shabd-logo

अपराजिता

28 सितम्बर 2019

604 बार देखा गया 604
featured image

भागीरथी की धार सी,

कल्पांत तक मैं बहूँगी

अपराजिता ही थी सदा

अपराजिता ही रहूँगी।


वंचना विषपान करना ही

मेरी नियति में है,

पर मेरा विश्वास निशिदिन

प्रेम की प्रगति में है।

संवेदना की बूँद बन मैं,

हर नयन में रहूँगी !

अपराजिता ही थी सदा

अपराजिता ही रहूँगी।


पारंगता ना हो सकी

व्यापार में, व्यवहार में!

हरदम ठगी जाती रही

इस जगत के बाजार में।

फिर भी सदा सद्भाव का,

संदेश देती रहूँगी ।

अपराजिता ही थी सदा

अपराजिता ही रहूँगी।


मैं वेदना उस सीप की

जो गर्भ में मोती को पाले,

मैं रोशनी उस दीप की

जो ज्योत आँधी में सँभाले !

अंबुज कली सी कीच में

खिलती हूँ, खिलती रहूँगी !

अपराजिता ही थी सदा

अपराजिता ही रहूँगी ।।

मीना शर्मा की अन्य किताबें

आलोक सिन्हा

आलोक सिन्हा

यह बहुत ही अच्छी व् श्लाघनीय रचना है | शुभ कामनाएं |

28 सितम्बर 2019

1
रचनाएँ
Chidiya
0.0
मैं एक शिक्षिका हूँ। शैक्षणिक योग्यता एम ए, बी एड.लेखन शौकिया। आप मेरी रचनाएँ ब्लॉग https://meenashharma.blogspot.in पर भी पढ़ सकते हैं। 'अब ना रुकूँगी' नाम से मेरा एक कविता संग्रह प्रकाशित हो चुका है।

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए