जी ने जवाब दिया कि अगर आप मंगल पर हैं तो इंडियन एंबेसी वहां भी आपकी मदद करेगी.
लोग दुखी हैं, सोशल मीडिया पर श्रद्धांजलि के संदेशों की बाढ़ आई है. आनी भी चाहिए, वो कौन ही होगा, जिसे आज दु:ख न हो रहा हो. पर इन्हीं में से कई लोग हैं, जो एक मौके पर सुषमा स्वराज के लिए इतने भले नहीं थे. उन पर मीम बना रहे थे. भद्दे-भद्दे कमेन्ट कर रहे थे. उनकी तस्वीरें फोटोशॉप की गईं, उन्हें हिंदू धर्म से द्रोह रखने वाला बताया. उन्हें वीजा माता कहा गया, वीजा अप्पी कहा गया. उनके फेसबुक पेज की रेटिंग गिराई गई.
इस स्तर तक परेशान किया कि उन्हें फेसबुक पेज पर रेटिंग का ऑप्शन बंद करना पड़ गया. (अब उनका फेसबुक पेज बंद है!) मज़ाक उड़ाने वालों ने उनकी उम्र की परवाह नहीं की, उनकी बीमारी का मज़ाक उड़ाया. वो महिला जिसने दिन-रात नहीं देखा, देश-परदेस नहीं देखा, पक्ष-विपक्ष नहीं देखा. उन्हें इतना भला-बुरा कहा गया कि किसी भले आदमी का भलाई से भरोसा हट जाए.
क्या था मामला
मामले में वही तत्व थे, जो सोशल मीडिया के ट्रोल्स की गालियों के लिए पेट्रोल का काम करते हैं. हिंदू और मुसलमान. बात 2018 की है. मोहम्मद अनस सिद्दीकी और उनकी पत्नी तन्वी सेठ ने लखनऊ में 19 जून को पासपोर्ट के लिए आवेदन किया था. मोहम्मद अनस के पासपोर्ट का रिन्यूअल होना था, जबकि तन्वी सेठ का नया पासपोर्ट बनना था. तन्वी ने आरोप लगाये कि पासपोर्ट अधिकारी विकास मिश्रा ने पति और पत्नी के धर्म अलग-अलग होने का हवाला देकर पासपोर्ट जारी करने से मना कर दिया. उनसे ऊंची आवाज में बात की. कहा कि दोनों धर्म बदलकर शादी कर लें, तो पासपोर्ट जारी हो जाएगा.
इसी के बाद से विवाद शुरू हो गया था. अनस और तन्वी ने धर्म की वजह से पासपोर्ट न बनाए जाने वाली बात को ट्विटर पर लिखा, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को टैग कर दिया. इसके बाद ही तन्वी सेठ का पासपोर्ट जारी कर दिया गया. पासपोर्ट अधिकारी विकास मिश्रा को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए उनका तबादला गोरखपुर के लिए कर दिया गया है. हालांकि बाद में विवाद बढ़ा तो विकास मिश्रा का तबादला रोक दिया गया था.
सुषमा स्वराज को ट्विटर पर टैग करने के एक दिन के बाद ही तन्वी सेठ को उनका नया पासपोर्ट मिल गया. इस बात पर सोशल मीडिया के लोग भड़क गए. आरोप लगे कि ट्विटर की वजह से तन्वी का पासपोर्ट बन गया है, जबकि उनके कागजात की जांच नहीं की गई. कहा गया कि तन्वी और उनके पति नोएडा में रहते हैं, लेकिन उन्होंने पासपोर्ट लखनऊ के पते पर बनवा लिया है, जो गलत है. बाद में पासपोर्ट ऑफिस की तरफ से मोहम्मद अनस और तन्वी सेठ के पते की जांच का काम लखनऊ पुलिस को सौंप दिया गया. इस पूरी ख़बर में बाद में भी कई अपडेट्स आए. लेकिन लोगों को उन अपडेट्स से कोई लेना-देना नहीं था. उन्हें सुषमा स्वराज के तौर पर एक निशाना मिल चुका था.
ट्रोल्स का गुस्सा उन पर फूटा. पहले तो सोशल मीडिया पर #IstandwithVikashMishra नाम से हैशटैग शुरू किया. फिर सब बातों के लिए सीधे सुषमा स्वराज को जिम्मेदार ठहराते हुए उनके लिए खूब भला-बुरा कहा गया. इस भले-बुरे का स्तर इतना गिरा हुआ था. जिसकी कल्पना नहीं की जा सकती.
भारत में जब ये सब हो रहा था, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज देश के बाहर थीं. वो 17 जून से 23 जून 2018 तक तक इटली, फ्रांस, लग्जमबर्ग, बेल्जियम और यूरोपियन यूनियन के दौरे पर थीं. 24 जून को जब वो भारत लौटीं, उन्होंने एक ट्वीट कर लिखा-
‘मुझे नहीं पता है कि उनके देश में न रहने के दौरान क्या-क्या हुआ. हालांकि, मैं कुछ ट्वीट्स से सम्मानित महसूस कर रही हूं. मैं उन ट्वीट्स को आप सभी के साथ साझा कर रही हूं, इसलिए मैंने उन्हें लाइक किया है.’
ऐसा कहकर सुषमा स्वराज ने अपने खिलाफ किए गए 60 ट्वीटस् को लाइक किया और कुछ को रिट्वीट भी किया था.
और आपको पता है, उन्हें ऐसा कहने वाले कौन लोग थे? ये वो लोग थे जिन्हें मोदी सरकार के तब के मंत्री और नेता खुद फॉलो करते थे. डीटेल्स जानने के लिए आप ये स्टोरी पढ़ सकते हैं.
इन कथित ‘भक्तों’ ने सुषमा स्वराज को अपनी ही पार्टी में गुटबाजी का आरोप लगाया. अभद्र बातें कहीं. जिस काम के लिए वो दुनिया में सराही गईं, उनका मज़ाक बनाया. सुषमा स्वराज वो नेता थीं, जिन्होंने सरकार पर भरोसे को लोगों के हाथों तक पहुंचा दिया था. जिन लोगों ने उन्हें गालियां बकीं, उनका खुद का अस्तित्व नहीं था. इस देश के लिए उन्होंने ट्विटर पर अकाउंट बना लेने से ज़्यादा कभी कुछ नहीं किया. तन्वी सेठ के मुद्दे पर सच-झूठ हो सकते थे. अपनी समझ से लोगों के सही ग़लत हो सकते थे. लेकिन जिस तरह से सुषमा स्वराज को टार्गेट किया गया. ये याद रखा जाना चाहिए. याद ये भी रखा जाना चाहिए कि सोशल मीडिया के ट्रोल्स किसी के सगे नहीं होते. ये कोई नहीं होते जो दिलों में सबने वाले नेताओं को सही-ग़लत बताएं.