अभी 5 सितम्बर को शिक्षक दिवस था और आज हिन्दी दिवस है... हमने अपने सदस्यों से
आग्रह किया क्यों न इस अवसर पर एक काव्य गोष्ठी का आयोजन किया जाए... तो आज उसी
गोष्ठी के साथ आपके सामने उपस्थित हैं... यदि हम ज़ूम पर या किसी भी तरह से ऑनलाइन
गोष्ठी करते हैं तो वहाँ कुछ समस्याओं का हमने अनुभव किया है... जिनमें सबसे बड़ी
समस्या नेटवर्क की होती है... यही सोचकर हमने अपने कुछ सदस्यों से निवेदन किया कि
वे अपनी रचनाओं के वीडियो हमें प्रेषित करें... बड़े उत्साह से कुछ लोगों ने अपनी
रचनाएँ हमें भेजी हैं... स्वागत है उन सभी सदस्यों का आज के इस कार्यक्रम में –
कुछ समय बिताएँ अपने शिक्षकों और मातृभाषा के साथ... देखने के लिए वीडियो पर
जाएँ... डॉ पूर्णिमा शर्मा...