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अयोध्या विवाद के फैसले का जनतांत्रिक परिप्रेक्ष्य

22 अक्टूबर 2019

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featured image__________________________________ अयोध्या में राम मंदिर और बाबरी मस्जिद विवाद पर सुनवाई खत्म हो चुकी है। सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की पीठ ने बरसों से चले आ रहे इस मामले की सुनवाई 40 दिनों में पूरी की है। इस मामले में गठित मध्यस्थता पैनल ने बुधवार को सुनवाई खत्म होने के बाद सीलबंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट को रिपोर्ट सौंपी है। अब पूरे देश को कोर्ट के फैसले का इंतजार है। इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की पीठ फैसला सुनाएगी। यह फैसला भारत जैसे विशाल लोकतांत्रिक व संवैधानिक राष्ट्र में किस दृष्टिकोण का निर्माण करेगा ? आइए एक नजर डालते है फैसले के मायने पर। हमें माननीय उच्चतम न्यायालय के सम्मान और गरिमा का ध्यान रखते हुए फैसले का पुर्वानुमान तथा भविष्यवाणी करने की भूल नहीं करनी चाहिए। फैसला जो भी आए, सभी भारतीयों को ससम्मान स्वीकार करके मानव संस्कृति और सभ्यता की रक्षा का परिचय देना चाहिए।  बाबरी मस्जिद विवाद 1992 में विध्वंस के बाद लम्बे समय तक कई अदालतों और जांच प्रक्रियाओं से गुजरने के बाद भारत की सर्वोच्च अदालत में पहुंचा है तो लोगों को निर्णायक फैसले की उम्मीद होना स्वाभाविक है। इस विवाद के घटनाक्रम का उल्लेख नहीं करके केवल फैसले के राष्ट्रीय पहलुओं की बात करते है। अयोध्या विवाद ने भारतीय राजनीति को लंबे समय तक प्रभावित किया है, चुंकि धर्म निरपेक्ष राष्ट्र होने के बावजूद भी इसकी आग संसद तक पहुंच गई । हिन्दू और मुस्लिम के बीच बिगड़ते सम्बन्धों की दरार को इस मुद्दे ने ओर भी चौड़ा करने का काम किया है। माननीय इलाहाबाद हाई कोर्ट ने पंथनिरपेक्षता की ओर मुड़ कर विवाद सुलझाने की कोशिश की लेकिन पूर्ण रूप से सभी पक्ष संतुष्ट नहीं हुए। अब माननीय उच्चतम न्यायालय से अपेक्षा होगी, कि यह विवाद हमेशा के लिए समाप्त हो जाए। फैसले कि प्रकृति की बात करे तो पंथनिरपेक्ष संविधान की रक्षार्थ माननीय न्यायपालिका ने इस विवाद को केवल भूमि विवाद के रूप में परिभाषित कर धर्म के प्रति तटस्था का संकेत दिया है। लेकिन यह विवाद लोगों की भावनाओं में भुमि विवाद से ज्यादा आस्था और धर्म को लेकर है। इसलिए यह फैसला ऐतिहासिक महत्व के साथ साथ राष्ट्र की आन्तरिक जनभावना के लिए महत्वपूर्ण होगा। न्यायपालिका ने भी इस चर्चित फैसले को अन्तिम रूप देने में अनेक विषयों को लेकर सावधानी बरतने की कोशिश की है। वर्तमान भारत में भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार है ।साथ ही राष्ट्रवादी भावना तथा हिंदूवादी विचारधारा का समर्थन भी है, इसलिए हिन्दू वर्तमान सरकार से मन्दिर के पक्ष की आशा रखते हैं। इसलिए फैसले पर ज़हन में सवाल उठते हैं कि भारतीय संविधान ने धर्मनिरपेक्ष शब्द ने सभी धर्मों की तराजू के पलड़ों को बराबर रखा है ,क्या इस फैसले से कोई पलड़ा उपर नीचे होगा? क्या बहुसंख्य हिन्दू लोगों की आस्था इस फैसले को प्रभावित करेगी? फैसले से ठीक पहले मन्दिर समर्थकों का भव्य मन्दिर का उद्घोष करना माननीय न्यायालय में अविश्वास के साथ-साथ हिन्दू राष्ट्रवादी सोच का संकेत होगा। ना ही किसी मस्जिद पक्षकारों को कोई आरोप प्रत्यारोप लगातार मस्जिद बनाने का उद्घोष करना चाहिए। भले ही शक्तिशाली सरकार हो जन आक्रोश हो न्यायव्यवस्था इनसे विचलित नहीं होगी। क्योंकि हमारी न्यायपालिका निष्पक्ष, स्वतंत्र, संविधान रक्षक, एकीकृत, सर्वोच्च और पंथनिरपेक्ष हैं। सभी सवालों के उत्तर मिल जाएंगे । हमें इस ऐतिहासिक फैसले को शान्त ह्रदय के साथ मानवतावाद,शान्ति , सोहार्द के लिए धर्म और स्वाभिमान से ऊपर उठकर स्वीकार करके आत्मसमर्पित करना चाहिए । ताकि देश में शांतिपूर्वक प्रगति में बाधक इस लम्बे समय की आग को शांत किया जा सके। हमें हमारी न्याय की सर्वोच्च अदालत में विश्वास के साथ पूर्ण आस्था हैं कि फैसला राष्ट्र में शान्ति, भाईचारे, लोकव्यवस्था आदि को मध्यनजर रखते हुए तथा न्याय सिध्दांत पर आधारित होगा। गौरतलब है कि माननीय न्यायमूर्तियों और अदालत के समक्ष इस भुमि विवाद का परिप्रेक्ष्य संवैधानिक और लोकतांत्रिक हैं
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अयोध्या विवाद के फैसले का जनतांत्रिक परिप्रेक्ष्य

22 अक्टूबर 2019
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__________________________________अयोध्या में राम मंदिर और बाबरी मस्जिद विवाद पर सुनवाई खत्म हो चुकी है। सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की पीठ ने बरसों से चले आ रहे इस मामले की सुनवाई 40 दिनों में पूरी की है। इस मामले में गठित मध्यस्थता पैनल ने बुधवार को सुनवाई खत्म होने के बाद सीलबंद लिफाफे में सुप्रीम

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पटेल की राह चलें भारत

31 अक्टूबर 2019
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आज भारतवर्ष सरदार पटेल की 144 वीं जयंती मना रहा है।भारत को राष्ट्रीय एकता सूत्र में बाधने वाले सरदार वल्लभभाई पटेल को लौह पुरुष भी कहा जाता है उन्होंने भारत की आजादी की लड़ाई में अग्रणी भूमिका निभाई और भारत के आजाद होने पर भारत देश के प्रथम गृहमंत्री के रूप में पदभार ग्रहण किया और अपने साहस भरे निर

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मेरी परछाई

13 नवम्बर 2019
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मेरी परछाई हरदम साथ चली।हर गांव शहर गली गली ।जो थे मेरे कर्म या थी कोई डगरमिलकर गले पल-पल साथ चलीं।मैं झुका संग झुकी मैं गिरा वह भी गिरकरहर इरादे में साथ चली।मेरी परछाई..............तन्हा सफर हो या रोशन रातेंसंग दूर तलक चली।सत्य की राह हो या हो मिथ्य पथ।बेबस बे जुबां चली।मेरी परछाई ..…............क

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कृषि प्रधान देश में किसान

16 नवम्बर 2019
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भारत कृषि-प्रधान देश है। साथ ही दुनिया की सम्पूर्ण आबादी के लिहाज से दूसरे पायदान पर है। देश की विशाल जनसंख्या को खाद्यान्न उपलब्ध करवाने में किसान पिछड़ने लगा है।यह किसान कृषि-कार्य करके अपना ही नहीं, अपने देश का भी भरण-पोषण करते है। गांवों में अधिकांश किसान ही बसते हैं। यही भारत का अन्नदाता है। यद

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लापरवाही के लाक्षागृह में बूझ गये चिराग

18 दिसम्बर 2019
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महज सात महीने पहले गुजरात के सूरत शहर में तक्षशिला कोचिंग सेन्टर में खोई सत्तरह जिंदगियों का ग़म देश भुला ही नहीं था कि दिल्ली के सदर बाजार इलाके में रविवार को सुबह लेडीज पर्स, बैग और प्लास्टिक आइटम बनाने की चार मंजिला फैक्टरी में भीषण आग लग गई। हादसे में 43 लोगों की मौत हो गई तथा 17 लोग बुरी तरह झु

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आतंकवाद के साये में कमजोर होता दक्षेस

24 दिसम्बर 2019
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शबांग्लादेश के तात्कालिक राष्ट्रपति जियाउर रहमान द्वारा 1970 के दशक में एक व्यापार गुट सृजन हेतु किए गए प्रयासों के परिणामस्वरूप दिसम्बर 1985 में दक्षिण एशियाई देशों के उद्धार के लिए दक्षेस जैसे संगठन को विश्व पटल पर लाया गया। यह संगठन सार्क या दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (दक्षेस) नाम से जान

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सूर्य ग्रहण एक खगोलीय घटना

26 दिसम्बर 2019
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आज सदी की सबसे खूबसूरत खगोलीय घटना।सूर्यग्रहण।अगर आप अपने बच्चों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण उत्पन्न करना चाहते हैं तो इस सौरमंडल में चन्द्रमा द्वारा सूर्य के प्रकाश को ढकने की घटना को दिखाएं समझाएं । डराए नहीं।भारत में पिछले हजार साल तक विभिन्न तर्क देकर अंधविश्वास और भ

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ऐ मां इक तूं ही तो है।

10 मई 2020
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ऐ मां इक तूं ही तो है।जो हर दम जीने की आस जगाती है।शैशव काल में वो हर जरूरतदूध हो या सूखा बिस्तर वो गर्मी की शुष्क रातों मेंडरावनी हवा के झोंको मेंफूल से कोमल शिशु कोमां तेरी लोरी ही तो चैन से सुलाती है।ऐ मां इक तूं ही तो है।जो हर दम जीने की आस जगाती हैं। नादान बचपन के दिनों आवारागर्दी और वो भ्

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