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वो पहली मुलाकात

3 अप्रैल 2020

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जो देखा था तुमको पहली दफा तो लगा जैसे घने बादल की छाया हो वो सुबह का लगा हुआ मेकअप शाम तक धूल में मिलकर रंग काला पड़ आया हो जो पहली दफा कॉलेज के बाहर तुमको मिलने जो आ रहा था दिल दिमाग मन सब रेल की इंजन की तरह भाग रहा था तुम निकली थी कॉलेज से बाहर अपनी सहेलियों के साथ उनकी भीड़ में तमको पहचानना था एक अलग सा एहसास हुआ जब दीदार तो ये समझ आया फेसबुक की प्रोफाइल से तुम्हारी वो मेकअप उतरा हुआ चेहरा ज्यादा सुंदर नजर आया मैं रह गया हतप्रभ देख कर तुमको मानो किसी ने स्टेचू बोल कर चुप करा दिया हो मानो दिल दिमाग कहीं थम सा गया हो जैसे हो कोई टाइम मशीन एक पल के लिए सब रुक सा गया हो बस तुम्हारे नखरे और शर्मिला अंदाज देखर हो गया गया मैं तुम्हारा दीवाना अब तो बस एक ही ख्वाहिश थी तुमको अपना बनाना...तुमको अपना बनाना... 🖊️अनुज द्विवेदी

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