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उपदेश सूत्र

29 जुलाई 2020

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*श्रीमते रामानुजाय नमः*

*श्रीगोदम्बाय नमः*


*चीराणि किं पथि न सन्ति दिशन्ति भिक्षां*

*नैवाङ्घ्रिपाः परभृतः सरितोऽप्यशुष्यन् ।*

*रुद्धा गुहाः किमजितोऽवति* *नोपसन्नान् कस्माद्भजन्ति कवयो धनदुर्मदान्धान्*


पहनने को क्या रास्तों में चिथड़े नहीं हैं? रहने के लिए क्या पहाड़ो की गुफाएँ बंद कर दी गयी हैं? अरे भाई ! सब न सही, क्या भगवान् भी अपने शरणगतों की रक्षा नहीं करते? ऐसी स्थिति में बुद्धिमान लोग भी धन के नशे में चूर घमंडी धनियों की चापलूसी क्यों करते हैं ? ॥5॥


*एवं स्वचित्ते स्वत एव सिद्ध आत्मा प्रियोऽर्थो भगवाननन्तः*

*तं निर्वृतो नियतार्थो भजेत संसारहेतूपरमश्च यत्र* 6


इस प्रकार विरक्त हो जाने पर अपने हृदय में नित्य विराजमान, स्वतः सिद्ध, आत्मस्वरूप, परम प्रियतम, परम सत्य जो अनन्तभगवान् हैं, बड़े प्रेम और आनन्द से दृढ निश्चय करके उन्हीं का भजन करे; क्योंकि उनके भजन से जन्म-मृत्यु के चक्कर में डालनेवाले अज्ञान का नाश हो जाता है ॥6॥


*कस्तां त्वनादृत्य परानुचिन्तामृते पशूनसतीं नाम कुर्यात्*

*पश्यञ्जनं पतितं वैतरण्यां स्वकर्मजान्परितापाञ्जुषाणम्* 7


पशुओं की बात तो अलग है; परन्तु मनुष्यों में भला ऐसा कौन है जो लोगों की इस संसाररूप वैतरणी नदी में गिरकर अपने कर्मजन्य दुःखों को भोगते हुए देखकर भी भगवान् का मंगलमय चिंतन नहीं करेगा, इन असत विषय-भोगों में ही अपने चित्त को भटकने देगा ? ॥7॥


*केचित्स्वदेहान्तर्हृदयावकाशे प्रादेशमात्रं पुरुषं*

*वसन्तम्चतुर्भुजं* *कञ्जरथाङ्गशङ्ख गदाधरं धारणया स्मरन्ति* 8


कोई-कोई साधक अपने शरीर के भीतर हृदयाकाश में विराजमान भगवान् के प्रदेशमात्र स्वरुप की धारणा करते हैं। वे ऐसा ध्यान करते हैं कि भगवान् की चार भुजाओं में शंख,चक्र,गदा और पद्य हैं ॥8॥


*रसन्नवक्त्रं नलिनायतेक्षणं* *कदम्बकिञ्जल्कपिशङ्गवाससम्*

*लसन्महारत्नहिरण्मयाङ्गदं स्फुरन्महारत्नकिरीटकुण्डलम्* 9


उनके मुख पर प्रसन्नता झलक रही है। कमल के समान विशाल और कोमल नेत्र हैं। कदम्ब के पुष्प की केसर के समान पीला वस्त्र धारण किये हुए हैं। भुजाओं में श्रेष्ठ रत्नों से जड़े हुए सोने के बाजूबंद शोभायमान हैं। सिरपर बड़ा ही सुन्दर मुकुट और कानों में कुण्डल हैं, जिनमें जड़े हुए बहुमूल्य रत्न जगमगा रहे हैं ॥9॥


*उन्निद्रहृत्पङ्कजकर्णिकालये योगेश्वरास्थापितपादपल्लवम्*

*श्रीलक्षणं कौस्तुभरत्नकन्धरमम्लानलक्ष्म्या वनमालयाचितम्* 10


उनके चरणकमल योगेश्वरों के खिले हुए हृदयकमल की कर्णिकापर विराजित हैं। उनके हृदयपर श्रीवत्स का चिंह्न --- एक सुनहरी रेखा है। गले में कौस्तुभमणि लटक रही है। वक्षःस्थल कभी न कुम्हलानेवाले वनमाला से घिरा हुआ है ॥10॥


*विभूषितं मेखलयाङ्गुलीयकैर्महाधनैर्नूपुरकङ्कणादिभिः*

*स्निग्धामलाकुञ्चितनीलकुन्तलैर्विरोचमानाननहासपेशलम्* 11


वे कमर में करधनी, अँगुलियों में बहुमूल्य अँगूठी, चरणों में नुपुर और हाथों में कंगन आदि आभूषण धारण किये हुए हैं। उनके बालों की लटें बहुत चिकनी, निर्मल, घुँघराले और नीली हैं। उनका मुखकमल मन्द-मन्द मुस्कान से खिल रहा है ॥11॥


*अदीनलीलाहसितेक्षणोल्लसद्भ्रूभङ्गसंसूचितभूर्यनुग्रहम्*

*ईक्षेत चिन्तामयमेनमीश्वरं यावन्मनो धारणयावतिष्ठते* 12


लीलापूर्ण उन्मुक्त हास्य और चितवन से शोभायमान भौंहों के द्वारा वे भक्तजनों पर अनन्त अनुग्रह की वर्षा कर रहे हैं। जबतक मन इस धारणा के द्वारा स्थिर न हो जाय, तबतक बार-बार इन चिन्तनस्वरुप भगवान् को देखते रहने की चेष्टा करनी चाहिये ॥12॥


*एकैकशोऽङ्गानि धियानुभावयेत्पादादि यावद्धसितं गदाभृतः*

*जितं जितं स्थानमपोह्य धारयेत्परं परं शुद्ध्यति धीर्यथा यथा* 13


भगवान् के चरण-कमलों से लेकर उनके मुस्कानयुक्त मुखकमलपर्यन्त समस्त अंगों की एक-एक करके बुद्धि के द्वारा धारणा करनी चाहिये। जैसे-जैसे बुद्धि शुद्ध होती जायगी, वैसे-वैसे चित्त स्थिर होता जायगा। जब एक अंग का ध्यान करना चाहिये ॥13॥


*यावन्न जायेत परावरेऽस्मिन्विश्वेश्वरे द्रष्टरि भक्तियोगः*

*तावत्स्थवीयः पुरुषस्य रूपं क्रियावसाने प्रयतः स्मरेत* 14


ये विश्वेश्वर भगवान् दृश्य नहीं, द्रष्टा हैं। सगुण, निर्गुण --- सब कुछ इन्हीं का स्वरुप है। जबतक इनमें अनन्य प्रेममय भक्तियोग न हो जाय तबतक साधक को नित्य-नैमित्तिक कर्मों के बाद एकाग्रता से भगवान् के उपर्युक्त स्थूलरूप का ही चिंतन करना चाहिये॥14॥


*स्थिरं सुखं चासनमास्थितो यतिर्यदा जिहासुरिममङ्ग लोकम्*

*काले च देशे च मनो न सज्जयेत्प्राणान्नियच्छेन्मनसा जितासुः* 15


परीक्षित ! जब योगी पुरुष इस मनुष्यलोक को छोड़ना चाहे तब देश और काल में मन को न लगाये। सुखपूर्वक स्थिर आसन से बैठकर प्राणों को जीतकर मन से इन्द्रियों का संयम करे ॥15॥


*मनः स्वबुद्ध्यामलया नियम्य क्षेत्रज्ञ एतां निनयेत्तमात्मनि*

*आत्मानमात्मन्यवरुध्य धीरो लब्धोपशान्तिर्विरमेत कृत्यात्* 16


तदनन्तर अपनी निर्मल बुद्धि से मन को नियमित करके मन साथ बुद्धि को क्षेत्र में और क्षेत्रज्ञ को अन्तरात्मा को परमात्मा में लीन करके धीर पुरुष उस शान्तिमय अवस्था में स्थित हो जाय। फिर उसके लिए कोई कर्तव्य शेष नहीं रहता ॥16॥


*न यत्र कालोऽनिमिषां परः प्रभुः कुतो नु देवा जगतां य ईशिरे*

*न यत्र सत्त्वं न रजस्तमश्च न वै विकारो न महान्प्रधानम्* 17


इस अवस्था में सत्त्वगुण भी नहीं है, फिर रजोगुण और तमोगुण की तो बात ही क्या है। अहंकार,महत्तत्त्व और प्रकृति का भी वहाँ अस्तित्व नहीं हैं, उस स्थिति में जब देवताओं के नियामक काल की भी दाल नहीं गलती, तब देवता और उनके अधीन रहनेवाले प्राणी तो रह ही कैसे सकते हैं ? ॥17॥


*परं पदं वैष्णवमामनन्ति तद्यन्नेति *नेतीत्यतदुत्सिसृक्षवःविसृज्य* *दौरात्म्यमनन्यसौहृदा हृदोपगुह्यार्हपदं पदे पदे* 18


योगिलोग 'यह नहीं, यह नहीं'--- इस प्रकार परमात्मा से भिन्न पदार्थों का त्याग करना चाहते हैं और शरीर तथा उसके सम्बन्धी पदार्थों में आत्मबुद्धि का त्याग करके हृदय के द्वारा पद-पद पर भगवान् के जिस परम पूज्य स्वरुप का आलिंगन करते हुए अनन्य प्रेम से परिपूर्ण रहे हैं, वही भगवान् विष्णु का परम पद है--- इस विषय में समस्त शास्त्रों की सम्मति है ॥18॥


*इत्थं मुनिस्तूपरमेद्व्यवस्थितो विज्ञानदृग्वीर्यसुरन्धिताशयःस्वपार्ष्णिनापीड्य गुदं ततोऽनिलं स्थानेषु षट्सून्नमयेज्जितक्लमः* 19


ज्ञानदृष्टि बल से जिसके चित्त की वासना नष्ट हो गयी है, उस ब्रह्मनिष्ठ योगी को इस प्रकार अपने शरीर का त्याग करना चाहिये। पहले एड़ी से अपनी गुदा को दबाकर स्थिर हो जाय और तब बिना घबराहट के प्राणवायु को षटचक्रभेदन की रीती से ऊपर ले जाय ॥19॥


*नाभ्यां स्थितं हृद्यधिरोप्य तस्मादुदानगत्योरसि तं नयेन्मुनिःततोऽनुसन्धाय धिया मनस्वी स्वतालुमूलं शनकैर्नयेत* 20


मनस्वी योगी को चाहिये कि नाभिचक्र मनिपुरक में स्थित वायु को हृदयचक्र अनाहत में, वहाँ से उदानवायु के द्वारा वक्षःस्थल के ऊपर विशुद्ध चक्र में, फिर उस वायु को धीरे-धीरे तालुमूल में ( विशुद्ध चक्र के अग्रभाग में ) चढ़ा दे ॥20॥


*तस्माद्भ्रुवोरन्तरमुन्नयेत निरुद्धसप्तायतनोऽनपेक्षः*

*स्थित्वामुहूर्तार्धमकुण्ठदृष्टिर्निर्भिद्य मूर्धन्विसृजेत्परं गतः* 21


तदन्तर दो आँखे, दो कान, दो नासाछिद्र और मुख--- इस सातों छिद्रों को रोककर उस तालुमूल में स्थित वायु को भौंहों के बीच आज्ञाचक्र में ली जाय। यदि इसके बाद ब्रह्मरन्ध्र का भेदन करके शरीर-इन्द्रियदि को छोड़ दे ॥21॥


*यदि प्रयास्यन्नृप पारमेष्ठ्यं वैहायसानामुत यद्विहारम्अष्टाधिपत्यं गुणसन्निवाये सहैव गच्छेन्मनसेन्द्रियैश्च* 22


परीक्षित ! यदि योगी की इच्छा हो कि मैं ब्रह्मलोक में जाऊं, आठों सिद्धियाँ प्राप्त करके आकाशचारी सिद्धों के साथ विहार करूँ अथवा त्रिगुणमय ब्रह्माण्ड के किसी भी प्रदेश में विचरण करूँ तो उसे मन और इन्द्रियों को साथ ही लेकर शरीर से निकलना चाहिये ॥22॥


*योगेश्वराणां गतिमाहुरन्तर्बहिस्त्रिलोक्याः पवनान्तरात्मनाम्*

*नकर्मभिस्तांगतिमाप्नुवन्तिविद्यातपोयोगसमाधिभाजाम्* 23


योगियों का शरीर वायु की भांति सूक्ष्म होता है। उपासना, तपस्या, योग और ज्ञान का सेवन करनेवाले योगियों को त्रिलोकी के बाहर और भीतर सर्वत्र स्वछन्दरूप से विचरण करने का अधिकार होता है। केवल कर्मों के द्वारा इस प्रकार बेरोक-टोक विचरना नहीं हो सकता ॥23॥


*वैश्वानरं याति विहायसा गतः सुषुम्णया ब्रह्मपथेन शोचिषा*

*विधूतकल्कोऽथ हरेरुदस्तात्प्रयाति चक्रं नृप शैशुमारम्* 24


परीक्षित ! योगी ज्योतिर्मय मार्ग सुषुम्णा के द्वारा जब ब्रह्मलोक के लिए प्रस्थान करता हैं, तब पहले वह आकाशमार्ग से अग्निलोक में जाता है; वहाँ उसके बचे-खुचे मॉल भी जल जाते हैं। इसके बाद वह वहाँ से ऊपर भगवान् श्रीहरि के शिशुमार नामक ज्योतिर्मय चक्रपर पहुँचता है ॥24॥


*तद्विश्वनाभिं त्वतिवर्त्य विष्णोरणीयसा विरजेनात्मनैकः*

*नमस्कृतं ब्रह्मविदामुपैति कल्पायुषो यद्विबुधा रमन्ते* 25


भगवान् विष्णु का यह शिशुमार चक्र विश्व ब्रह्माण्ड के भ्रमण का केंद्र हैं। उसका अतिक्रमण करके अत्यन्त सूक्ष्म एवं निर्मल शरीर से वह ही महर्लोक में जाता हैं। वह लोक ब्रह्मवेत्ताओं के द्वारा भी वन्दित है और उसमें कल्पपर्यन्त जीवित रहनेवाले देवता विहार करते रहते हैं ॥25॥


*अथो अनन्तस्य मुखानलेन दन्दह्यमानं स निरीक्ष्य विश्वम्*

*निर्याति सिद्धेश्वरयुष्टधिष्ण्यं यद्द्वैपरार्ध्यं तदु पारमेष्ठ्यम्* 26


फिर जब प्रलय का समय आता है, तब नीचे के लोकों को शेष के मुख से निकली हुई आगा के द्वारा भस्म होते देख वह ब्रह्मलोक चला जाता है, जिस ब्रह्मलोक में बड़े-बड़े सिद्धेश्वर विमानों पर निवास करते हैं। उस ब्रह्मलोक की आयु ब्रह्माकी आयु के समान ही दो परार्द्ध की है ॥26॥


*न यत्र शोको न जरा न मृत्युर्नार्तिर्न चोद्वेग ऋते कुतश्चित्*

*यच्चित्ततोऽदः कृपयानिदंविदां दुरन्तदुःखप्रभवानुदर्शनात्* 27


वहाँ न शोक है न दुःख, न बुढ़ापा है न मृत्यु। फिर वहाँ किसी प्रकार का उद्वेग या भय तो हो ही कैसे सकता है। वहाँ यदि दुःख है तो केवल एक बात का। वह यही कि इस परमपद को न जाननेवाले लोगों के जन्म-मृत्युमय अत्यन्त घोर संकटों को देखकर दयावश वहाँ के लोगों के मन में बड़ी व्यथा होती है ॥27॥


*ततो विशेषं प्रतिपद्य निर्भयस्तेनात्मनापोऽनलमूर्तिरत्वरन्*

*ज्योतिर्मयो वायुमुपेत्य काले वाय्वात्मना खं बृहदात्मलिङ्गम्* 28


सत्यलोक में पहुँचने के पश्चात् वह योगी निर्भय होकर अपने सूक्ष्म शरीर को पृथ्वी से मिला देता है और फिर उतावली न करते हुए सात आवरणों का भेदन करता है। पृथ्वीरूप से जल को और जलरूप से अग्निमय आवरणों को प्राप्त होकर वह ज्योतिरूप से वायुरूप आवरण में आ जाता है और वहाँ से समयपर ब्रह्म की अनन्तता का बोध करानेवाले आकाशरूप आवरण को प्राप्त करता है ॥28॥


*घ्राणेन गन्धं रसनेन वै रसं रूपं च दृष्ट्या श्वसनं त्वचैव*

*श्रोत्रेण चोपेत्य नभोगुणत्वं प्राणेन चाकूतिमुपैति योगी* 29


इस प्रकार स्थूल आवरणों को पार करते समय उसकी इन्द्रियां भी अपने सूक्ष्म अधिष्ठान में लीन होती जाती हैं। घ्राणेन्द्रिय गन्धतन्मात्रा में, रसना रसतन्मात्रा में, नेत्र रूपतन्मात्रा में, त्वचा स्पर्शतन्मात्रा में, श्रोत शब्दतन्मात्रा में और कर्मेन्द्रियाँ अपनी-अपनी क्रियाशक्ति में मिलकर अपने-अपने सूक्ष्मस्वरुप को प्राप्त हो जाती हैं ॥29॥


*स भूतसूक्ष्मेन्द्रियसन्निकर्षं मनोमयं देवमयं विकार्यम्संसाद्य गत्या सह तेन*

*याति विज्ञानतत्त्वं गुणसन्निरोधम्* 30


इस प्रकार योगी पंचभूतों के स्थूल-सूक्ष्म आवरणों को पार करके अहंकार में प्रवेश करता है। वहाँ सूक्ष्म भूतों को तामस अहंकार में, इन्द्रियों को राजस अहंकार में तथा मन और इन्द्रियों के अधिष्ठाता देवताओं को सात्त्विक अहंकार में लीन कर देता है। इसके बाद अहंकार के सहित लयरूप गति के द्वारा महत्तत्त्व में प्रवेश करके अंत में समस्त गुणों के लयस्थान प्रकृतिरूप आवरण में जा मिलता है ॥30॥


*तेनात्मनात्मानमुपैति शान्तमानन्दमानन्दमयोऽवसाने*

*एतां गतिं भागवतीं गतो यः स वै पुनर्नेह विषज्जतेऽङ्ग* 31


परीक्षित ! महाप्रलय के समय प्रकृतिरूप आवरण का भी लय जानेपर वह योगी स्वयं आनन्दस्वरूप होकर अपने उस निरावरण रूप से आनन्दस्वरूप से शान्त परमत्मा को प्राप्त हो जाता है। जिसे इस भगवन्मयी गति की प्राप्ति हो जाती है उसे फिर इस संसार में नहीं आना पड़ता ॥31॥


*एते सृती ते नृप वेदगीते त्वयाभिपृष्टे च सनातने च*

*ये वै पुरा ब्रह्मण आह तुष्ट आराधितो भगवान्वासुदेवः* 32


परीक्षित ! तुमने जो पूछा था, उसके उत्तर में मैने वेदोक्त द्विविध सनातन मार्ग सद्योमुक्ति और क्रम्मुक्ति का तुमसे वर्णन किया। पहले ब्रह्माजी ने भगवान् वासुदेवकी आराधना करके उनसे जब प्रश्न किया था, तब उन्होंने उत्तर में इन्हीं दोनों मार्गों की बात ब्रह्माजी से कही थी ॥32॥


*न ह्यतोऽन्यः शिवः पन्था विशतः संसृताविह*

*वासुदेवेभगवतिभक्तियोगो यतो भवेत्* 33


संसारचक्र में पड़े हुए मनुष्य के लिए जिस साधन के द्वारा उसे भगवान् श्रीकृष्ण की अनन्य प्रेममयी भक्ति प्राप्त हो जाय, उसके अतिरिक्ति और कोई भी कल्याणकारी मार्ग नहीं है ॥33॥



*श्रीमहन्त*

*हर्षित कृष्णाचार्य*

*श्री जगदीश कृष्ण श्रीवैष्णव शरणागति आश्रम*

*लखीमपुर खीरी*

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गुरूपूर्णिमा विशेष

29 जून 2020
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*श्रीमते रामानुजाय नमः**श्री यतिराजाय नमः*💐💐💐💐💐💐💐💐 *गुरुपूर्णिमा विशेष*--- *द्वितीय भाग*🛕🛕🛕🛕🛕🛕🛕🛕🛕 गुरुदेव की असीम कृपा उनकी दया प्रेम वात्सल्य उसी के फलस्वरूप हमें परम आराध्य श्री लक्ष्मीनारायण जी के चरणों का आश्रय मिलता है और परमात्मा से मिलाने का पावन कार्य सिर्फ और सिर्फ श्

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गुरुपूर्णिमा पर विशेष

30 जून 2020
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*जय श्रीमन्नारायण* *श्रीमते गोदाम्बाय नमः*🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺 *गुरुपूर्णिमा विशेष* *भाग तृतीय*🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 वैष्णव के चिन्ह स्वयं व्यक्ति को देव तुल्य बना देते हैं वैष्णव दीक्षा लेने के बाद पंच संस्कार युक्त मनुष्य स्वयं एक दिव्य यंत्र अर्थात दिव्य पुरुष के रूप में इस धरा धाम को आलोकित करता है

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गुरुपूर्णिमा विशेष

3 जुलाई 2020
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*जय श्रीमन्नारायण* *श्रीमते रामानुजाय नमः*🌹🌺🌹🌺🌹🌺🌹🌺 *गुरुपूर्णिमा विशेष* *चतुर्थ भाग*🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩 प्रिय भागवत भक्तों जीवन एक मिट्टी का बना हुआ पुतला है इस पुतले को किस प्रकार से उत्तम रूप देकर समाज के हित में प्रशस्त करना सद्गुरु का कार्य है सद्गुरु की कृपा से वैष्णो मार

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गुरुपूर्णिमा विशेष

3 जुलाई 2020
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*जय श्रीमन्नारायण* *श्रीमते गुरुचरण कमलेभ्यो नमः*💐🌺💐🌺💐🌺💐🌺 *गुरुपूर्णिमा विशेष* *भाग ५*🦚🌳🦚🌳🦚🌳🦚🌳 *किमत्र बहुनोक्तेन शास्त्रकोटि शतेन च । दुर्लभा चित्त विश्रान्तिः विना गुरुकृपां परम् ॥*अर्थात :-बहुत कहने से क्या ? करोडों शास्त्रों से भी क्या ? चित्त की परम् शांति, गुरु के बिना

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गुरु पूर्णिमा पर विशेष

5 जुलाई 2020
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*जय श्रीमन्नारायण**श्रीमद गुरु चरणकमलेभ्यो नमः*🌼🌹🌼🌹🌼🌹🌼🌹🌼 *श्री गुरु पूर्णिमा विशेष* *भाग षष्ठ*🌸🌼🌸🌼🌸🌼🌸🌼आप सभी भगवत भक्तों को पावन गुरु पूर्णिमा महापर्व की हार्दिक बधाई बहुत-बहुत शुभकामनाएं अनेकानेक अमंगल अनुशासनम आज का पावन पर्व वह पर्व है जिस दिन गुरु अपने शिष्य को शक्तिपात दीक्षा

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गुरु व शिष्य धर्म

5 जुलाई 2020
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*जय श्रीमन्नारायण**श्री यतिराजाय नमः*🥀🌷🥀🌷🥀🌷🥀🌷 *गुरु शिष्य के कर्तव्य*☘️🌿☘️🌿☘️🌿☘️🌿सभी मित्रों को पावन गुरु पूर्णिमा पर्व की व श्री व्यास जन्मोत्सव की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं गुरु और शिष्य का मिलन ठीक उसी प्रकार है जैसे एक छोटा सा जलबिंदु अनंत सागर में जाकर के मिले आज का दिन वही अवसर

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उपदेश सूत्र

29 जुलाई 2020
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*श्रीमते रामानुजाय नमः**श्रीगोदम्बाय नमः**चीराणि किं पथि न सन्ति दिशन्ति भिक्षां* *नैवाङ्घ्रिपाः परभृतः सरितोऽप्यशुष्यन् ।**रुद्धा गुहाः किमजितोऽवति* *नोपसन्नान् कस्माद्भजन्ति कवयो धनदुर्मदान्धान्*पहनने को क्या रास्तों में चिथड़े नहीं हैं? रहने के लिए क्या पहाड़ो की गुफाएँ बंद कर दी गयी हैं? अरे भाई !

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शिखा (चोटी) बन्धन क् महत्व

30 जुलाई 2020
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शिखा बन्धन (चोटी) रखने का महत्त्व💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐शिखा का महत्त्व विदेशी जान गए हिन्दू भूल गए।हिन्दू धर्म का छोटे से छोटा सिध्दांत,छोटी-से-छोटी बात भी अपनी जगह पूर्ण और कल्याणकारी हैं। छोटी सी शिखा अर्थात् चोटी भी कल्याण, विकास का साधन बनकर अपनी पूर्णता व आवश्यकता को दर्शाती हैं। शिखा का त्याग

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श्रीस्वामी जी की दिव्य यात्रा

31 जुलाई 2020
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।। श्रीमते रामानुजाय नमः।।श्रीरामानुजाचार्य जी की दिव्य देश यात्रा------------------------------------------------श्रीवैष्णव जन श्रीरामानुज स्वामी जी के पास जाकर कहते हैं – “स्वामी जी! आपने श्रीवैष्णव सम्प्रदाय को प्रतिष्ठित किया है और विरोधी सिद्धान्तों को हराया है। अब कृपया तीर्थ यात्रा पर चलिये औ

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श्रीमते रामानुजाय नमः

12 अगस्त 2020
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🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹*।।श्रीमते रामानुजाय नमः।।**श्रीपराशर भट्टर् और श्रीवेदव्यास भट्टर् का जन्म*-------------------------------------------------------श्रीपराशर भट्टर् और श्रीवेदव्यास भट्टर् कूरत्तालवान् (कूरेश स्वामी) और माता आण्डाल के सुपुत्र हैं । श्रीपराशर भट्टर् और श्रीवेदव्यास भट्टर् (दोनों भाई)

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श्रीमते रामानुजाय नमः

12 अगस्त 2020
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।।श्रीमते रामानुजाय नमः।।श्रीरामानुज स्वामी की मेलकोटे की यात्रा-------------------------------------------------श्रीरामानुज स्वामी जी के मार्गदर्शन में सभी वैष्णव श्रीरंगम् में आनन्द मंगल से रह रहे थे। तभी एक दुष्ट राजा , जो शैव सम्प्रदाय से सम्बन्ध रखता था, विचार किया कि शिवजी की श्रेष्ठता को स्थ

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कृष्ण भक्त

20 अगस्त 2020
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🙏🏻🌹🙏🏻🌹🙏🏻🌹🙏🏻*बहुत ही प्रेरणाप्रद कथा**➖एक दरिद्र ब्राह्मण यात्रा करते-करते किसी नगर से गुजर रहा था , बड़े-बड़े महल एवं अट्टालिकाओं को देखकर ब्राह्मण भिक्षा माँगने गया , किन्तु उस नगर मे किसी ने भी उसे दो मुट्ठी अन्न नहीं दिया।* *➖आखिर दोपहर हो गयी , तो ब्राह्मण दुःखी होकर अपने भाग्य को कोस

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कलंक चतुर्थी

25 अगस्त 2020
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*श्रीमते रामानुजाय नमः* *अज्ञानता वस किसी पर संदेह करना एक दिन मनुष्य को ऐसी स्थिति में पहुंचा देता है कि वह पश्चाताप की अग्नि में जलने लगता है और उसे प्रायश्चित का कोई उपाय नहीं दिखता बिना जाने बिना विचार किए किसी प्रकार का निर्णय करना कितना गलत होता है यह भगवान श्री कृष्ण जी ने अपनी लीला मात्र से

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गुरू

22 जुलाई 2021
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*जय श्रीमन्नारायण**स्त्रीयों को गुरू क्यूं नहीं बनाना चाहिये , और संतो को क्यूं स्त्रीयों से दूर रहना चाहिये ,, शास्त्र से*:-------- "" प्रश्न -- हमने गुरूसे कण्ठी तो लेली , पर उनमें श्रद्धा नहीं रही तो क्या कंठी उनको वापस कर दें ?"" उत्तर--कंठी वापस करने के लिए हम कभी समर्थन

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गुरु ही सर्वस्व है

29 जुलाई 2021
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*जय श्रीमन्नारायण*🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 *भाग:-१* *गुरु ही सफलता का स्रोत*🥀🌲🥀🌲🥀🌲🥀 गुरु चाहते हैं कि शिष्य दिव्यता के इस मार्ग पर अग्रसर हो और तुम इस पद पर पहुंच जाओगे तो तुम्हें अपने आप एहसास होगा तुम्हें संतोष होगा कि तुम इस पद पर खड़े हो औरों को तो इस पद का ज्ञान भी नहीं है वह पत्र जहां

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गुरु ही सफलता का स्रोत

30 जुलाई 2021
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*गुरु ही सफलता का स्रोत*🌲🥀🌲🥀🌲🥀🌲🥀 *जय श्रीमन्नारायण* *भाग:-२*☘️🌿☘️🌿☘️🌿☘️🌿इस दुनिया के लिए एक और शब्द है संसार संसार शब्द दो शब्दों के सहयोग से बना है सम सार इसका अर्थ है कि जो अवस्था मेरी प्रकृति के अनुरूप है वही संसार है इसलिए अगर मैं कामों को हूं तो सुंदर स्त्री को देखने में अ

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गुरु ही सफलता का स्रोत

31 जुलाई 2021
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*जय श्रीमन्नारायण*🌹💐🌹💐🌹💐🌹💐 *गुरु ही सफलता का स्रोत**भाग:-----३*🌲🌿🌲🌿🌲🌿🌲🌿 *गतांक से आगे*---- *क्या गुरु का भी ऋण होता है*--------तो उत्तर आएगा हां शिष्य अपने गुरु का ऋण कभी उतार ही नहीं सकता अपने माता-पिता का ऋण उतार सकता है अपने स्वजनों का ऋण उतार सकता है क्योंकि उनसे उसके देश

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गुरु हि सफलता का स्रोत

1 अगस्त 2021
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*जय श्रीमन्नारायण*☘️🌿☘️🌿☘️🌿☘️🌿*गुरु ही सफलता का स्रोत*🌺🌼🌺🌼🌺🌼🌺🌼 *भाग:-४* *गतांक से आगे------* *अनुभवति हि मूर्ध्ना पादपस्तीव्रमुष्णं।**शमयति परितापमं छायया संश्रितानाम्।।*(अभिज्ञान शाकुंतलम:५/7)अर्थात:- वृक्ष अपने सिर से तो तीव्रउष्णता का अनुभव करता है पर अपने आश्रितों के ताप को छाया से

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बिल्वपत्र पूजन 108 मन्त्र

1 अगस्त 2021
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*महादेव की बिल्व पत्रों से पूजा*〰〰🌼〰🌼〰🌼〰〰त्रिदेवों में भगवान शिव को सबसे जल्दी प्रसन्न होने वाला माना गया है। भगवान शिव को ‘भोलेनाथ’ और ‘औघड़’ माना गया है जिसका तात्पर्य यह है कि वो किसी को बहुत अधिक परेशान नहीं देख सकते और भक्त की थोड़ी सी भी परेशानी उनकी करुणा को जगा देती है।नीलकंठ रूपेण करुणामय

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गुरु हि सफलता का स्रोत

2 अगस्त 2021
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*श्री यतिराजाय नमः*🌼🌺🌼🌺🌼🌺🌼🌺 *गुरु हि सफलता का स्रोत**भाग ५:-----**गतांक से आगे:----*गुरु के बारे में शास्त्र में कहा गया है--*गुरूर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु गुरुर्देवो महेश्वरः! गुरु साक्षात परब्रह्म तस्मै श्री गुरुवे नमः*अर्थात:- वास्तव में ही पूर्णता का दूसरा नाम गुरु है अष्ट महा सिद्धियां गुर

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नियमावली

3 अगस्त 2021
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🌺🍥🌺🍥🌺🍥🌺🍥🌺🍥🌺🍥 ‼️ *श्री राधे कृपा हि सर्वस्वम* ‼ *नियम एवं प्रतिज्ञा* ♦🍀♦🍀♦🍀♦🍀♦️🍀♦️🍀 *मित्रों यह समूह बनाने का एकमात्र उद्देश्य यह है कि जिन्हें हम भूलते जा रहे हैं उन सनातन परम्पराओं को हम पुन: जीवित कर सकें। सभी भगवत्प्रेमियों को एक

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गुरु ही सफलता का स्रोत

4 अगस्त 2021
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*जय श्रीमन्नारायण*🌺🌷🌺🌷🌺🌷🌺🌷 *गुरु ही सफलता का स्रोत**भाग:-६*☘️🌿☘️🌿☘️🌿☘️🌿☘️🌿*गतांक से आगे:------*संसार में दुख हैं हर दुख का कारण है और हर दुख का निवारण भी है गुरु की कृपा प्राप्त करने का सरल उपाय ही दीक्षा है और शिष्य का धर्म यही है की पुनः पुनः गुरु चरणों में उपस्थित होकर दीक्षा द

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गुरु ही सफलता का स्रोत

4 अगस्त 2021
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‼️ *श्रीमते रामनुजाय नमः* ‼️💐🌹💐🌹💐🌹💐🌹 *🌹🌹गुरु ही सफलता का स्रोत 🌹🌹*🦚 *भाग ७*🦚*गतांक से आगे------**शिष्य कितना भी क्षमता वान क्यों ना हो जाए उस का साधन आत्मक स्तर कितना भी उच्च क्यों ना हो जाए चाहे उसमें ब्रह्मांड को दोबारा रचने की क्षमता ही क्यों ना आ जाए तब भी वह सद्गुरु के सामने शिशु

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गुरु ही सफलता का स्रोत भाग:-८

5 अगस्त 2021
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*‼️जय श्रीमन्नारायण‼️*🌞🌞🌞🌞🌞🌞🌞🌞 *‼️गुरु ही सफलता का स्रोत ‼️**भाग ८:-------*🌺🌷🌺🌷🌺🌷🌺🌷*गतांक से आगे:----**ब्रह्मज्ञान बिनु नारि नर कहहिं न दूसरि बात।**कौड़ी लागि लोभबस करहि बिप्र गुर घात।।'*🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹*अर्थात:-*(स्त्री-पुरुष ब्रह्मज्ञान के सिवा दूसरी बात ही नहीं कहते और

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गुरु ही सफलता का स्रोत

6 अगस्त 2021
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*श्रीयतिराजाय नमः*🦜🦚🦜🦚🦜🦚🦜🦚*‼️गुरु ही सफलता का स्रोत‼️* *भाग:-९**गतांक से आगे:----------**ब्रम्हाण्ड रश्मिनिकरेश्वनु गुज्जछदमात।**यस्य स्तुतीं प्रकृतिरेव स्वयं करोति।**गायन्ति यां ऋषिजनाः सुजनाश्च तं वै।**तं वन्दे रामानुजस्य चरणारविन्दम।।*जिनकी स्तुति स्वयं प्रकृति भी करती है उस स्तुति का

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गुरु ही सफलता का स्रोत

7 अगस्त 2021
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*श्रीमते यतिराजाय नमः*🌿☘️🌿☘️🌿☘️🌿🌿☘️ *‼️ गुरु ही सफलता का स्रोत‼️**भाग १०:--**गतांक से आगे:-------*शिष्य का जीवन गुरु से जोड़कर ही पूर्ण बनता है जीवन की यात्रा तो संसार में जिसने भी जन्म लिया है वह करता ही है लेकिन कितने व्यक्ति इस जीवन में पूर्णता प्राप्त करते हैं यह ज्यादा महत्वपूर्ण है शास्त

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गुरु ही सफलता का स्रोत

8 अगस्त 2021
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*🦚 जय श्रीमन्नारायण🦚*🌼🌞🌼🌞🌼🌞🌼🌞 *‼️ गुरु ही सफलता का स्रोत ‼️**भाग ११*🌿☘️🌿☘️🌿☘️🌲☘️🌿*गतांक से आगे:-------* *यस्मान् महेश्वरः साक्षात कृत्वा मानुष विग्रहं।**कृपया गुरुरूपेण मग्नाः प्रोद्धरति प्रजा:।।**अर्थात:--*स्वयं परमेश्वर मानव मूर्ति धारण करके कृपया पूर्वक गुरु रूप में माया में म

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गुरु ही सफलता का स्रोत

10 अगस्त 2021
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*श्रीमते रामानुजाय नमः*🌲🌿🌲🌿🌲🌿🌲🌿*‼️गुरु ही सफलता का स्रोत ‼️**भाग १२:--**गतांक से आगे:-------*जीवन पौरुष के साथ जीने के लिए प्राप्त हुआ है और वह पौरुष गुरुद्वारा प्रदत्त ज्ञान का पूर्ण रूप से पकड़ कर ही प्राप्त हो सकता है। सद्गुरु हर जीवन में साथ रहते हुए उस मार्ग पर ले जाते हैं जो पूर्णता का,

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आपकी जिज्ञासाएं? हमारे समाधान

12 अगस्त 2021
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*श्रीमते यतिराजाय नमः**‼️ आपकी जिज्ञासायें ?? हमारे समाधान‼️*🌷🌺🌷🌺🌷🌺🌷🌺🌷*भाग १:---**प्रश्न:- गुरु दीक्षा क्या जरूरी है ??गुरु दीक्षा के कितने रूप हैं ??जब सीखना ही है तो दीक्षा के बिना भी तो सीखा जा सकता है तो दीक्षा के द्वारा गुरु एवं शिष्य के बीच कौन सा संबंध स्थापित हो जाता है**उत्तर:- सा

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आपकी जिज्ञासाएं??हमारे समाधान।

13 अगस्त 2021
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*जय श्रीमन्नारायण*🌹🌼🌹🌼🌹🌼🌹🌼*‼️आपकी जिज्ञासाएं??हमारे समाधान।‼️**🦚भाग :-2**गतांक से आगे:----*केवट का गुरु कोई साधारण मनुष्य नहीं अपितु स्वयं भगवान भोलेनाथ थे पूर्व जन्म में जब वह परिवार के भरण-पोषण के लिए शिकार करता था एक दिन भूख और प्यास से व्याकुल जंगल में भटकता रहा और शिकार नहीं मिला हाथों

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आपकी जिज्ञासाएँ?? हमारे समाधान।

15 अगस्त 2021
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*जय श्रीमन्नारायण*🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳*‼️आपकी जिज्ञासाएं?? हमारे समाधान‼️*💐💐💐💐💐💐💐💐*भाग ३ :-**गतांक से आगे:--------*शिष्य का गुरु के प्रति एक कर्तव्य है और इसी प्रकार गुरु का भी शिष्य के प्रति एक कर्तव्य है शिष्य का मतलब है अनुशासन और पूर्ण समर्पण इसी प्रकार गुरु का भी तात्पर्

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आपकी जिज्ञासाएँ??हमारे समाधान। भाग 4

18 अगस्त 2021
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*जय श्रीमन्नारायण*☘️🌿☘️🌿☘️🌿☘️🌿*‼️आपकी जिज्ञासाएँ?? हमारे समाधान‼️**भाग ४:-*🌺🌷🌺🌷🌺🌷🌺🌷🌺*गतांक से आगे:---------**प्रश्न:- क्या गुरु ईष्ट हो सकता है?**उत्तर:-* इष्ट का तात्पर्य एक ऐसी सत्ता से है जो उसके जीवन में सर्वोच्च है और जिस में लीन हो जाना वह अपना गौरव समझता है यदि शिष्य की भावना है

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प्रणाम करने का तरीका

25 अगस्त 2021
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<p>★★★प्रणाम निषेध ★★★</p> <p>°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°</p> <p>१_दूरस्थं जलमध्यस्थं धावन्तं धनगर्व

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छठी इंद्री

26 अगस्त 2021
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<p>🚩🔱🕉️⚛📿🔥 *छठी इंद्री को जागृत करने के 5 तरीके !*⚛</p> <p>

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आपकी जिज्ञासाएँ? हमारे समाधान

20 सितम्बर 2021
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<p>*श्रीमते रामानुजाय नमः*</p> <p>🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿</p> <p>एक बार पुनः आप लोगों की सेवा में प्रेषित ह

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श्राद्ध कब और कैसे

21 सितम्बर 2021
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<p>पक्ष विशेष</p> <p>〰〰🌸〰〰</p> <p>एकैकस्य तिलैर्मिश्रांस्त्रींस्त्रीन</p> <p>दद्याज्जलाज्जलीन।</p>

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आपकी जिज्ञासाएँ? हमारे समाधान

22 सितम्बर 2021
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<p><br></p> <figure><img src="https://shabd.s3.us-east-2.amazonaws.com/articles/611d425242f7ed561c89

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आपकी जिज्ञासाएँ?हमारे समाधान

24 सितम्बर 2021
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<p>*श्रीमते रामानुजाय नमः*</p> <p><br></p> <p>*‼️आपकी जिज्ञासाएँ?हमारे समाधान‼️*</p> <p><br></p> <p>

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आपकी जिज्ञासाएँ?हमारे समाधान

26 सितम्बर 2021
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<p>*श्रीयतिराजाय नमः*</p> <p><br></p> <p>☘️☘️☘️☘️☘️☘️☘️☘️☘️</p> <p><br></p> <p> *‼️आपकी जिज्ञास

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आपकी जिज्ञासाएँ?हमारे समाधान

1 अक्टूबर 2021
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<p><br></p> <figure><img src="https://shabd.s3.us-east-2.amazonaws.com/articles/611d425242f7ed561c89

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पितृ दोष

2 अक्टूबर 2021
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<p>*🕉हिन्दू संस्कार🕉*</p> <p><br></p> <p>पितृ दोष लक्षण,कारण एवं निवारण</p> <p>~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

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भोजन करने का नियम

12 नवम्बर 2021
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<p>*खड़े होकर भोजन करने से हानियाँ*</p> <p>🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹</p> <p>*आजकल सभी जगह शादी-पार्टियों

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अयोध्या नाथ की लीला

26 नवम्बर 2021
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<p>*श्री अयोध्या जी के दशरथ महल की सत्य घटना*</p> <p><br></p> <p><br></p> <p>श्री अयोध्या जी में 'कन

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भक्त भगवान की प्रेम लीला

6 जनवरी 2022
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ठाकुर जी के प्रेमी भक्त 'श्री जयकृष्ण दास बाबा जी' के जीवन का एक सुंदर प्रसंग गोपाल की उल्टी रीति है। अगर कोई बुलाता है तब भी उसके पास नहीं जाते, और कभी कोई नहीं भी बुलाता तो उसके पास जरूर जाते हैं।

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श्रीवैष्णव तिलक महत्व

9 मार्च 2022
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*जय श्रीमन्नारायण* 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 *श्री वृंदावन धाम की जय* अगर कोई कंठीधारी कृष्णभक्त या वैष्णव जो उर्धव-पुन्ड्र वैष्णव तिलक लगाकर किसी के घर भोजन करता है, तो उस घर के 20 पीढ़ियों को मैं (

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हनुमानजी का कर्ज

16 मई 2022
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(((( हनुमान जी का कर्जा )))) . रामजी लंका पर विजय प्राप्त करके आए तो, भगवान ने विभीषण जी, जामवंत जी, अंगद जी, सुग्रीव जी सब को अयोध्या से विदा किया।  . सब ने सोचा हनुमान जी को प्रभु बाद में बिदा करेंग

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लहसुन प्याज क्यों नहीं खाना चाहिए

28 जून 2022
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प्रश्नकर्ता - लहसुन-प्याज खाना चाहिए अथवा नहीं ? श्री बागेश्वर धाम सरकार एवं श्री अनिरुद्धाचार्य जी महाराज ने इस सन्दर्भ में परस्पर विरोधी वक्तव्य दिये हैं, कृपया समाधान करें। निग्रहाचार्य श्रीभागवता

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सनातन संस्कृति पर भू माफियाओं का कब्जा

15 सितम्बर 2022
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*श्रीमते रामानुजाय नमः* 🌿☘️🌿☘️🌿☘️🌿☘️🌿    *!! विषय!!* *सनातन धर्म और धर्म स्थलों पर बलात अतिक्रमण* *( सनातन धर्म स्थलों पर भू माफियाओं का कब्ज़ा जा)* *[प्रथम भाग]* आज बहुत दिन बाद पुनः धारावाहिक

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सनातन संस्कृति पर बलात कब्जा

17 सितम्बर 2022
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*श्रीमते रामानुजाय नमः* 🌿☘️🌿☘️🌿☘️🌿☘️🌿    *!! विषय!!* *सनातन धर्म और धर्म स्थलों पर बलात अतिक्रमण* *( सनातन धर्म स्थलों पर भू माफियाओं का कब्ज़ा जा)* *[ तृतीय भाग]*             *जय श्रीमन्नारायण*

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सनातन संस्कृति पर बलात कब्जा

17 सितम्बर 2022
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*श्रीमते रामानुजाय नमः* 🌿☘️🌿☘️🌿☘️🌿☘️🌿    *!! विषय!!* *सनातन धर्म और धर्म स्थलों पर बलात अतिक्रमण* *( सनातन धर्म स्थलों पर भू माफियाओं का कब्ज़ा जा)* *[ द्वितीय भाग]*    कल के लेख में  आपने पढ़ा

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सनातन संस्कृति पर भू माफिया ओं का कब्जा

18 सितम्बर 2022
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*श्रीमते रामानुजाय नमः* 🌿☘️🌿☘️🌿☘️🌿☘️🌿    *!! विषय!!* *सनातन धर्म और धर्म स्थलों पर बलात अतिक्रमण* *( सनातन धर्म स्थलों पर भू माफियाओं का कब्ज़ा जा)* *[ चतुर्थ भाग]*             *जय श्रीमन्नारायण

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सनातन संस्कृति पर बलात अतिक्रमण

19 सितम्बर 2022
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*श्रीमते रामानुजाय नमः* 🌿☘️🌿☘️🌿☘️🌿☘️🌿    *!! विषय!!* *सनातन धर्म और धर्म स्थलों पर बलात अतिक्रमण* *( सनातन धर्म स्थलों पर भू माफियाओं का कब्ज़ा जा)* *[ चतुर्थ भाग]*             *जय श्रीमन्नारायण

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सनातन संस्कृति पर बलात कब्जा

20 सितम्बर 2022
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*श्रीमते रामानुजाय नमः* 🌿☘️🌿☘️🌿☘️🌿☘️🌿    *!! विषय!!* *सनातन धर्म और धर्म स्थलों पर बलात अतिक्रमण* *( सनातन धर्म स्थलों पर भू माफियाओं का कब्ज़ा जा)* *[ पंचम भाग]*             *जय श्रीमन्नारायण*

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सनातन संस्कृति व धर्मस्थलों पर भूमाफियाओं का कब्जा

23 सितम्बर 2022
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*श्रीमते रामानुजाय नमः* 🌿☘️🌿☘️🌿☘️🌿☘️🌿    *!! विषय!!* *सनातन धर्म और धर्म स्थलों पर बलात अतिक्रमण* *( सनातन धर्म स्थलों पर भू माफियाओं का कब्ज़ा जा)* *[ षष्ठम भाग]*             *जय श्रीमन्नारायण*

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सनातन संस्कृति व धर्मस्थल और आश्रमों पर भू माफियाओं का बलात कब जा

23 सितम्बर 2022
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*श्रीमते रामानुजाय नमः* 🌿☘️🌿☘️🌿☘️🌿☘️🌿    *!! विषय!!* *सनातन धर्म और धर्म स्थलों पर बलात अतिक्रमण* *( सनातन धर्म स्थलों पर भू माफियाओं का कब्ज़ा जा)* *[ षष्ठम भाग]*             *जय श्रीमन्नारायण*

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*सनातन धर्म और धर्म स्थलों पर बलात अतिक्रमण*

24 सितम्बर 2022
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*श्रीमते रामानुजाय नमः* 🌿☘️🌿☘️🌿☘️🌿☘️🌿    *!! विषय!!* *सनातन धर्म और धर्म स्थलों पर बलात अतिक्रमण* *( सनातन धर्म स्थलों पर भू माफियाओं का कब्ज़ा जा)* *[ अष्टम भाग]*             *जय श्रीमन्नारायण*

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सनातन धर्म और धर्म स्थलों पर बलात अतिक्रमण*

25 सितम्बर 2022
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*श्रीमते रामानुजाय नमः* 🌿☘️🌿☘️🌿☘️🌿☘️🌿    *!! विषय!!* *सनातन धर्म और धर्म स्थलों पर बलात अतिक्रमण* *( सनातन धर्म स्थलों पर भू माफियाओं का कब्ज़ा जा)* *[ नवम भाग]*             *जय श्रीमन्नारायण*  

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सनातन धर्म और धर्म स्थलों पर बलात अतिक्रमण*

30 सितम्बर 2022
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*श्रीमते रामानुजाय नमः* 🌿☘️🌿☘️🌿☘️🌿☘️🌿    *!! विषय!!* *सनातन धर्म और धर्म स्थलों पर बलात अतिक्रमण* *( सनातन धर्म स्थलों पर भू माफियाओं का कब्ज़ा जा)* *[ दशम भाग]*             *जय श्रीमन्नारायण*  

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