हाय पैसे तूने क्या किया ?
हाय पैसे तूने क्या किया,
मनुष्य को मनुष्य न रहने दिया,
सारे बंधन और रिश्ते तूने,
यों ही तोड़ा,
मर्यादा तूने क्यों तोड़ा,
हाय पैसा तूने क्या किया।
मानव जन को तूने,
कौन-सी खायी में ढकेला,
सारी संवेदना की पड़ताल कर,
मनुष्य को संवेदनहीन कर छोड़ा,
हाय पैसा तूने क्या किया?
भाई- भाई के बीच तूने दीवार बन,
भाईचारा को कहीं न छोड़ा,
रिश्ते सारे तौले गए हैं,
आज पैसे तौले जाते,
लोग फिर बाद में पश्चाताते,
हाय पैसा तूने मुझे कहीं का न छोड़ा ।।
प्रेम, दया, करुणा, सद्भावना,
सारी मानवता मर गई,
तेरे आगे झुक गई दुनिया सारी,
पैसे तूने ये क्या किया?
द्वारा- वीरेन्द्र कुमार पटेल (पिनाक)