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चिंता माता पिता की ,

15 फरवरी 2020

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एक समय था जब लोग कहते थे,लड़किया पढ़ नही सकती ,लड़किया लड़को के बराबरी नही कर सकती ।लड़किया बोझ होती है,लड़किया बाहर नही निकल सकती। लेकिन ये सब गुजरे जमाने की बातें हो गयी। आज जमाना और समय दोनो तेजी से बदल रहा है।आज लड़किया पढ़ रही है और पढा भी रही है।और भी बाकी के छेत्रो में भी अपनी हुनर का परचम लहरा रही है।वे कदम कदम पर साबित कर रही है कि वो किसी भी हुनर में लड़कों से कम नही है । लेकिन आज की लड़कियां ,तेज रफ्तार जीवन और एक दूसरे से आगे निकलने की चाह में अधिक्तर समय घर से बाहर रहती है।और जब तक लाड़ली बिटिया लौटकर घर वापस न आजाये ,माता पिता को चिंता लगी रहती है ।मुश्किल तो तब और बढ़ जाती है,जब बच्चे अपने माता पिता से अपने साथ होने वाले छोटी मोटी हादसों को छुपाने लगते है।देखा जाय तो जन्म से लेकर शादी तक या शादी के बाद तक लड़किया अपने माँ के करीब सबसे ज्यादा होती है।ऐसे में एक माँ की जिम्मेदारी और बढ़ जाती है ।माँ सिर्फ माँ नही होती बल्कि सुरुआती गुरु भी होती है ।बेटिया माँ की प्रतिबिम्म होती है।इसलिए बेटियो को संभालने की जिम्मेदारी भी सबसे अधिक होती है।जिस तरह हर बेटो के लिए आइडियोलॉजी उसका पिता होता है ,उसी तरह हर बेटी के लिए आइडियोलॉजी उसकी माँ होती है।आज देश मे जो उल्टे सीधे घटनाये हो रही है।और हमारे ही देश के कई हिस्सो में तो बेटियो के साथ बहुत बुरा हुवा। समाज मे अच्छे बुरे दोनो तरह के लोग रहते है,इन्हें पहचानना बहुत मश्किल काम है।ऐसे में एक माँ कुछ जरूरी सावधानियां और कुछ जरूरी टिप्स दे कर अपने लाडली के साथ होने वाले अनचाहे घटना के सम्भावना को खत्म कर सकती है।जैसे ,घर का माहौल खुशनुमा रख्खे ,बेटियो के प्रति माँ का आचरण एक दोस्त की तरह होनी चाहिए,अपने लाडली के साथ हर बात जो सेयर करने लायक शेयर करे,उसके दिल की बात जानने की कोशिश करे ,लड़की के कहि आने जाने को लेकर समय का रख्खे ख्याल,सुनसान इलाको से देर समय न गुजरे ,लड़कियों को कहि जाना होतो पिता या सगा भाई के अलावा खास और बिस्वास पात्र पर ही भरोसा करे हो सके तो कभी, कभी स्कूल या कार्य छेत्र का माहौल जानने की कोशिस करे । बच्चियों के आचरण पर भी रखे ध्यान। बेटिया है अनमोल,बड़े प्यार से इनका रखे ध्यान

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