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ऐ मां इक तूं ही तो है।

10 मई 2020

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featured imageऐ मां इक तूं ही तो है। जो हर दम जीने की आस जगाती है। शैशव काल में वो हर जरूरत दूध हो या सूखा बिस्तर वो गर्मी की शुष्क रातों में डरावनी हवा के झोंको में फूल से कोमल शिशु को मां तेरी लोरी ही तो चैन से सुलाती है। ऐ मां इक तूं ही तो है। जो हर दम जीने की आस जगाती हैं। नादान बचपन के दिनों आवारागर्दी और वो भ्रमण वो धूप और वो आंधी थक कर सो जाते बच्चे भूखे ही मां तुं ही तो उठाकर खिलाती है। ऐ मां इक तूं ही तो है। जो हर दम जीने की आस जगाती हैं। चिंतित रहने लगते तरूण उमड़े जब भविष्य की मन में सफलता का बोझ सिर पर लेकर उदास हुआ जब भी कोई मां तु ही तो आकर कमरे में इक उम्मीद जगाती हैं। ऐ मां इक तूं ही तो है। जो हर दम जीने की आस जगाती हैं। जब जब आई कोई बिमारी जब हुए कोई अपने ही बेखबर अक्सर पूछकर खाने पीने का हाल मां तूं ही तो जग कर कंबल ओढ़ाती है। ऐ मां इक तूं ही तो है। जो हर दम जीने की आस जगाती हैं। परिवार का जब बोझ बढ़ा जब आई कोई मुश्किल की घड़ी जब मुरझाया बेटे का चेहरा तभी खुलती पुरानी संदूक मां तुं ही तो पुराने मुड़े नोट देकर रुका काम निकालती है। ऐ मां इक तूं ही तो है। जो हर दम जीने की आस जगाती हैं। बेटी की याद में डूबी हुई बार बार इतलाती है बिटिया को ससुराल से लाने को अक्सर हठ करती है मां तु ही तो बेटी की सूरत खिलाती है। ऐ मां इक तूं ही तो है। जो हर दम जीने की आस जगाती हैं। जब मनमुटाव हो भाई भाई में संपत्ति हो या विवाद धन दौलत का मां तूं ही तो किस्से सुलझाती है। ऐ मां इक तूं ही तो है। जो हर दम जीने की आस जगाती हैं। बुढ़ापे में दादी बनकर पोते पोतियों का रखती ख्याल आंचल में समेटे सबको मां तूं ही तो किस्से परियों के सुनाती है। ऐ मां इक तूं ही तो है। जो हर दम जीने की आस जगाती हैं। क्या लिखूं मां तेरी महिमा में तूं तो रूप है परमात्मा का मां तूं ही तो अवतार तीन दिखाती है। ऐ मां इक तूं ही तो है। जो हर दम जीने की आस जगाती हैं।
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अयोध्या विवाद के फैसले का जनतांत्रिक परिप्रेक्ष्य

22 अक्टूबर 2019
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__________________________________अयोध्या में राम मंदिर और बाबरी मस्जिद विवाद पर सुनवाई खत्म हो चुकी है। सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की पीठ ने बरसों से चले आ रहे इस मामले की सुनवाई 40 दिनों में पूरी की है। इस मामले में गठित मध्यस्थता पैनल ने बुधवार को सुनवाई खत्म होने के बाद सीलबंद लिफाफे में सुप्रीम

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पटेल की राह चलें भारत

31 अक्टूबर 2019
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आज भारतवर्ष सरदार पटेल की 144 वीं जयंती मना रहा है।भारत को राष्ट्रीय एकता सूत्र में बाधने वाले सरदार वल्लभभाई पटेल को लौह पुरुष भी कहा जाता है उन्होंने भारत की आजादी की लड़ाई में अग्रणी भूमिका निभाई और भारत के आजाद होने पर भारत देश के प्रथम गृहमंत्री के रूप में पदभार ग्रहण किया और अपने साहस भरे निर

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मेरी परछाई

13 नवम्बर 2019
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मेरी परछाई हरदम साथ चली।हर गांव शहर गली गली ।जो थे मेरे कर्म या थी कोई डगरमिलकर गले पल-पल साथ चलीं।मैं झुका संग झुकी मैं गिरा वह भी गिरकरहर इरादे में साथ चली।मेरी परछाई..............तन्हा सफर हो या रोशन रातेंसंग दूर तलक चली।सत्य की राह हो या हो मिथ्य पथ।बेबस बे जुबां चली।मेरी परछाई ..…............क

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कृषि प्रधान देश में किसान

16 नवम्बर 2019
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भारत कृषि-प्रधान देश है। साथ ही दुनिया की सम्पूर्ण आबादी के लिहाज से दूसरे पायदान पर है। देश की विशाल जनसंख्या को खाद्यान्न उपलब्ध करवाने में किसान पिछड़ने लगा है।यह किसान कृषि-कार्य करके अपना ही नहीं, अपने देश का भी भरण-पोषण करते है। गांवों में अधिकांश किसान ही बसते हैं। यही भारत का अन्नदाता है। यद

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लापरवाही के लाक्षागृह में बूझ गये चिराग

18 दिसम्बर 2019
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महज सात महीने पहले गुजरात के सूरत शहर में तक्षशिला कोचिंग सेन्टर में खोई सत्तरह जिंदगियों का ग़म देश भुला ही नहीं था कि दिल्ली के सदर बाजार इलाके में रविवार को सुबह लेडीज पर्स, बैग और प्लास्टिक आइटम बनाने की चार मंजिला फैक्टरी में भीषण आग लग गई। हादसे में 43 लोगों की मौत हो गई तथा 17 लोग बुरी तरह झु

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आतंकवाद के साये में कमजोर होता दक्षेस

24 दिसम्बर 2019
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शबांग्लादेश के तात्कालिक राष्ट्रपति जियाउर रहमान द्वारा 1970 के दशक में एक व्यापार गुट सृजन हेतु किए गए प्रयासों के परिणामस्वरूप दिसम्बर 1985 में दक्षिण एशियाई देशों के उद्धार के लिए दक्षेस जैसे संगठन को विश्व पटल पर लाया गया। यह संगठन सार्क या दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (दक्षेस) नाम से जान

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सूर्य ग्रहण एक खगोलीय घटना

26 दिसम्बर 2019
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आज सदी की सबसे खूबसूरत खगोलीय घटना।सूर्यग्रहण।अगर आप अपने बच्चों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण उत्पन्न करना चाहते हैं तो इस सौरमंडल में चन्द्रमा द्वारा सूर्य के प्रकाश को ढकने की घटना को दिखाएं समझाएं । डराए नहीं।भारत में पिछले हजार साल तक विभिन्न तर्क देकर अंधविश्वास और भ

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ऐ मां इक तूं ही तो है।

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