क्या यह हॉर्न जरुरी था/है ?
आप कार चला रहे हैं. चलते चलते आप ने देखा कि आप ट्रैफिक
जाम में फंस गए हैं. आप हॉर्न पर हॉर्न बजा रहे है; .....अफ़सोस कोई फायदा नहीं हो
रहा है; आप तो जाम में ही हैं. परन्तु क्या आप, कभी सोचते हैं कि क्या ये हॉर्न पर
हॉर्न जरुरी थे/हैं; क्या जाम क्लियर हो रहा है, क्या आप हॉर्न के प्रेशर के साथ
साथ ट्रैफिक में आगे बढ़ रहे हैं ?
एक दिन मैं अपने एक साथी के साथ पहली बार उसकी
कार में बैठा. मैंने महसूस किया कि वह अत्याधिक हॉर्न बजा रहा था. मैंने पूछा कि
इतना हॉर्न क्यों बजा रहे हो. उसका उत्तर था कि ऐसा करने से रास्ता जल्दी साफ़ होता
है. यह एक डिग्री होल्डर इंजिनियर का उत्तर था. मैंने कहा चलो कुछ् मिनट बिना
हॉर्न बजा कर चला कर देखो –क्या कुछ देर होती है. परन्तु वे सज्जन बिना हॉर्न के कार
चला ही नहीं पा रहे थे. अत: कोई दुर्घटना न हो जाये, यही सोच कर ये ही निर्णय हुआ
कि आप जैसे चलाते हो वैसे ही चलाओ (और हॉर्न बजाओ)
अनेक दुपहिया वाहन चलने वालों का तो बहुत सरल उत्तर
होता है कि “मैं तो जब ब्रेक दबाता हूँ, साथ साथ हॉर्न भी बजाता हूँ. दोनों एक्शन साथ
साथ, स्वचालित हैं”.
तो यह अर्थात अत्याधिक हॉर्न बजाना केवल एक आदत
मात्र है और अधिकतर हॉर्न सहज रूप से बिना सोचे समझे बजाया जाता है.
कई बार आप किसी रेड लाईट पर खड़े हैं, रेड लाईट ग्रीन
होते ही, अभी आप को यह मौका भी नहीं मिला कि आप क्लच दबा कर गीयर बदले कि हॉर्न पर
हॉर्न शुरू हो जाते हैं. अरे भाई, मैं क्या यहाँ सोने आया हूँ, मैं भी तो गाडी चला
रहा हूँ. दो सेकण्ड का सब्र तो करो.
ऐसे ही, कभी आप की कार किसी कारणवश बंद हो जाती
है. इस से पहले कि आप गीयर नीयुट्रल में करें
और री-स्टार्ट करें, बस हॉर्न पर हॉर्न जैसे कि आप सड़क पर बैठक जमाने वाले हैं.
क्या आप भी ऐसा करते हैं अर्थात हॉर्न पर हॉर्न ?
आप सभी से निवेदन है कि हॉर्न बजाने से पहले, कृपया
यह सोचने की आदत डालें कि मैं यह हॉर्न क्यों बजा रहा हूँ; क्या मुझे इस से कोई
लाभ है, क्या मैं किसी अन्य को सचेत कर रहा हूँ. वास्तव में हॉर्न का उद्देश्य तो केवल
यही है कि आप किसी दूसरे को सचेत कर रहे हैं. लेकिन हमारे यहाँ, क्योंकि हॉर्न “फ्री
फॉर आल” है तो बस-शोर मचाये जा और वाहन चलाये जा.
आदतें तो बदल सकती हैं परन्तु यदि आप स्वं चाहें
तो.
आइये कोशिश करें.
(वीरेन्द्र कुमार
गुप्ता)