shabd-logo

उठो नारी प्रहार करो

2 अक्टूबर 2020

506 बार देखा गया 506
featured image

है कँहा लिखा काजल भर नेत्रों में श्रृंगार करो

फूलो से महकते गजरे में लिपटी कोई नार बनो

भुजा में जोर तुम्हारे भी कभी तो स्वीकार करो

नरभक्षी पिशाचों की गर्दन पर तुम तलवार धरो

है कँहा लिखा काजल भर नेत्रों में श्रृंगार करो

फूलो से महकते गजरे में लिपटी कोई नार बनो

गुड़ियों के ब्याह में यूँ न व्यर्थ करो तुम बालपन

होकर सबल खुद को एक योद्धा सा तैयार करो

भुजा में जोर तुम्हारे भी कभी तो स्वीकार करो



Pooja yadav Shawak की अन्य किताबें

Pooja yadav Shawak

Pooja yadav Shawak

धन्यवाद

25 जून 2021

1

हीरो

25 जुलाई 2020
0
0
0

हर व्यक्ति अपनी जीवन का हीरो स्वयं होता है जीवन में कठिनाइयां न हो तो इंसान कि परख नहीं हो सकती अगर हम मुश्किलों से डर जाए और घबरा कर भाग्य को दोष देने लगें तो इससे उत्थान कैसे संभव है रावण के बिना राम राम न होते बिना कंस के आतंक के कृष्ण कृष्ण न होते

2

लॉकडाउन में ब्याह

25 जुलाई 2020
0
0
0

चंदू चच्चा निकले बड़े श्याणे लॉक डाउन में चले चाची लाने कम खर्चे में ब्याह करवाऊंगा न बाराती न तो बैंड बजवाऊंगा अब न घोड़ी पर ही खर्चा होगा न डीजे पर कोई झगड़ा होगा न्यौते भी कुछ ही ख़ास रहेंगे बस परिवार के लोग साथ होंगे न पटाखों पर ही पैसे उड़ाऊंगा न महँगे शामियाने ही लगवाउँगा एक साधारण विवा

3

उठो नारी प्रहार करो

2 अक्टूबर 2020
1
3
2

है कँहा लिखा काजल भर नेत्रों में श्रृंगार करो फूलो से महकते गजरे में लिपटी कोई नार बनो भुजा में जोर तुम्हारे भी कभी तो स्वीकार करो नरभक्षी पिशाचों की गर्दन पर तुम तलवार धरो है कँहा लिखा काजल भर नेत्रों में श्रृंगार करो फूलो से महकते गजरे में लिपटी कोई नार बनो गुड़ियों के ब्याह में यूँ

4

जब से घर से दूर रहने लगें है

25 जून 2021
1
1
2

जब से घर से दूर अकेले रहने लगें है मुश्किलों को भी हँसकर सहने लगें हैखुद से ही ढूंढ़ लेते अब तो जवाब हम सवाल भी कुछ अहमियत खोने लगें है कोई मनाता ही नहीं अब हमें खाने को न ही आवाज़ लगाता सुबह जगाने को खुद से ही खुद को सुला देते है रात में खुद से ही खुद को सुबह जगाने लगें है एक मज़बूत सा ताला इंतज़ार में

5

एक मुलाक़ात बरसों के बाद

1 मार्च 2022
1
1
0

आज बहुत  बरसो के  बाद  देखा  तुमको उम्र बढ़ गई है फिर भी पहले सी लगती हो कंही कंही से सफ़ेद हो गए है बाल तुम्हारे बाकी जूडा अब भी पहले सा ही करती  हो देखा तुम्हे तो सोचा आवाज़ दें कर पुकारूँ या बस यूँ

---

किताब पढ़िए