मौसिकी धड़कन में और गीत है बोलो में,
रक़्स चाल में है और निग़ारी है तेरे फ़न में.
फ़ना हो जाएंगे हम तेरी इस फ़नकारी पे,
ख़ुद ही दूर हो जाएंगे ना लगे इल्ज़ाम तुझपे .(आलिम)
मौसिकी धड़कन में और गीत है बोलो में,
रक़्स चाल में है और निग़ारी है तेरे फ़न में.
फ़ना हो जाएंगे हम तेरी इस फ़नकारी पे,
ख़ुद ही दूर हो जाएंगे ना लगे इल्ज़ाम तुझपे .(आलिम)