सकारात्मक जीवन की
कला
आज की ताजा ख़बर
क्या है? टीवी के समाचार चैनलों पर हम क्या ढूंढ रहे हैं?
समाचार पत्रों
की शीर्ष पंक्ति में हमें किसकी तलाश है?आखिर किसी बुरी ख़बर की हमें अपेक्षा
क्यों है?
क्या समाज में नकारात्मकता बढ़ रही है. अगर यह सच है तो
इसके लिए जिम्मेदार कौन है?क्या सोशल मीडिया,समाचार के दृश्य-श्रव्य
साधन व समाज के नेतृत्व करने वाले लोगों के नकारात्मक विचारों से हम प्रभावित हो रहे
हैं? यक़ीनन उपरोक्त सभी साधनों, वक्तव्यों का असर हमारे जीवन पर होता है.धर्म,
जाति,वर्ण-
भेद
को हथियार बनाकर कुछ स्वार्थी लोगों द्वारा आम जन को ठगने की प्रवृति समाज के स्वयंभू
ठेकेदारों की है, हमें उनसे स्वयं को बचाना होगा.
आइये, नकारात्मक विचारों से स्वयं को दूर कर खुशहाल जीवन
के कुछ सूत्र ढूँढें.
किसी ने सच कहा है कि हंसी सबसे बेहतरीन दवा है.उन परिस्थितियों में भी,जब
वो आपके अनुकूल न हो,हँसी आपको व आस-पास के माहौल को खुशनुमा बना सकती है.ऐसी
स्थिति में शायद आप हँसते हुए बुद्धू लगें पर यह आपकी रोनी सूरत से बेहतर होगी.याद
रखिये,अपनी परेशानियों से आपको स्वयं जूझना होगा.और यह सच है कि हंसी चेहरे की
मांसपेशियों के लिये शानदार व्यायाम है.
मुस्कराइये.हंसी की तरह आपकी मुस्कान भी दुनिया के सामने अपने आपको
प्रदर्शित करने का एक शानदार जरिया है.अजनबी स्थानों पर,अजनबी लोगों से संचार का
सर्वप्रथम साधन है. आपकी मुस्कान से एक सकारात्मक ऊर्जा निकलेगी, जिससे सकारात्मक
लोग आपकी ओर आकर्षित होंगे.
सदैव सकारात्मक सोचें.ऐसी पत्रिकाओं, पुस्तकों को अपना साथी बनायें जिससे
जीवन में कुछ प्रेरणा मिले.महान लोगों की जीवन गाथायें हमारा जीवन बदल सकती है.
टीवी पर आजकल जिस प्रकार का मनोरंजन परोसा जा रहा है,उससे हमारा या समाज का क्या
भला हो सकता है? सिनेमा हमें निरुत्साह कर सकता है,परन्तु यह हमारे चयन पर निर्भर
है.चौबीस घंटे के सिनेमा परोसने वाले चैनलों में से सत्तर-अस्सी के दशक की कोई
संवेदनशील अथवा हंसी से भरपूर फिल्म का चयन हमें ताजगी से भर देगी. परन्तु अति से
बचना होगा,क्योंकि इससे हम बोर हो सकते हैं.कभी इंग्लिश सब टाईटिल वाली प्रादेशिक
फिल्मों का मजा लीजिये.बेहतरीन कथावस्तु वाली बंगाली,दक्षिण भारतीय फ़िल्में एक नया
आनंद देंगी.
सकारात्मक विचारों वाले लोगों से मिलिये.हम जैसी संगत में रहेंगे
धीरे-धीरे हमारी सोच वैसी हो जायेगी.
लगभग हर विषय पर चुटकुले सुनाने वाला मित्र,संगीत में माहिर रिश्तेदार या
परिवार का कोई सदस्य जो आपके दिल के करीब हो,का साथ हमें सकारात्मक ऊर्जा से भर
देगा.कार्यस्थल पर,हमारे सकारात्मक विचारों से कार्य आसान हो जाता है और उत्पादकता
बढ़ जाती है. ऐसा ही व्यापार के सम्बन्ध में भी सच है.ग्राहक ऐसे दुकानदार से
बार-बार चीजें खरीदने जातें हैं जो उनका मुस्कराकर स्वागत करते हैं व किसी भी
वस्तु के बारे में संतोषप्रद उत्तर देते हैं.जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में यह लागू
होता है.
अच्छे मित्र बनिये.स्वयं के अच्छे मित्र बनें.स्वयं के बारे में सदैव
अच्छा सोचें.दूसरों के बारे में सकारात्मक विचार रखें.बात करते समय शब्दों का सही
चयन बिगड़े काम बना देता है.
दुनिया के सभी लोगों से परिचय होना संभव नहीं है.हम जिन्हें जानते
नहीं,उनके बारे में पहले से कोई राय बनाना उचित नहीं है. अजनबी लोगों के प्रति
दयालुतापूर्ण नजरिया हमारे व उनके जीवन को नई ऊंचाई पर ले जा सकता है.गरीब,
बेसहारा व मजदूरों के प्रति हमें सहानुभूति का भाव रखना चाहिए.
स्वस्थ जीवनशैली,स्वास्थ्यवर्धक भोजन,सकारात्मक सोच,व अच्छी संगति के
द्वारा अपना ख्याल रखें.
धूम्रपान व शराब के सेवन से दूर रहें.यह हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य
के हित में है.हम दूसरों को भी इसके लिये प्रेरित कर सकते हैं.
रोबिन शर्मा की पुस्तक ‘दी मोंक हू सोल्ड हिज फेरारी’ में एक ऐसे व्यक्ति
की कहानी के माध्यम से अनुशासित जीवन के बारे में बताया गया है जो पैसे कमाने की
होड़ में आराम नहीं करता,वक्त पर खाना तक नहीं खाता और न समय पर सोता है और अंत में
एक दिन ऑफिस में गश खाकर गिर पड़ता है.तब उसे अनुशासित जीवन जीने की कला सीखने का
ख्याल आता है और सब कुछ छोड़-छाड़ कर वह सन्यासियों के पास चला जाता है. इस कथा से
सबक लेने की जरूरत है.मनुष्य को कर्मयोगी होना चाहिए.परन्तु आराम करना भी जरूरी
है.पसंदीदा संगीत,या अपने किसी शौक को आराम का माध्यम बना सकते हैं.
अपने परिवार को समय दें.कुछ वक्त साथ बिताएं.कम से कम एक समय भोजन साथ
बैठकर करें.इससे परिवार के सदस्यों में एक सूत्रता का भाव बढेगा.