विज्ञात छंद
मुक्तक एक प्रयास
देख लगे न कोरोना
हाथ हमें सदा धोना
दूर रहो करो बातें
जान कभी नहीं खोना।
देख बड़ी महामारी
जीवन पे पड़े भारी
चूक गया जहाँ कोई
साथ चली नहीं हारी।
अभिलाषा चौहान'सुज्ञ'
स्वरचित मौलिक
4 मई 2020
विज्ञात छंद
मुक्तक एक प्रयास
देख लगे न कोरोना
हाथ हमें सदा धोना
दूर रहो करो बातें
जान कभी नहीं खोना।
देख बड़ी महामारी
जीवन पे पड़े भारी
चूक गया जहाँ कोई
साथ चली नहीं हारी।
अभिलाषा चौहान'सुज्ञ'
स्वरचित मौलिक