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ब्लैक

29 अगस्त 2019

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काले रंग को बहुत से धर्म और प्रांतो के लोग अशुभ मानते है ।इसे अनहोनी अशुभ समाचार तथा अनिष्ट की आशंका से जोड़ जाता है ।इसे अंधकार निराशा,हार और बुराई का प्रतिक भी माना जाता है ।संक्षेप में कहुँ तो काले रंग को नकारात्मकता का प्रतीक माना जाता है ।परन्तु क्या काला रंग सचमुच इतना अशुभ है ?आप सभी कोयल पक्षी के बारे में जानते होंगे । शायद ही ऐसा कोई पक्षी होगा जिसकी आवाज़ कोयल से भी अधिक मधुर मधुर हो ,परन्तु कोयल का रंग भी तो काला ही होता है । भगवान श्री कृष्ण जिन्हे हम लीलापुरुषोत्तम भी कहते है, उनका रंग भी तो काला(साँवला ) ही होता है, परन्तु जहाँ उनका वास होता है वहाँ सारी बुराइयाँ और नकारात्मक शक्तियाँ अपने आप नष्ट हो जाती हैं । हम सब जानते है की रात काली होती है । कुछ लोगों का यह भी मानना है की अधिक्तर बुरी घटनाये रात में ही होती हैं । परन्तु क्या कभी आपने सोचा है की यदि रात ही ना हो तो हम आराम कब करेंगे और अगले दिन हमें काम करने की ऊर्जा कहाँ से मिलेगी? कभी निशाचर जानवरो जैसे उल्लू की दृष्टि से सोच कर देखिये रात ही वो समय है जब वे शिकार कर अपना पेट भर सकते हैं । उनके लिए तो उस काली रात का अँधेरा बहुत आवश्यक है । जब 15 अगस्त,सन 1947 को पंडित जवाहर लाल नेहरू जी ने भारतीयों को सम्बोधित करते हुए भारत की आज़ादी की घोषणा की थी तो वो अर्धरात्रि का ही समय था । उस रात का अँधेरा भारतियों के लिए एक नया उजाला लेकर आया था । आप को ज्ञात होगा की हिन्दुओं का सबसे पवित्र त्योहार दीपावली कार्तिक मास की सबसे अँधेरी काली रात को मनाया जाता है । आज हर समाज में ज्ञानार्जन को बहुत महत्व दिया जाता है । वह ब्लैकबोर्ड जो ज्ञान का स्रोत बनकर छात्रों का भविष्य सँवरता है ,उसका रंग भी तो काला होता है । क्या आप उसे भी अशुभ मानेंगे ?यदि काला रंग इतना ही अशुभ है तो बुरी नज़र से बचने के लिए काले रंग का टिका ही क्यों लगते हैं और शिवलिंग का रंग काला क्यों होता है? माँ काली जिनकी हम आराधना करते हैं उनका रंग भी तो काला ही है ?तो फिर आप ही बताइये की काला रंग अशुभ है या फिर ये बस हमारे नज़रिये का फेर है? संत कबीर ने कहा था बुरा जो देखन मै चला बुरा ना मिल्या कोई जो दिल खोजा आपना मुझसे बुरा ना कोई । नकारात्मकता किसी व्यक्ति या वस्तु में नहीं बल्कि हमारे विचारों में होती है । नजरिया बदलिए जीवन अपने आप बदल जायेगा ।

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28 अगस्त 2019
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1 सितम्बर 2019
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ऊँगली पकड़कर जो हमें चलना सिखाते है,लड़खड़ाने पर सबसे पहले सँभालने वही आते हैप्यार तो करते है पर जताते कभी नहीं हम पे मरते है पर बताते कभी नहींहमारी खुशियों के लिए जो खुद को जलाते हैतकलीफ में तो होते है पर अपना दर्द छुपाते हैहमारा पेट भरने के लिए खुद भूखे सो जाते है ख

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17 मार्च 2020
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मछली जिसमे रहती है , जिसे अपना घर कहती है, जल ही है वो जीवनधारा ,जो हर नदी में बहती है । कभी बारिश की बुँदे बनकर पौधों की प्यास बुझती है इठलाती और बलखाती फिर वसुधा की गोद में समा जाती है ।शक्ति जिसकी अपार है ,समुद्री जीवों का जो

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जी उठा पर्यावरण फिर से

26 अप्रैल 2020
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सब प्राणियों को गुलाम बनाने वाले अब घरों में कैद बैठे हैं सबको आँख दिखाने वाले न जाने क्यूँ सहमे से रहते है । बेख़ौफ़ घूम रहे हैं वो जो कभी जंगलों में छिपे रहते थे, और उनका शिकार करने वाले वह शिकारी न जाने किसका शिकार बन बैठे हैं ।पर्यावरण

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एक सवेरा ऐसा होगा

21 नवम्बर 2023
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दुःखों के बादल छोटेंगे जब,सुख का सूरज आएगा,एक सवेरा ऐसा होगा,जब प्रकाश अँधकार को मिटायेगा। उम्मीदों के आशियाने में ,जब कोई उत्साह का दीप जाएगा ,एक सवेरा ऐसा होगा,जो दिलों में जोश जगाएगा।मनुष्य भा

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