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लहरों को बाँधे आँचल में तुम....!

25 सितम्बर 2019

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लहरों को बाँधे आँचल में तुम....!

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लहरों को बाँधे आँचल में तुम

सागर उमड़ने को है अकुलाया

प्यासा भटकेगा युग-युग सावन

बूँदों को तूने ना लौटाया


लहरों को बाँधे आँचल में तुम

सागर उमड़ने को है अकुलाया


गजरे को बाँधे बालों में तुम

गुलशन सँवरने को है बौराया

यूँ हीं तड़पेंगे काँटे बेचारे

फूलों को तूने ना लौटाया


लहरों को बाँधे आँचल में तुम

सागर उमड़ने को है अकुलाया


किरणों को बाँधे नैनों में तुम

सूरज बिखरने को है कसमसाया

कैसे चमकेंगे अम्बर में तारे

चंदा को तूने ना लौटाया


लहरों को बाँधे आँचल में तुम

सागर उमड़ने को है अकुलाया



—कुँवर सर्वेंद्र विक्रम सिंह


*यह मेरी स्वरचित रचना है |


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