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एक दिन यकायक

25 मई 2020

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Verma kumar sachin की अन्य किताबें

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बेचारा पथिक

16 मई 2020
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बेचारा,पथिक भूखा हो गया है,रास्ता भी थका सा हो गया है,पाँव अभागे निकले थे गाँव से शहर को कुछ करने,आज उसके साथ ये क्या हो गया है..बेचारा, पथिक प्यासा हो गया है,सोचता है ये क्या हो गया है,अपने घर जाने को तड़फ रहा है, बेचारा,उसका जो सहारा था आज खो गया है.पहले शहर जा के उ

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एक दिन यकायक

25 मई 2020
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एक दिन यकायक

25 मई 2020
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एक दिन यकायक,किसी से मिलाऑनलाइन नहींआमने सामने :कुछ बातें हुईंमुहँ से नहींआँखों से!मिली आँख से आँखबातें हुईंकुछ बात ऐसीबहने लगे आँसूबरसे यकायक आँसूदिन के बीच पहर में,उसी के शहर मेंये सब हुआ एक दिन यकायक. कुछ क्षण मैं व्यस्त रहा!उस क्षण का मिलनवो क्षण क्याज़ी लिया पूरा जीवन,फिर क्या?यकायक मैं जगाकुछ

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एक दिन यकायक

29 मई 2020
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एक दिन यकायक, किसी से मिलाऑनलाइन नहींआमने सामने :कुछ बातें हुईंमुहँ से नहींआँखों से!मिली आँख से आँखबातें हुईंकुछ बात ऐसीबहने लगे आँसूबरसे यकायक आँसूदिन के बीच पहर में,उसी के शहर मेंये सब हुआ एक दिन यकायक. कुछ क्षण मैं व्यस्त रहा!उस क्षण का मिलनवो क्षण क्याज़ी लिया पूरा जीव

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