जिंदगी तू बता दे, ये सपने तो है पर रास्ता कहा
जब गले मौत के लगने ही है , तो दर्द से मुलाकात न करा
जख्म तो बहुत है पर , मरहम लागू कौन सा
ये लहू की लाली को भी मिट जाना,
फिर क्यों सुरमे से है, सजना सवारना
इस मुकद्दर ने भी क्या दिया ,
जवानी दिया तो बचपन छीन लिया
शि कवा तो नही जिंदगी से ,
शिकायत भी नहीं मौत से
बस रहम करना मरे खुदा,
जिस दिन जिंदगी रूठ जाये मुझसे
मै मौत के गले लगु खुशी से