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हिंदुस्तान के युव हिंदी अब कहते भी शर्माते हैं

23 सितम्बर 2020

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हिंदी दिवस पर विशेष___

*प्रतियोगिता हेतु*

*मातृभाषा,हिन्दी*

*हास्य,कविता*

🥦🥦🥦🥦🥦🥦🥦🥦🥦🥦🥦🥦

देश हमारा उन्नति पर है,

सब अंग्रेजी बतलाते हैं ।

हिंदुस्तान के युवा हिंदी,

अब कहते भी शर्माते है ।

🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷

कविता हो या छन्द-वन्दना,

कुछ ऐसा तुम श्रंगार करो ।

हिंदी के नौ रस छन्दो से,

मन चाहें जैसा भाव भरो ।

गाँवों में अब भी हिंदी में,

सब बूढ़े जन बतलाते है ।

हिंदुस्तान के युवा हिंदी,

अब कहते भी शर्माते है।

🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷󝰼󝰊

हिंदुस्तान में जन्म हुआ,

तुम हिंदी का सम्मान करो ।

तुम पढो-लिखो कुछ भी लेकिन,

मत हिंदी का अपमान करो ।

राजभाषा छोड़के अब वो,

अंग्रजी पढ़ने जाते हैं ।

हिंदुस्तान के युवा हिंदी,

अब कहते भी शर्माते है ।

🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷

साहित्यकारों ने मेहनत,

कर आज सफलता पायी है ।

वर्षो कलम चलाई सब ने,

तब हिंदी पर तरुणाई है ।

अब हिंदी को स्वीकार करो,

क्यों आप मजाक बनाते है ।

हिंदुस्तान के युवा हिंदी,

अब कहते भी शर्माते है ।

🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷

सारे जग में रौशन कर दो,

घर-घर में स्वीकार करो ।

हे हिन्दुस्तनी मानव तुम,

कुछ हिंदी पर उपकार करो ।

कुछ शहरी बाबू बड़े हुये,

वो हिंदी से कतराते हैं ।

हिंदुस्तान के युवा हिंदी,

अब कहते भी शर्माते है ।

🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷

युवा-वृध्द या बालक हो सब ,

मिल हिंदी का विस्तार करो ।

अंग्रेजी माध्यम जो पढ़ते,

उन्हें हिंदी भी प्रदान करो ।

पापा मम्मी भूल गये वो,

अब डैडी मॉम बुलाते हैं ।

हिंदुस्तान के युवा हिंदी,

अब कहते भी शर्माते है ।

🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷

स्वरचित:-

अभिनव मिश्रा✍️✍️

( शाहजहांपुर )

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हिंदुस्तान के युव हिंदी अब कहते भी शर्माते हैं

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हिंदी दिवस पर विशेष___ *प्रतियोगिता हेतु* *मातृभाषा,हिन्दी* *हास्य,कविता* 🥦🥦🥦🥦🥦🥦🥦🥦🥦🥦🥦🥦 देश हमारा उन्नति पर है, सब अंग्रेजी बतलाते हैं ।हिंदुस्तान के युवा हिंदी, अब कहते भी शर्माते है ।🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷कविता हो या छन्द-वन्दना,

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प्रतियोगिता के सम्मान पत्र

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गरीब की दीवाली

13 नवम्बर 2020
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गरीब की दीवाली दीवाली के दिए जले हैं घर-घर में खुशहाली है।पर इस गरीब की दीवाली लगती खाली खाली है।पैसा वालों के घर देखोअच्छी लगे सजावट है।इस गरीब के घर को देखोटूटी- फूटी हालत है।हाय-हाय बेदर्द विधातागला गरीबी घोट रही।बच्चों के अब ख्वाब घरौंदेलाचारी में टूट रही।जेब पड़ी है खाली मेरीकैसे पर्व मनाऊं म

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माँ शारदे

15 नवम्बर 2020
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वर्ड पिरामिडहे!मातु!शारदेतम दूरमेरे कर देन हो कभी अहंमातु कृपा कर देमैंहूँ माँअज्ञानीकर जोड़करूँ विनतीहे हँसासिनी माँज्ञान सार भर दे स्वरचित:-अभिनव मिश्र"अदम्यशाहजहांपुर,उत्तरप्रदेश

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तुलसी विवाह

25 नवम्बर 2020
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#देवउठानि_एकादशीविषय- तुलसी विवाहतुलसी महिमा मैं गाउँ।तुम सबको आज सुनाऊ।थी वृन्दा एक कुमारी।बचपन से धर्म पुजारी।थी विष्णु भक्त वो प्यारी।है जिनकी महिमा न्यारी।कर दानव कुल में शादी।पतिव्रता धर्म की आदी।जालंधर नाम बखाना।देवों का शत्रु पुराना।था देवों का अपकारी।हरि भक्त मिली थी नारी।नारायण छल कर डाला।

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दौलत के खातिर

5 दिसम्बर 2020
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गीत ******** जीवन उलझा मेरा दौलत को कमाने में।हम भूल गए घर को कुछ वक्त बिताने में।सब छूट गए अपने बस याद बसी मन में।हूँ आज दुखी फिर भी रहता खुश जीवन में।परदेश बसे आकर घरद्वार छुटा अपना।है आज दुखित माता सूना ममता अँगना।हूँ आज नही सुख में अवशोष जमाने में।जीवन उलझा मेरा दौलत को कमाने में।बस च

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ग़ज़ल

5 दिसम्बर 2020
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ग़ज़ल221 1222 221 1222काफ़िया-आररदीफ़- नहीं होगाअपमान किसानों का स्वीकार नही होगा।इक बार किया तुमने हर बार नही होगा।ये बन्द करो नाटक जो खेल रहे हो तुम,गर वार किया तुमने इकरार नहीं होगा।दिन रात परिश्रम कर खाद्यान्न उगाता मैं,इस बार हुआ फिर से बेकार नहीं होगा।धोखे से छला तुमने हर बार किसानों को,इस बार अन्

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कुण्डलिया

6 दिसम्बर 2020
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कुण्डलियाहास्यदेखो कैसे फेसबुक, लड़ा रहे सब गप्प।चला रहे सब व्हाटसप, कामकाज सब ठप्प।कामकाज सब ठप्प, चलाते यूटुब लाला।आज सभी को व्यस्त, जिओ सिम ने कर डाला।करें वीडियो काल, और ले सेल्फी ऐसे।मुँह के कोने चार, करे सब देखो कैसे।अभिनव मिश्र अदम्य

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दोहा ग़ज़ल

8 दिसम्बर 2020
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दोहा ग़ज़लकोरोना इक वायरस, परेशान संसार।पूरे जग में मच रहा, देखो हाहाकार।हाँथों को तुम जोड़कर, सबको करो प्रणामकोरोना ने कर दिया, मानव को बीमार।निश्चित दूरी कीजिये, मुह पर पहनो मास्कहाँथों को तुम ध्यान से, धोना बारम्बार।बैठे सब बेकार हैं, कामगार मजदूरकोरोना की मार से, दिखते सब लाचार।बाहर जाने से प्रथम,

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आरक्षण विरोध

9 दिसम्बर 2020
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ताटंक छन्द16,14 की यति अंत 222 सेआरक्षण की बात करे जो, कब तक इसे बढ़ाओगे।जाति पाति का भेद-भाव ये, कब तक तुम दिखलाओगे।। आरक्षण जो रहा देश में, भेद नही मिट पायेंगे।चाहें जितनी कोशिश कर लो, इसमे ही बट जायेंगे।।

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शारदे वन्दना

17 दिसम्बर 2020
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कलाधर छन्दशारदे समग्र शुद्ध, भाव का विचार सार,दिव्य ज्ञान की मिठास, मातु आप दीजिये।काम क्रोध मोह लोभ, पाप को मिटाय मातु,चित्त की मलीनता को, दूर आप कीजिये।कीजिये विनाश मातु, रोग दोष का सदैव,अंधकार को मिटा, हमे उबार लीजिये।धर्म कर्म रीति नीति, सभ्यता स्वभाव शान्ति,सत्य नेह भावना, सुज्ञान मातु दीजिये।अ

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जय माँ शारदे

17 दिसम्बर 2020
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कलाधर छन्दशारदे समग्र शुद्ध, भाव का विचार सार,दिव्य ज्ञान की मिठास, मातु आप दीजिये।काम क्रोध मोह लोभ, पाप को मिटाय मातु,चित्त की मलीनता को, दूर आप कीजिये।कीजिये विनाश मातु, रोग दोष का सदैव,अंधकार को मिटा, हमे उबार लीजिये।धर्म कर्म रीति नीति, सभ्यता स्वभाव शान्ति,सत्य नेह भावना, सुज्ञान मातु दीजिये।अ

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अटल जी की जयंती

24 दिसम्बर 2020
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#मुक्तक रत्न पुरुष बन विश्व पटल पर, नाम देश का बढा गया।हिन्द देश का कलम सिपाही, पाठ सहिष्णुता पढ़ा गया।आज जयंती पर उसकी आ, मिलके शीश नवाएं हमइतिहासों के पन्नो पर जो, नाम अटल इक चढ़ा गया।अदम्य

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अटल जी की जयंती

24 दिसम्बर 2020
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दोहा मुक्तकअटल बिहारी जी हुए, भारत रत्न महान।राजनीति के सन्त थे, हिन्द देश की शान।कलम सिपाही भी बने, कविता लिखी तमाम,विश्व पटल पर देश का, सदा बढ़ाया मान। अभिनव मिश्र अदम्य

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शारदे वन्दना

4 जनवरी 2021
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*सादर समीक्षार्थ*पंचामर छन्द121 212 12, 121 212 12सुमातु ज्ञान दीजिये, दयालु देवि शारदे।मिटाय अंधकार को, प्रकाश को उबार दे।जला सुदीप ज्ञान का, सुकंठ हँसवाहिनी।स्वभाव में मधुर्यता, रहे सदा सुवासिनी।सुमार्ग पे चलूँ सदा, विहंग सी उड़ान दो।सुसभ्यता सदा रहे, हमें नवीन ज्ञान दो।पुनीत भाव दो हमें, दयालु देव

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बेटी की पुकार

15 जनवरी 2021
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सगुण छन्द122 122 122 121कहे गर्भ से आज बेटी पुकार।नही इस तरह कोख में मातु मार।यही चाहती माँ तुम्हीं से जवाब।बनी बेटियाँ क्यों जगत में खराब।रहीं देश में बेटियाँ भी सुजान।सदा आप समझो सुता-सुत समान।करो माँ न कच्ची कली पे प्रहार।नही इस तरह कोख में मातु म

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चाहें महँगा हो जाये पेट्रोल डेढ़ सौ पार।अच्छे दिन की कमी नही है, बढ़िया यह सरकार-जोगीरा सारा रा रा रा।।राजनीति में करते नेता, रुपयों से हैं खेल।महँगाई में बढ़ता देखो, आज नमक और तेल-जोगीरा सारा रा रा रा।।झूठे वादे करके नेता, लड़ते खूब चुनाव।भोली-भाली जनता के दिल, पर करते हैं घाव-जोगीरा सारा रा

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आज कुटिया पधारे जो श्रीराम जी, देख शबरी कि आँखे सजल हो गयीं।राह में फूल नित जो सजाती रही, साधना आज उसकी सफल हो गयी।।रूप सुन्दर मनोहर धनुष हाथ में, और हैं साथ में भ्रात उनके लखन।राम ने जब कुटी में किया आगमन, देखते ही प्रफुल्लित हुआ आज मन।।प्रेम से दौड़ शबरी मिली राम से, आज कठनाइयाँ सब सरल हो गयी।राह म

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27 मार्च 2021
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*माँ अम्बे स्तुति*पंचचामर छन्द121 212 12, 121 212 12नमामि मातु अम्बिके त्रिलोक लोक वासिनी!विशाल चक्षु मोहिनी पिशाच वंश नाशिनी!!समस्त कष्ट हारिणी सदा विभूति कारिणी!अनंत रूप धारिणी त्रिलोक देवि तारिणी!!सवार सिंह शेष पे महाबला कपर्दिनी!असीम शक्ति स्त्रोत मातु चण्ड मुण्ड मर्

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9 मई 2021
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माँ से ही जीवन मिला, और मिला शुभ नाम।माँ के आशीर्वाद से, बनते बिगड़े काम।।माँ तो पावन प्रीति है , माँ शीतल जल धार।माँ के आँचल में छिपा, ममता प्यार दुलार।अभिनव मिश्र अदम्य

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17 मई 2021
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प्राणप्रियेसरसी छन्द16,11 की यति 27 मात्रएं अंत 21 सेमेरी प्राणप्रिये तुम हमको, जन्म जन्म स्वीकार।तुम ही मेरे जीवन की हो, जीने का आधार।तुम मेरे दिल की धड़कन हो, तुम ही मेरी सांस।तुमसे कुछ उम्मीदें मेरी, तुमसे ही कुछ आस।करती सेवा सदा हमारी, रखती हर पल ध्यान।अगर समस्या में चिंतित हूँ, करती तुम आसान।कभी

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आवारा परदेशी awara pardeshi

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गीत- आवारा परदेशीमै आवारा परदेशी हूँ, मेरा नही ठिकाना रेओ मृग नयनों वाली सुनले, मुझसे दिल न लगाना रेजब तीर नज़र का किसी ज़िगरको पार कभी कर जाता हैप्यार मुहब्बत में बेचाराचैन नही फिर पाता हैघुट-घुट फिर जीना होता है, पड़ता अश्क़ बहाना रेओ मृग नयनों वाली सुनले, मुझसे दिल न लगाना रेइस दिल का उस दिल से

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