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यादें

21 मार्च 2020

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अपने बाबा का लाडला मैं बचपन से ही रहा | जब वह मुझे स्कूल छोड़ने जाते थे , उनका कोई शिक्षाप्रद कहानी सुनाना मुझे बहुत अच्छा लगता था |  फिर छुट्टी में स्कूल के बाहर पहले से ही इंतजार में खड़े बाबा मन में समा जाते थे |  शाम को घुमाने ले  जाना, गर्मियों में आइसक्रीम दिलाना, कितना सुखद बचपन था मेरा बाबा के साथ |  पिताजी तो अपने व्यवसाय की वजह से कहां समय दे पाते थे मुझे, लेकिन बाबा मेरी हर फरमाइश को पूरा  करने की हिम्मत रखते | हम तीन भाई -बहनों में शायद मैं ही सबसे ज्यादा चहेता रहा उनका | मां तो अक्सर ही घर के कामों में उलझी रहती, लेकिन चाहती वह भी मुझे की सबसे ज्यादा | कभी कोई फरमाइश पूरी ना कर पाते बाबा तो मां अपने जुड़े पैसों में से निकाल कर देती और हमेशा  मेरा ध्यान रखती | समय बीतने के साथ मैं बड़ा होता गया लेकिन बाबा हमेशा ही मुझे बच्चे की तरह प्यार करते रहे | वह हमेशा मुझे शिक्षा देते जीवन में कभी हार नहीं माननी चाहिए, भाग्य भी उसी व्यक्ति  का साथ देता है जो साहसी होता है | जब मैं कॉलेज में पहुंचा तो पिताजी को अचानक व्यवसाय में घाटा लग गया उनकी तबीयत भी खराब रहने लगी | ऐसे में मां ने हिम्मत नहीं हारी अपने तिनके तिनके करके जोड़े रुपए से मेरी पढ़ाई जारी रखी | बहने दोनों बड़ी थी जिनकी शादी हो चुकी थी | पिताजी की बीमारी  का खर्च और मेरी पढ़ाई का खर्च इसके अलावा घर में हम चार सदस्य - मैं, बाबा, मां और पिताजी का घर खर्च, सच बड़ा ही कठिन  समय आ गया, लेकिन मां की हिम्मत की दाद देता हूं | उनके एक-एक करके सारे गहने बिग गए फिर भी कभी हार नहीं मानी और मेरी पढ़ाई पूरी करवाई | धीरे - धीरे पिताजी की तबीयत मे भी सुधार होने लगा | पिताजी नौकरी करने  लगे जिससे घर खर्च चलाने में कुछ आसानी हो गई थी | स्नातक की परीक्षा का परिणाम आया तो मन फूला नहीं समाया | पूरे कॉलेज में प्रथम स्थान आया था मेरा | मां तो और आगे पढ़ाना चाहती थी, लेकिन घर के हालात कुछ ठीक नहीं थे इसलिए नौकरी करने की ठान ली | लगातार छह महीने धक्के खाए, नौकरी नहीं मिली | लेकिन जब भी हार मानता तो बाबा की बचपन में सुनाई कहानी फिर मन में इतना जोश भर देती कि एक बार फिर उठ खड़ा होता अपनी मंजिल की तरफ  बढ़ने को | फिर ऐसे में बाबा का प्रतिदिन मेरा साहस बढ़ाना मेरी हार को भी जीत में बदल देता था | कुछ समय बाद पिताजी के एक मित्र ने दिल्ली में मेरी नौकरी लगवा दी | नौकरी छोटी थी परंतु मैंने घर के हालात देखते हुए करना ही उचित समझा और चल दिया दिल्ली | जब बाबा और पिताजी घर से  रेलवे स्टेशन छोड़ने आए तो मां चाहा कर भी अपने आंसू रोक नहीं पायी और उनसे जल्दी ही अच्छी नौकरी मिलते ही सब को दिल्ली ले जाने का वादा कर दिया मैंने और फिर स्टेशन पर बाबा का गाड़ी के साथ - साथ चलते हुए आंखों से गिरते हुए आंसू को देखकर मैं भी कहां  रोक पाया अपने आंसू | शायद कभी घर से दूर नहीं रहा इसलिए बहुत कठिन लग रहा था | धीरे - धीरे मेरा काम मैं मन लग गया | घर से जब भी फोन आता मुझे सब की बहुत याद सताती थी | बाबा हमेशा फोन पर बोलते साहस कभी मत छोड़ना अपने को कभी भाग्य के भरोसे मत छोड़ना क्योंकि भाग्य तो साहसी व्यक्ति का ही साथ देता है | समय गुजरता गया और फिर एक दिन मन खुशी से झूम उठा | मुझे एक कंपनी मे सीनियर मैनेजर की जगह मिल गई | यह सब बाबा की ही शिक्षा का नतीजा था | अनेकों बधाई संदेश आने लगे, ऐसे में यह खुशी सबसे पहले बाबा तथा मां को  देना ही  उचित समझा | जैसे ही मैं फोन के पास पहुंचा, फोन की घंटी बजी, मन में विचार आया कहीं बाबा को पहले ही आभास तो नहीं हो गया मेरी तरक्की के बारे में और उन्होंने भी बधाई देने के लिए फोन किया हो | तभी मैंने फोन उठाकर कान  से लगाया तो रिसीवर हाथ से छूट गया | हाथ कांपने लगे |  हां फोन पिताजी का ही तो था, कैसे सुन पाता आसानी से बाबा नहीं रहे | तुरंत कंपनी की गाड़ी से अपने पैतृक  निवास की ओर चल दिया | रास्ते में  उनका रेल के साथ दौड़ना, उनकी शिक्षाप्रद कहानियां सुनाना, मुझे गोद में उठाकर स्कूल छोड़ना और लेकर आना सब कुछ एक ही पल में आंखों के सामने घूमने लगा | घर पहुंच कर आंसू रोक नहीं पाया मैं और बाबा की कुर्सी पर निढ़ाल सा जा बैठा | आज उन्हें हमसे बिछड़े हुए 11 साल खो गए लेकिन मैं उन्हें पल भर के लिए भी नहीं भूल पाया | उनकी याद हमेशा मेरे दिल में बसी है जिसे भुलाना मूश्किल ही नहीं असंभव है |
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बेटे की इच्छा

2 जून 2016
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जब भी पडोसी श्याम सुन्दर जी से बात होती तो मै अपने ऊपर गर्व सा महसूस करने लगता. श्याम जी तीन बेटियों के बाप थे और बेटा नही दिया था भगवान ने. उनकी बातो में सदा इसका दुःख छिपा होता जबकि मै  एक बेटे  का बाप होने के नाते अपने आप को उनसे ऊपर समझने लगा. बातो से तो वो भी कुछ ऐसा ही प्रकट करते. हम दोनों ही 

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यादें

21 मार्च 2020
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अंतिम विदाई

22 मार्च 2020
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बरसात का मौसम था | शाम से ही हल्की-हल्की बारिश होते - होते रात में कडकडाती बिजली के साथ किसी तूफानी घटना की ओर इशारा करने लगी । पत्नी तो मेरी बाहों में बंधते ही मेरे प्यार को रो

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एक साथ

30 मार्च 2020
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ट्रेन स्टेशन छोड़ चुकी थी । मैं दौड़कर अंतिम कंपार्टमेंट में चढ गया। सामने वाली बर्थ पर केवल एक लड़की बैठी थी । गुलाबी सूट में खिड़की की चौखट पर कोहनी रखे मुंह को हथेली पर टेके हुए खिड़की से बाहर देख रही थी । ठंडी हवा के तेज झोंके उसके रेशमी काले बालों को पीछे की ओर उड़ा रहे थे । वह अपनी धुन में खोई

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काश

17 अप्रैल 2020
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इन बच्चों ने तो जीना हराम कर दिया है। वे हताश छत की ओर देखने लगे , मानो कोई उनके सिर पर कूद रहा हो। उस फ्लैट सिस्टम सोसाइटी में मिस्टर एंड मिसेज राणा अपना रिटायरमेंट जीवन व्यतीत कर रहे थे । चारों ओर सकून और हरियाली थी सोसाइटी में । लेकिन , इस बार फर्स्ट फ्लोर चार लड़क

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शन्टी की मम्मी

16 जुलाई 2021
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करवटें बदलते बदलते बहुत रात हो गई पर आज नींद नहीं आ रही थी। मन में कुछ अजीब सी बेचैनी और घबराहट बार-बार किसी अनिष्ट को सोचने पर मजबूर कर रही थी, लेकिन मैं अपने दिल को मेरी पत्नी अनामिका की कहीं बात याद करके समझा रहा था, कि उम्र के इस पड़ाव में नींद कम ही आती है और ख्याल ज्यादा आते हैं। इसी बेचैनी मे

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हरितालिका तीज

30 अगस्त 2022
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हमारा देश भारत त्योहारों का देश है। यहां अनेक त्योहार धूमधाम से खुशी और उमंग के साथ मनाए जाते हैं। इन त्योहारों में हिंदुओं का एक त्यौहार हरितालिका तीज का है, जिसे कजली तीज भी कहते हैं। यह त्योहार यहा

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ग्लोबल वार्मिंग

2 सितम्बर 2022
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ग्लोबल वार्मिंग जब वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ जाती है, तो वायुमंडल के तापमान में बढ़ोतरी हो जाती है और धरती के तापमान में लगातार हो रही इस बढ़ोतरी को ही ग्लोबल वार्मिंग कहते हैं

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उदयनिधि स्टालिन

4 सितम्बर 2023
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उदयनिधि स्टालिनसनातन धर्म को खत्म कर देना चाहिए। उदयनिधि स्टालिन ने यह बयान देकर तूफान खड़ा कर दिया है। फिल्मकार से राजनेता बने उदयनिधि स्टालिन तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे और तमिलनाडु

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