मछली जिसमे रहती है ,
जिसे अपना घर कहती है,
जल ही है वो जीवनधारा ,
जो हर नदी में बहती है ।
कभी बारिश की बुँदे बनकर
पौधों की प्यास बुझती है
इठलाती और बलखाती फिर
वसुधा की गोद में समा जाती है ।
शक्ति जिसकी अपार है ,
समुद्री जीवों का जो संसार है ,
पंचतत्वों में से एक है वो ,
जो जीवन का आधार है ।
जिसकी शीतलता को पाकर
अग्नि भी शांत हो जाती है ,
जल ही है वो जीवनधारा
जो हर आग बुझती है।
सभी जीवों की जान है पानी
जीवन का जन्मस्थान है पानी ,
हर प्यासे की जो प्यास बुझा दे
उस अमृत का नाम है पानी ।