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खुदको बदल पाओगी

15 सितम्बर 2020

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मै जानता हूँ सब बदल जायेगा।

आज जान हो कल अंजान हो जाओगी।

मेरे घर के हर कमरे की मान थी, अब मेहमान कहलाओगी।

मै जानता हूँ सब बदल जायेगा, क्या खुद को बदल पाओगी।

आज अम्बर धरती झील नदिया सब पूछते है जहाँ कल तक दोनो का नाम दिखाया करती थी, क्या अब उनकी भी खबर रख पाओगी।

मै जानता हूँ सब बदल जायेगा, क्या रिश्ते बदल पाओगी।

आज हर हिचकी पर याद करता हूँ तुम्हे, पेज-2

तुम्ही कहो कल मै तुम्हे भूल जाऊँ ऐसा असर कर पाओगी।

अब रास्ते अंजान से लगते है मुस्कुराते हर दिल बेईमान से लगते है,

दूर रहूँ तो आसान है खुद को खुद मे समेट लेना अगर मिल गया बेगाने रास्ते पर तो खुदके अशमंजस को मुझे सहज कर पाओगी।

मै जानता हूँ सब बदल जायेगा ये जुदाई के गम बदल पाओगी।

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आँखों में लाली

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देखो ना आँखों में लाली छाई हैं।रातों में जगा हूँ फिर से तुम्हारी याद आइ हैं।

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नाम क्यूँ नहीं लेते

5 सितम्बर 2020
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लोग कहते हैं तुम नाम क्यूँ नहीं लेते...!!!मैंने कहा छोड़ो यारों मैंने उन्हें छोड़ दिया इससे ज़्यादा और क्या इल्ज़ाम देते...!!!

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वो मुझे कहने लगातेरे इश्क़ में बहने लगावक़्त की बात है फिर तुझसे हुई मुलाक़ात हैंकर लेंगे हम आहिस्ता आहिस्ता तुझ पर भी भरोसा अब जो उसका आश खोने लगाहम है तेरे लिए बेशक ग़ैर हैमगर हमें तो आज भी भरोसा है जैसे चाँद को तारों से इश्क़ होने लगा

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गैरों से बातें

5 सितम्बर 2020
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जा मिल कर उनसे मोहब्बत की बातेंतु ख़ुश है उसके साथ तो तेरा क्या करे हम बात तुझे ऐहशास क्या होगा मेरे दिल पर जो बिता वो विश्वास क्या होगा किसी को मत तड़पा इतना डर मुझे लगता है कही तुझे हुआ तो वो अवकाश क्या होगा

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शब्द रूचि

5 सितम्बर 2020
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तू कोमल कली

6 सितम्बर 2020
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तु वो बाग़ की कोमल कली हैतुझे तोड़ा अधर्मी वो बली हैजिसे तूने तन मन से माना हैउसने ही तुझे ये पापी दाग़ में साना हैमैं माली हूँ बाग़ से टूटे कली कातु कर भरोसा मेरे साँस कीतेरा छोड़ अब किसका होने वाली हूँतुझे डर किस बात कीदेख मुझे हज़ारों ग़म है फिर भी मतवाली हूँतु छंद है मेरे पंक्तियों की मैं नशा

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तुझमें और तेरे इश्क़ में अंतर है इतना

7 सितम्बर 2020
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खुदको बदल पाओगी

15 सितम्बर 2020
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मै जानता हूँ सब बदल जायेगा। आज जान हो कल अंजान हो जाओगी। मेरे घर के हर कमरे की मान थी, अब मेहमान कहलाओगी। मै जानता हूँ सब बदल जायेगा, क्या खुद को बदल पाओगी। आज अम्बर धरती झील नदिया सब पूछते है जहाँ कल तक दोनो का नाम दिखाया करती थी, क्या अब उनकी भी खबर रख पाओगी। मै जानता हूँ सब बदल जायेगा, क्या रिश्त

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लिखूँगा

9 अक्टूबर 2020
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उठाया है क़लम तो इतिहास लिखूँगामाँ के दिए हर शब्द का ऐहशास लिखूँगाकृष्ण जन्म लिए एक से पाला है दूसरे ने उसका भी आज राज लिखूँगापिता की आश माँ का ऊल्हाश लिखूँगा जो बहनो ने किए है त्पय मेरे लिए वो हर साँस लिखूँगाक़लम की निशानी बन जाए वो अन्दाज़ लिखूँगाकाव्य कविता रचना कर

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