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"मेरा बचपन"

14 अगस्त 2020

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"मेरा बचपन"

सशक्त समाज बनाना

उत्प्रेरित विचार लाना।

शिक्षा समृद्धि अपनाना

नव कौशल है दिखाना।

समाज को भी जगाना

बचपन बनाना बचाना ।

बचपन जीवन का आधार सिद्धांत पर आधारित एक शानदार अभिनय की शुरुआत करने की मुहिम का स्वागत स्तंभ में से एक है। बचपन ,जौ - गेहूं की भाँती दुःख - सुख निर्मित जीवन मूल्यों की यात्रा पर रवाना होने की संभावना है।

परिवेश से खुद को प्रारंभ करने की कोशिश की कड़ी है। बचपन वातावरण तैयार करने वाली एक कंपनी की वेबसाइट का हिस्सा है। वह कंपनी हमारा समाज है | उसमें खुद को बनाने - ढालने की जरूरत है। बचपन धैर्य रूपी सरोवर में शुद्ध सत्य विमल मानस तीर्थ में उत्तम लोक की खोज करने वाला है। मोह मद लोभ से परे संयमित जीवन का आधार है।

बचपन में छोटा बड़ा कौन के बोध से संचालित परिधि के बाहर विकार से दूर निर्विकार भाव की स्थापना स्थल है।

मेरा बचपन शहर से बहुत दूर एक गांव में हुआ था। पिता जी किसान परिवार में जन्मे थे। मेरा बचपन भी उसी परिवार में हुआ था। जहां खेती थी दुधारू जानवर थे | हरे भरे बाग़ बगीचे थे | अयोध्या की नगरी का होने के बाद भी सरयूतट से तीन किलोमीटर दूर दक्षिण तरफ , जिसे बचपन में एक कोस कहा जाता था कि एक किस प[ार सरयू जी हैं | एक कोस की दूरी ? बच्चे को यह होस कोस का नहीं है कारण आज कल पढ़ाया ही नहीं जाता स्कूल कालेज मे और घर के संस्कारों में भी नहीं है यह सब बात ! साकेत से सैकड़ों किलो मीटर दूर पूर्व दिशा में मेरा गाँव अवस्थित है।

मेरे पिता जी किसान थे उन्हें खेती बारी का शौक था| शौक रहे भी क्यों नहीं दो भाइयों में अकेले ही बचे थे |

उन दिनों वर्ष भर में खेती से जौ , गेहूं ,चना ,मटर ,सरसो , अलसी की खेती होती थी | पानी का अभाव था लोग कूप ,नदी ,तालाब से सिचाई किया करते थे | आगे चलकर नहर गाव में आई यह नहर जिसकी हम जिक्र कर रहे हैं वह जब आई मेरी उम्र लगभग आठ वर्ष की रही होगी | नहर से कोई विशेष लाभ मेरे गाँव को नहीं हुआ बल्कि जब पानी उसमे आता उस समय वारिस का समय होता जिससे धान अरहर उड़द आदि लगाईं गयी फसल बरबाद हो जाया कराती थी | कहते हैं -

बरबादी की एक निशा गाँव को घेरा लिया

जब जल चाहिए तो सूखी खेती ही मिला |

खेती में धान , बजरी - बाजरा ,मक्का ,सांवा , कोदो ,उड़द ,मूंग , साथ ही सब्जी में तरोई ,सरपतिया ,ननुआँ ,करैला ,भिंडी ,बोरा ( बोड़ा ) ,कोहड़ा ,लौकी परवल ,बैगन टमाटर गाजर - ,मूली ,चुकंदर ,आलू - प्याज ,लहसुन ,चुकंदर ,मसाले में जीरा ,चमसुर मेथी आदि पैदा होते थे | बलुवार जमीन पर कन्ना ( गंजी ) की खेती होती थी | परवल और कन्ना के लतर लगाए जाते थे | सूरन की हमारे यहां खेती नहीं होती परन्तु घर के आस -पास ,कटहल के पौधे ले अगल बगल में सूरन की भी खेती होती थी | आम - कटहल बहुत होता था उन दिनों लोग आम और कटहल को पास पड़ोस बाँट देते थे | जिनके घर इसकी कमी होती थी अथवा जिसके पास पेड़ नहीं थे --

कहावत है कि भारत में दूध की नदियाँ बहा कराती थी | मुझे लगता है भारत में दूध की अधिकता रही होगी

मेरे बचपन में छोटे -बड़े ,अमीर -गरीब सभी के पास प्रायः भैंस ,गाय, बकरी रहती थी | किसी के पास एक - किसी के पास अनेक दुधारू जानवर भी होते थे | औकात के अनुसार भा ति-२ के अलग - अलग तादात में वह जानवरों को रखता था | उसके लिए चारागग की जगह बाग़ -बगीचे ,खाली जगह , नदी का किनारा प्रमुख रूप से प्रयोग में लिया जाता था | मेरे पास उन दिनों दो भैंस हुए एक गाय थी | बकरी का दूध कहते है शरीर को अधिक पुष्ट करता है इस लिए मेरे पिता जी ने बकरी भी खरीद दिया ,हमनें भी बकरी का दूध साढ़ी उतार पिया | बहुत काम समय बकरी रही | हम समझते हैं एक वा दो वर्ष तक |

आपस में लोगोंमे कुछ विरोध के बाद भी मित्रता थी बहुत से काम मिल जल कर लोग करते थे | चाहे सिचाई हो ,गन्ने की पेराई जैसे अनेकों कार्य मिलजुल कर किया करते थे |

सभ्यता की यात्रा में यहां उपहास किया जाता

कलिकाल में केवल मानव अस्त्र -शास्त्र बनाता !

युद्ध कला के सीखने से मना नहीं कोई करता

संस्कृति और संस्कार से जीवन सुधर जाता |

- सुखमंगल सिंह ,अवध निवासी

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रचनाएँ
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" शारदे दया करो"बसंत ऋतु की मंगल बेला मेंबागेश्वरी शारदा प्रकट हुई।बसंत पंचमी की तिथि थी वहपांचों तत्व थीं लिये खड़ी।ज्ञानतत्व कुबुद्धी का नाशकसमूल में ज्ञान मा भारती हो।अमृत्तत्व सर्वज्ञान- का सूचककल्याण निरंतर करती हो।विद्यातत्व सर्वकल्यान का सूचकमधुर वाणी में रमती हो।प्रकृतितत्व शुभ्र ज्योत्स्ना सूचकशक्ति कुंडलनी कहलाती हो।वीणा बजा जगाकर जग कोविनीत ज्ञान देकर लुभाती हो।भवानी भाव में मगन हो परमेरी यह विनती सु न लो !मां अज्ञानी को ज्ञान तू देती सर चरणों में अर्पित घ्यान करो! बालक हूं तेरा शक्ति भर दोसुदूर दृष्टि वाली दया तु कर दो।हाथ जोड़कर विनती करता हूंशारदा हमें क्षमा कर वर दो।हर पल तेरे नाम की महिमातेरी जय - जय जयकार करूं।तेरे पूजन में शामिल होकरतेरा ही गुणगान करूं।मेरे द्वारे पर माता आकर मेरे जीवन का उद्धार करो।मां तेरी जय जय जयकार करूंभव सागर से मा पार तरूं। ब्रह्म विद्या का तत्व ज्ञान जपूंतेरी जय - जय जयकार करूं।- सुखमंगल सिंह, अवध निवासी
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"रामजन्म भूमि पूजन हितकारी " राम जी भवन होत गारी सुमंगल गावत नर - नारी।देव ऋषि सब देखन घायेअयोध्या लागे बड़ी प्यारी।संतों का स्वागत है होतारावण अपने घर पर रोताखग मृग झूमें नगरी सारीअयोध्या लागे बड़ी प्यारी।देव ऋषि मानव रूप धर आए दरशन को अयोध्याश्रीराम जी का दर्शन पाकेला

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"सोमनाथ मंदिर "

16 सितम्बर 2020
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"सोमनाथ मंदिर "सोमनाथ मंदिर पे महमूद गजनवी का ,आक्रमण समझाने आया !सं १०२६ ई.के उस पुराना काले दिवस का इतिहास बताने आया | वैभवशाली ज्योतिर्लिंग की कीर्ति का सोमनाथ वारहवां प्रतीक | ईसा पूर्व अस्तित्व में आया जिसे सातवीं सदी में वल्लभी के मैत्रेय बनवाया | बार बार आक्रमण सहकर सन्देश दे जाता धैर्य और

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