*इस संसार का नाम है मृत्युलोक , यहां जो भी आया है उसे एक दिन इस संसार का त्याग करके जाना ही है अर्थात जो भी आया है उसकी मृत्यु भी निश्चित है | मृत्यु कों आज तक कोई भी टाल नहीं पाया है इसका अर्थ यह नहीं हुआ कि जानबूझकर मृत्यु को गले लगाया जाय | मृत्यु को गले लगाना भी दो प्रकार का होता है :- एक तो लोक कल्याण के लिए यदि मृत्यु हो जाती है तो मनुष्य अमर हो जाता है | जैसे देश के सैनिक देश की रक्षा के लिए अपना बलिदान दे देते हैं और अमर हो जाते हैं , वहीं दूसरी ओर कुछ अराजक तत्व देश के विरुद्ध षडयंत्रकारी अभियान में अपने प्राण गवा देते हैं उनको कोई नहीं जानता | इतिहास साक्षी है कि बड़े-बड़े धुरंधरों ने अपने जीवन के साथ खिलवाड़ करके मृत्यु को प्राप्त किया | त्रिकालदर्शी रावण को कौन नहीं जानता , उसके जैसा योद्धा एवं ज्ञानी पुरुष होना असंभव है , परंतु अपने कर्मों से वह ब्राह्मण होते हुए भी राक्षस कहलाया | रावण यद्यपि जानता था कि राम के हाथों से मृत्यु होनी है परंतु फिर भी उसने अपने को बचाने का कोई प्रयास नहीं किया और मृत्यु को प्राप्त हुआ | मथुरा का राजा कंस जानता था कि देवकीनंदन कृष्ण के हाथों उसकी मृत्यु होगी परंतु उसने स्वयं के बचाव का कोई उपाय नहीं किया और अंततोगत्वा दुर्गति को प्राप्त हुआ | कहने का तात्पर्य है कि मनुष्य का जीवन ईश्वर ने एक निश्चित अवधि के लिए दिया है इसका अर्थ यह नहीं हुआ कि जानबूझकर विषपान करके प्राण को गंवा दिया जाय | जब यह प्राण सकारात्मक एवं लोक कल्याणक कार्यों में जाते हैं तो इस जीवन का प्रयोग सफल हो जाता है अन्यथा रावण एवं कंस की भांति उस मनुष्य को समाज हेय दृष्टि से देखता है | प्रत्येक मनुष्य को अपने जीवन को सकारात्मक कार्यों में लगाना चाहिए | इस संसार में आदिकाल से दो प्रकार के लोग हुए हैं एक तो वह है जो समाज की रक्षा के लिए प्राणों की आहुति दे देते हैं और दूसरे वह होते हैं जो समाज की क्षति पहुंचाने के लिए स्वयं भी अपने प्राणों की कर लेते हैं तथा इस सुंदर जीवन को नष्ट कर देते हैं | मानव जीवन बड़े ही सौभाग्य से प्राप्त होता है इसकी रक्षा करते रहना प्रत्येक मनुष्य का उद्देश्य होना चाहिए |*
*आज पूरा संसार मृत्यु के तांडव से भयाक्रांत हो करके अपने घरों में छुप कर बैठा हुआ है | "कोरोना" संक्रमण नामक काल के आगे विश्व की महाशक्तियां स्वयं को असहाय पा रही हैं | विश्व के सभी देशों में आज ऐसा देखने को मिल रहा है कि समस्त विश्व पूर्व की भांति आज भी दो भागों में बटा हुआ है | एक भाग तो है हमारे बहादुर चिकित्सकों एवं पुलिसकर्मियों का जो अपने प्राणों को दांव पर लगा कर के समाज की रक्षा करने के लिए एक योद्धा की भांति इस संक्रमण से युद्ध कर रहे हैं , दूसरी ओर रावण एवं कंस जैसे लोग अपने काल को जानते हुए भी स्वयं का बचाव नहीं कर पा रहे हैं और एक पूरे समाज के लिए स्वयं काल बने है | ऐसे लोग तर्क देते हुए कहते हैं कि हमें डरने की क्या आवश्यकता है जीवन और मृत्यु ईश्वर तो के हाथ में है | ऐसे सभी लोगों को मैं "आचार्य अर्जुन तिवारी" सनातन शास्त्रों में बताए गए दिशा-निर्देश को दिखाना चाहूंगा जहां स्पष्ट लिखा हुआ है कि :--"न देवा दण्डमादायू रक्षंति पशुपालवत् ! यं तु रक्षितुमिच्छंति बुध्दया संविभजंति तम् !! अर्थात् देवतागण चरवाहों की तरह डंडा लेकर पहरा नहीं देते | वे जिसकी रक्षा करना चाहते हैं, उसे उत्तम बुद्धि से युक्त कर देते हैं | जो भी मनुष्य ईश्वर या अल्लाह को यह कहकर उनका आधार ले रहा है की प्राणों की रक्षा ईश्वर करेगा यह उसकी मूर्खता है | यद्यपि यह सत्य है कि प्राणों की रक्षा करना ना करना ईश्वर का ही काम है परंतु इसके साथ ही यह भी सत्य है कि अपने प्राणों की रक्षा करने के लिए ईश्वर ने बुद्धि प्रदान कर दी है , उस बुद्धि का प्रयोग करके अपने प्राणों की रक्षा प्रत्येक मनुष्य को करनी चाहिए | कुछ जाहिल लोग आज एक पूरे समाज के लिए कोढ़ बनते जा रहे हैं जिनका यह मानना है कि जब तक ऊपरवाला नहीं चाहेगा तब तक हमारी मृत्यु नहीं होगी | यह वही लोग हैं जो जानबूझकर विषपान करने वालों की श्रेणियों में आते हैं और सारा दोष ईश्वर को देते हैं | ईश्वर ने मनुष्य को बुद्धि प्रदान की है उस बुद्धि का प्रयोग करके अपने प्राणों की आहुति सकारात्मक कार्यों के लिए की जानी चाहिए | एक तरफ कोरोना संक्रमण से युद्ध करने वाले योद्धाओं की जय जयकार संपूर्ण विश्व में हो रही है वहीं दूसरी ओर नकारात्मक मानसिकता के लोगों पर संपूर्ण विश्व क्रोधित भी है | अपनी स्थिति पर मनुष्य को विचार करना चाहिए हम कहां तक सही हैं और कहां तक गलत |*
*मृत्यु तो सबकी आनी है परंतु इसका अर्थ यह नहीं हुआ कि जानबूझकर कुएं में छलांग लगा दी जाय | जीवन बड़ा अनमोल इसे बचाने का प्रयास अंतिम समय तक मनुष्य को करना चाहिए साथ ही यह प्रयास करना चाहिए कि मृत्यु हो तो भी ऐसी हो जिसका गुणगान समस्त विश्व में हो |*