*परमात्मा ने सुंदर सृष्टि की रचना की तो मनुष्य ने इसे संवारने का कार्य किया | सृजन एवं विनाश मनुष्य के ही हाथों में है | हमारे पूर्वजों ने इस धरती को स्वर्ग बनाने के लिए अनेकों उपक्रम किए और हमको एक सुंदर वातावरण तैयार करके सुखद जीवन जीने की कला सिखाई थी | मनुष्य ने अपने बुद्धि विवेक से मानव जीवन में उपयोगी अनेक संसाधनों का आविष्कार किया जिसका उपयोग हम आज तक कर रहे हैं | सकारात्मक एवं नकारात्मक शक्तियां एक साथ इस धरा धाम पर उत्पन्न होती हैं , एक तरफ जहां सकारात्मक प्रवृत्तियों के लोग सृष्टि के सृजन में सहयोगी की भूमिका निभाते आए हैं वही नकारात्मक लोग इसका विनाश करते रहे हैं और विनाश करने वालों का क्या हाल हुआ है यह भी इतिहास बताता रहा है , परंतु इतिहास से सबक न लेना मनुष्य की आदत सी बन गई है | पूर्वकाल में जहां मनुष्य मानव धर्म का पालन करते हुए एक दूसरे के प्रति संवेदना , प्रेम एवं सहयोग की भावना रखता था जिसके कारण मानव मात्र का कल्याण होता रहता था | लोग पढ़े - लिखे तो कम होते थे परंतु उनको इतना ज्ञान अवश्य होता था कि क्या करना उचित है या अनुचित | हमारे पूर्वजों के इसी ज्ञान एवं सृजन तथा मानव मात्र के कल्याण के लिए किए गए कार्यों के कारण भारत विश्व गुरु कहां जाता था | परंतु धीरे-धीरे देश का विकास हुआ और लोगों ने शिक्षा ग्रहण करना प्रारंभ किया | इस आधुनिक शिक्षा ने जहां लोगों को उन्नतशील तो बनाया वही दूसरी ओर कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्होंने इस शिक्षा का दुरुपयोग करना प्रारंभ किया और मनुष्य अनेकों जातियों एवं धर्मों में विभाजित हो गया और भारत में जाति धर्म के नाम पर विनाश लीला प्रारंभ हो गई | मनुष्य ने मनुष्य को पहचानना बंद कर दिया | मनुष्य की पहचान जाति एवं धर्म के माध्यम से ही होने लगी | एक दूसरे का कत्लेआम आज मनुष्य ही कर रहा है | परमात्मा की सृष्टि में सहयोगी की भूमिका निभाने वाला मनुष्य आज विनाशक की भूमिका में दिखाई देने लगा है |*
*आज हमारे देश भारत में किसी भी विषय को लेकर के लोगों का समूह सड़कों पर निकलता है और उसे आंदोलन का नाम दे कर के आगजनी हिंसा एवं अनेक कई कार्य कैसे किए जाते हैं जो मानवोचित नहीं कहे जा सकते | लोगों का यह तर्क होता है कि ऐसे कार्य करके हुए अपनी बात सत्ता में बैठे लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं | आज चारों ओर भारत जल रहा है और इसे जलाने वाले कुछ नकारात्मक प्रवृत्ति के लोग ही हैं | मैं "आचार्य अर्जुन तिवारी" ऐसे सभी लोगों से यह जानने का इच्छुक हूं कि जब वे सृजन में भागीदारी नहीं कर सकते तो विनाश करने का अधिकार उन्हें किसने दिया है ?? जाति एवं धर्म के नाम पर हिंसा फैलाने वाले लोगों एवं कुछ नकारात्मक मानसिकता के राजनेताओं के चलते आज सुलगता हुआ भारत हमको देखने को मिल रहा है | किसी भी राष्ट्र का भविष्य छात्रों को कहा गया है परंतु आज का छात्र अपनी शिक्षा को छोड़कर के सड़कों पर आंदोलन करता हुआ दिखाई पड़ रहा है | विचार कीजिए की आगजनी एवं हिंसा करने वाले छात्र देश का भविष्य कैसे हो सकते हैं ?? कुछ लोगों के बरगलाने मात्र से आज देश का भविष्य जो आने वाले समय में देश के सृजन में सहयोग करने वाला था आज वह विनाश करने पर उतारू दिखाई पड़ रहा है | समय रहते हुए यदि जागृति नहीं हुई तो आने वाला समय और भी दुष्कर हो सकता है | अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर जो तांडव आज किया जा रहा है उस पर लगाम लगाने की आवश्यकता है नहीं तो शांत एवं सौम्य हमारा देश भारत इसकी आग में धू-धू करके जल उठेगा | बुद्धिजीवी मनुष्य की बुद्धि आज कुछ लोगों ने कुंठित कर रखी है | ऐसे लोगों को पहचान करके उनके मंतव्यों को समझना होगा तथा विनाश की अपेक्षा विकास में सहयोग करके मनुष्यता की स्थापना की मानसिकता बनानी होगी | आंदोलन करना गलत नहीं है अपनी बात सरकार तक पहुंचाने का शांतिप्रिय मार्ग भी हमारे महापुरुषों ने अपनाया है परंतु आज हिंसात्मक कार्य करके मनुष्य अपनी बात कहने की विधा बना रहा है जो कि आने वाले भविष्य के लिए बहुत ही घातक है |*
*आज जहां देखो वहां भारत जल रहा है | भारत स्वतंत्र अवश्य है परंतु कितनी स्वतंत्रता कहां तक उचित है ? यह विचार करने का विषय है ! और देश के उच्च पदों पर बैठे हुए महानुभावों को इस पर विचार अवश्य करना चाहिए |*