*परमपिता परमात्मा के द्वारा इस समस्त सृष्टि में चौरासी लाख योनियों का सृजन किया गया , जिसमें सर्वश्रेष्ठ बनकर मानव स्थापित हुआ | मनुष्य यदि सभी प्राणियों में सर्वश्रेष्ठ है तो उस का प्रमुख कारण है मनुष्य की बुद्धि , विवेक एवं विचार करने की शक्ति | मनुष्य यदि अपने विचार शक्ति पर समुचित नियंत्रण करके सकारात्मकता के साथ संचालन कर ले तो वह इसके माध्यम से विद्युत की भांति बड़े से बड़े कार्य भी संपन्न कर सकता है , परंतु जिनके विचार अनुशासित नहीं है जिनका अपने विचारों पर नियंत्रण नहीं है वह स्वयं को नष्ट तो करते ही हैं साथ ही अपने आस पास के लोगों के लिए घातक ही सिद्ध होते हैं | नियंत्रित एवं सकारात्मक विचार एक मित्र की तरह मनुष्य की रक्षा एवं सहायता करता है तो नकारात्मक एवं अनियंत्रित विचार शत्रु की भाँति घातक होता है | विचार की शक्ति अद्भुत है , विचार करने की शक्ति का संचय करके हमारे मनीषियों ने नित्य नवीन अनुसंधान किये हैं जिनका लाभ सम्पूर्ण मानव जाति ले रही है | इतिहास साक्षी है कि नकारात्मक एवं अनियंत्रित विचारों के वशीभूत होकर ही त्रैलोक्य विजयी , प्रकाण्ड विद्वान , एवं उच्चकुल में जन्म लेने वाला रावण कुल समेत नष्ट तो हो ही गया साथ ही युग व्यतीत हो जाने के बाद भी निन्दा का ही पात्र बना हुआ है | नियंत्रित एवं सकारात्मक विचार का इतना महत्त्व है कि उसी कुल में उत्पन्न विभीषण कल्प भर लंका में शासन करता रहा | इसीलिए मनुष्य को अपने विचार क्षमता का आंकलन करके उसे सकारात्मक दिशा में मोड़ना चाहिए | विचारों का तेज मनुष्य को ओजस्वी बनाकर नित्य नई सफलता दिलाता रहता है | प्रबल विचार शक्ति वाले कभी भी , किसी भी क्षेत्र में पराजित नहीं होते हैं |*
*आज के भागदौड़ भरे जीवन में मनुष्य को किसी भी विषय पर विचार करने का पर्याप्त समय ही नहीं पा रहा है | स्वयं को आधुनिकता के मकड़जाल में फंसाकर मनुष्य अपने संस्कारों , संस्कृति एवं परिवेश के विपरीत कार्य करता हुआ देखा जा सकता है | अपनी विचार शक्ति को जागृत एवं प्रबल बनाने की अपेक्षा आज का मनुष्य सबकुछ नकल करके ही कर लेना चाहता है | आज समाज में जिस प्रकार अनाचार , पापाचार बढ़ रहा है उसका प्रमुख कारण यही है कि मनुष्य के विचार अनियंत्रित एवं नकारात्मक होते जा रहे हैं , जिसके कारण मनुष्य अपराधी बनकर जीवन व्यतीत कर रहा है | मैं "आचार्य अर्जुन तिवारी" यही कहना चाहूँगा कि यदि प्रत्येक मनुष्य के विचार मांगलिक हैं तो वह इसी धराधाम पर स्वर्ग की अनुभूति कर सकता है | अनियंत्रित विचार के वशीभूत होकर मनुष्य कुछ ऐसे कृत्य कर देता है कि उसका सुखमय जीवन भी नारकीय हो जाता है | मनुष्य को सदैव अपने विचारों पर नियंत्रण रखना चाहिए क्योंकि जहाँ मनुष्य के विचार स्वतंत्र होते हैं वहीं उनको कलंकित होना पड़ता है जिसके फलस्वरूप मनुष्य नरक की भीषण ज्वाला में जलने लगता है | विचारों की शक्ति बहुत ही प्रबल एवं तीव्र है इसकी चपेट में आने से संसार की कोई शक्ति नहीं बचा सकती , इससे वही बच पाता है जिसका अपने विचारों पर नियंत्रण है |*
*मनुष्य को सुख - दुख , सम्मान - अपमान या किसी भी परिस्थिति में सदैव अपने विचारों पर नियंत्रण बनाये रखना चाहिए | जो प्रबुद्ध हैं वे अपने विचार शक्ति के माध्यम से इस संसार में सब कुछ प्राप्त करके ईश्वर को भी पा जाते हैं |*