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अंत में क्या मिला- लघु कहानी

18 जुलाई 2020

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एक बार एक धनी व्यापारी विश्व भ्रमण के लिए निकला. घुमते हुए वह नीदरलैंड के शहर एम्सटर्दम पंहुचा. यह शहर पर्यटकों को बहुत प्रिय है. वहां उसने एक बहुत ही भव्य एवं सुन्दर महल देखा. उस महल को देखकर उसे अपना विशाल बंगला बहुत तुच्छ लगा. यह सोचकर वह उदास हो गया. उसने पास से गुजर रहे एक व्यक्ति से उस महल के मालिक का नाम पूछा. गुजरने वाला व्यक्ति जल्दी में था तो उसने जल्दी से अपनी भाषा में कहा- कानिटवर्सटेन "जिसका अर्थ था मुझे नहीं मालूम". उस भाषा से अनभिज्ञ होने कारन व्यापारी ने समझा की यह महल के मालिक का नाम है.

घूमते घूमते वह व्यापारी नगर के एक बंदरगाह पर पहुंचा. जहाँ एक जहाज से अनेक प्रकार का कीमती सामान कुली लोग उतार कर एक जगह रख रहे थे. व्यापारी इतनी अपार धन संपत्ति के मालिक का नाम जानने को उत्सुक हो उठा. उसने एक कुली से पूछा, " यह किसका सामान उतारा जा रहा है." कुली ने उत्तर दिया - कानिटवर्सटेन. मतलब उसे भी नहीं मालूम था. अब तो वह व्यापारी कानिटवर्सटेन नामक व्यक्ति से मिलने को बेचैन हो उठा.

उससे मिलने की चाह लिए वह थोडा आगे बाधा ही था की उसने देखा एक शवयात्रा जा रही है. जिसमें अपार भीड़ थी. शवयात्रा गुजर जाने के बाद व्यापारी ने उसी तरफ जा रहे एक व्यक्ति से पूछा " शायद किसी महान आदमी का निधन हो गया है. किसकी थी यह शवयात्रा?" जल्दी में लग रहा वह व्यक्ति भी कानिटवर्सटेन कहकर आगे बढ़ गया.

यह सुनते ही व्यापारी ईर्ष्या और उदासी पानी के बुलबुले की तरह फूटकर ख़त्म हो गयी.

वह सोचने लगा की उस महल और अपार धन दौलत ने आखिर में मिस्टर कानिटवर्सटेन को दिया क्या? सिर्फ एक कफ़न का कपडा और चिरनिद्रा में सोने के लिए दो गज जमीन. इतना तो मुझे भी अपनी थोड़ी सी संपत्ति में भी मिल ही जायेगा माई जीवन दर्शन

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