29 अप्रैल 2020
कविता मन का आह्लाद,
मंथन, संशय और पीड़ा है
कविता जग की गाथा है
कवि के मन में जो भी आता है
उकेरी लकीरों में- बह जाता है
संचित अपना सब कुछ दे कर भी
रिक्त होता नहीं, समृद्ध रह जाता है
आसु कवि करता सुधिजनों को तुष्ट
मित्रों का अंतरंग सहज बन जाता है
साहित्यकारिता में प्रवीण- निष्णात
सर्वजनों हेतु कल्पतरु बन जाता है
कविता कवि का परिचय है
कविता मन का आह्लाद,
मंथन, संशय और पीड़ा है
कविता जग की गाथा है
डॉ. कवि कुमार निर्मल
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