69 वें "जन्म दिन" पर मेरा शुभकारी "फलादेश
सूर्य में राहु का उपद्रव- 2020 के बाद सुधार
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कहते सुना सबसे कि मैंने खोया हीं खोया।
टघरते आँसुओं की धार- पीया हीं पीया।।
दिल हुआ छलनी, वज़ूद ज़ार - ज़ार हुआ।
सब खोया मगर, तेरा मैं तेरा "प्यार" हुआ।।
शौहरत-दौलत की- कत्तई ख़्वाहिश न थी,
आफ़ताब के आगोश में शीतल, तुष्ट हुआ।
कौन (?) कहता है भला, मैं रे! बरबाद हुआ।
बाबा का प्यार झोली में भर चलता हीं रहा।।
🙏🙏🙏डॉ. कवि कुमार निर्मल🙏🙏🙏