कोरोना का नाम बहुत सुना था। लेकिन 25 मार्च के बाद हमें समझ में आया क्या चीज है आखिर वह। लॉक डाउन के बाद हम सभी एक दूसरे को शक की निगाह से देखने लगे। वॉट्सएप पर मैसेज डराने के लिए आने लगे।पुरानी फिल्मों के सीन दिखाकर बहुत डराया लोगों ने वॉट्सएप पर।मुंह पर मास्क लगा झोला टांग सुबह सुबह सब्जी वाले को कहां कहां नहीं ढूंढा।क्योंकि पुलिस फोर्स सुबह अपनी दैनिक क्रिया निपटाते और इस दौरान हम फल तथा सब्जी आपूर्ति पूरी करते।नाश्ते के बाद टी वी पर न्यूज़ बाद में मोंबाइल पे मैसेज का लेन देन करने लगते। दोपहर को डट कर लंच लेने के बाद एक लम्बी झपकी लगा लेते।बीच बीच में सायरन की आवाज आए कि दौड़ कर वरांडे में पहुंच जाते।एक जासूस की तरह आसपास निगाह डाल कर बता देते की कोरोना का पेशेंट किस मोहल्ले में पकड़ाया।हवा में लट्ठ चला देते कभी कभी सही जगह लग जाता,जब दूसरे दिन समाचार में पता चलता की फलाने मोहल्ले का फलाना आदमी चपेट में आ गया ।और उसकी रिपोर्ट आए तब तक पूरा परिवार एम्बुलेंस में क्वारेंटाइन में ,पूरी गली बंद ।कोई अगर खांसते हुए बाहर बालकनी में खड़ा भी हो जाए तो पड़ोसी तुरंत पड़ोसी धर्म का पालन करते हुए पुलिस को सूचना दे देता।किसी का बेटा या बेटी बाहर से अपने शहर लौटे वैसे ही पड़ोसी की तेज निगाहें उस पर और थोड़ी देर बाद सायरन की आवाज ।ऐसा पड़ोसी धर्म पहले कभी महानगरों में नहीं पाया गया।मोदी जी के कहने पर हमने भी बालकनी में खड़े होकर थाली, ताली और घंटी बजाई।कुछ एबले रोड शो करने गए।और कुछ सिटी सेंटर पर माहौल देखने चले।दूसरे दिन कर्फ्यू में सख्ती का बोला गया,चप्पे चप्पे पे पुलिस फोर्स लग गया।,तो लोग वो कर्फ्यू भी देखने मार्केट पहुंच गए।हालांकि मास्क लगा कर गए,पर उन्हें ये नहीं पता था कि ठुकाई मास्क वाली जगह पर नहीं होगी।उसकी जगह तो नियत है, पुलिस बराबर जगह ढूंढ़ लेती है । आते आते बहुत सी जगह सुजा कर गृह प्रवेश किया उन्होंने। व्हाट्सएप पर सभी अपने शहरों की तारीफ करने लगे और कर्फ्यू उल्लंघन की न्यूज़ भेजने लगे।एक ही वीडियो पोस्ट पे अलग अलग शहरों के नाम पूरे विश्व में फेल गए।ना जाने कौन कौन से लोग इटली, चाइना,अमेरिका,फ्रांस आदि जगहों से डराने वाले मैसेज वायरल करने लगे।बहुत से कथित अकथित डॉक्टर्स राय देने लगे।काढ़े के नुस्खे तो इतने वायरल हो गए कि हर वेराइटी का काढ़ा बना लो तो जिंदगी भर का कोरोना निपट जाए।