क्या !....... मुश्किल है ? क्या...... मुश्किल है ! स्वयं के विकास के लिए दूसरे को न गिराना? अपने स्वार्थ से ऊपर उठकर अपनी ज़िम्मेदारी ईमानदारी से निभाना ? भीड़ न बनकर कुछ अलग करना ? वह अलग ,जो दूसरों को राह दिखाए। क्या...... मुश्किल है ! आज की पीढ़ी को अपने इतिहास के महान कवियों , लेखकों और महापुरुषों से परिचित करवाना ? जिनके लिए समाज और देश हित ही सर्वोपरि था । स्वाभिमान और अभिमान का अंतर समझना और समझाना? आज़ादी के सही मायने और बराबरी की सोच के साथ , यह बताना कि सीखना ही जिंदगी है ,कोई भी परिपक्व नहीं हो सकता ? क्या...... मुश्किल है ! बच्चों की परीक्षाओं मे उनपर अंकों का दबाव न डाल कर उनका साथी बन जाना ? आज अंकों की होड़ मे ज्ञान पीछे छूट रहा है। क्या मुश्किल है , बच्चों को यह बताना की परीक्षाएँ दबाव नहीं , प्रतिभा दिखाने का अवसर हैं ? क्या...... मुश्किल है ! शिक्षा संस्थानों के बढ़ते व्यापार पर प्रश्न उठाना ? क्योंकि कैसी भी मिलावट रोकी जा सकती है । मगर देश के भविष्य में मिलावट का परिणाम हमारी सोच से भी कहीं अधिक घातक होगा । दोस्तों , आज ज़रूरत है, स्वस्थ सोच की , क्योंकि ,स्वस्थ सोच से ही समाज और देश का विकास संभव है । परमजीत कौर 22.01.2020