हैदराबाद में बलात्कार के दोषी दरिन्दों के साथ
पुलिस ने जो किया वो वास्तव में बेहद सराहनीय है... सेल्यूट है पुलिस के उन
बहादुरों को... लेकिन अफ़सोस की बात है कि इस बात पर कुछ लोग “तथाकथित मानवाधिकारों”
के हवाले से अपनी राजनीतिक रोटियाँ सेंकने से भी नहीं चूक रहे हैं... इसी विषय पर
डॉ दिनेश शर्मा का दो टूक लेख जो आज ही उन्होंने पोस्ट किया था... जिससे पता चलता
है आम आदमी में इस काण्ड और इसके बाद की पॉलिटिक्स के लिए कितना गुस्सा है...
गोली मार भेजे में गर भेजा वहशत करता है – दिनेश
डॉक्टर
गलीज़ और घिनौने हिजड़े ( किन्नर समाज के लोग
नही) टाइप के नपुंसक लोग ही, जिनका न कोई व्यक्तित्व होता है और न ही जिनकी रीढ़ की हड्डी होती है,
बलात्कार जैसे घृणित अपराध में प्रवृत्त होते है । ये स्साले गंदी
नाली के ऐसे लिजलिजे कीड़े है जिनको जितनी भी सजा दो, कम है ।
ऐसे हरामियों की सज़ा सरेआम होनी चाहिए । इन वहशी दरिंदो को पुंसत्वहीन करना,
इनकी आंखे निकाल लेना, इनको अंगविहीन करना
बहुत छोटी सज़ा है ।
एक एकलौती और कमज़ोर लड़की पर चार छह लोग जंगली
भेड़ियों की तरह टूट पड़ें, उसके शरीर को
प्रताड़ित करें , उसका बलात्कर करें और फिर उसको जला कर मार
डालें । सस्ती पब्लिसिटी के लालच में टेलीविजन पर अपना भद्दा थोबड़ा दिखाने ह्यूमन
राइट वाले इन जानवरों के हितैषियों को शर्म नही आती कि ये किनके मानवाधिकार की बात
कर रहें है । मुझे हैरानी है कि किस कनविक्शन से ये जमात चश्मे टाई लगाकर सूट
पहनकर अंग्रेजी में टेलीविजन एंकरों और पत्रकारों को दुनिया के ह्यूमन राइट्स की
बात समझा रही है । खुदा न करे अगर इनकी बहिन बेटी के साथ ऐसा अमानवीय और घिनौना
कृत्य हुआ होता तो हम देखते कि इनकी मानवाधिकार की अंग्रेजी कहाँ से घुसती और कहाँ
से निकलती । इनका बस चले तो ये आदमखोर शेरों, पागल हाथियों
और सीरियल किलर्स के भी अ+मानवीय अधिकारों की बाते करें । आपको पता है न कि बहुत
सारे NGO के ज़रिये ये इनका पैसा और पब्लिसिटी पाने का धंधा
है ।
जिन पुलिसवालों ने अपने कैरियर पर सारे रिस्क्स
और तकलीफों को जानते और समझते हुए अगर उनका सच्चा एनकाउंटर किया तो उनको बारम्बार
प्रणाम और अगर उनको उनके किये की सोच समझ कर पूरी प्लानिंग से सज़ा दी तो उनको
साष्टांग दंडवत प्रणाम । मेरी गुज़ारिश है कि देश की हर माता, हर बहिन, हर भाई, हर पिता ,
दादा दादी- नाना नानी,
त्वरित इंसाफ के इन महानायकों को करोड़ो करोड़ो आशीर्वाद दें ।
इनके लिए प्रार्थना करें और यदि अ+मानवीय अधिकार वाले न्याय के इन पांडवों के
खिलाफ कुछ षड्यंत्र करे तो इनके हक़ में पुरज़ोर आवाज उठाएं ।
ध्यान रहे कि अन्याय को सहना अन्याय को बढ़ावा
देना ही है । जस्टिस डिलेड इस जस्टिस डिनाइड । जो भेजा वहशी हो जाए उसका एक मात्र
इलाज उसमे गोली ठोकना है - सरकारी मेहमान बना कर बरसों तक सरकारी रोटियां खिलाना
नही ।