shabd-logo

महा विद्या साधना

11 नवम्बर 2020

502 बार देखा गया 502

{{{ॐ}}}


#मातंगी_मंत्र_साधना


वर्तमान युग में, मानव जीवन के प्रारंभिक पड़ाव से अंतिम पड़ाव तक भौतिक आवश्यकताओ की पूर्ति के लिए प्रयत्नशील रहता है । व्यक्ति जब तक भौतिक जीवन का पूर्णता से निर्वाह नहीं कर लेता है, तब तक उसके मन में आसक्ति का भाव रहता ही है और जब इन इच्छाओ की पूर्ति होगी,तभी वह आध्यात्मिकता के क्षेत्र में उन्नति कर सकता है । मातंगी महाविद्या साधना एक ऐसी साधना है जिससे आप भौतिक जीवन को भोगते हुए आध्यात्म की उँचाइयो को छु सकते है । मातंगी महाविद्या साधना से साधक को पूर्ण गृहस्थ सुख ,शत्रुओ का नाश, भोग विलास,आपार सम्पदा,वाक सिद्धि, कुंडली जागरण ,आपार सिद्धियां, काल ज्ञान ,इष्ट दर्शन आदि प्राप्त होते ही है

इसीलिए ऋषियों ने कहा है ---मातंगी मेवत्वं पूर्ण मातंगी पुर्णतः उच्यते;

इससे यह स्पष्ट होता है की मातंगी साधना पूर्णता की साधना है । जिसने माँ मातंगी को सिद्ध कर लिया फिर उसके जीवन में कुछ अन्य सिद्ध करना शेष नहीं रह जाता । माँ मातंगी आदि सरस्वती है,जिसपे माँ मातंगी की कृपा होती है उसे स्वतः ही सम्पूर्ण वेदों, पुरानो, उपनिषदों आदि का ज्ञान हो जाता है ,उसकी वाणी में दिव्यता आ जाती है ,फिर साधक को मंत्र एवं साधना याद करने की जरुरत नहीं रहती ,उसके मुख से स्वतः ही धाराप्रवाह मंत्र उच्चारण होने लगता है ।

जब जब साधक बोलता है तो हजारो लाखो की भीड़ मंत्र मुग्ध सी उसके मुख से उच्चारित वाणी को सुनती रहती है । साधक की ख्याति संपूर्ण ब्रह्माण्ड में फैल जाती है ।कोई भी उससे शास्त्रार्थ में विजयी नहीं हो सकता,वह जहाँ भी जाता है विजय प्राप्त करता ही है । मातंगी साधना से वाक सिद्धि की प्राप्ति होते है, प्रकृति साधक से सामने हाँथ जोड़े खडी रहती है, साधक जो बोलता है वो सत्य होता ही है । माँ मातंगी साधक को वो विवेक प्रदान करती है की फिर साधक पर कुबुद्धि हावी नहीं होती,उसे दिव्य ज्ञान की प्राप्ति होती है और ब्रह्माण्ड के समस्त रहस्य साधक के सामने प्रत्यक्ष होते ही है ।

भगवती मातंगी को उच्छिष्ट चाण्डालिनी भी कहते है,इस रूप में माँ साधक के समस्त शत्रुओ एवं विघ्नों का नाश करती है,फिर साधक के जीवन में ग्रह या अन्य बाधा का कोई असर नहीं होता । जिसे संसार में सब ठुकरा देते है,जिसे संसार में कही पर भी आसरा नहीं मिलता उसे माँ उच्छिष्ट चाण्डालिनी अपनाती है,और साधक को वो शक्ति प्रदान करती है जिससे ब्रह्माण्ड की समस्त सम्पदा साधक के सामने तुच्छ सी नजर आती है ।

महर्षि विश्वमित्र ने यहाँ तक कहा है की (मातंगी साधना में बाकि नव महाविद्याओ का समावेश स्वतः ही हो गया है )। अतः आप भी माँ मातंगी की साधना को करें जिससे आप जीवन में पूर्ण बन सके ।

#साधना_विधि

साधना सोमवार के दिन,पच्छिम दिशा मे मुख करके करना है।इस मे भगवती मातंगी चित्र और यंत्र भोजपत्र पर कुम्कुम के स्याही से बनाये। वस्त्र आसन लाल रंग का हो,साधना रात्रि मे नौ बजे के बाद करे। नित्य २१ माला जाप ४१ दिनो तक करना चाहिए। देवि मातंगी वशीकरण की महाविद्या मानी जाती है,इसी मंत्र साधना से वशीकरण क्रिया भी सम्भव है। ४१ वे दिन कम से कम घी की १०८ आहूति हवन मे अर्पित करे। इस तरह से साधना पुर्ण होती है।४१ वे दिन भोजपत्र पर बनाये हुए यंत्र को चांदि के तावीज मे डालकर पहेन ले,यह एक दिव्य कवच माना जाता है।अक्षय तृतीया के दिन ''मातंगी जयंती'' होती है और वैशाख पूर्णिमा ''मातंगी सिद्धि दिवस'' होता है. ,इन बारहदिनों मे आप चाहे जितना मंत्र जाप कर सकते है ।


विनियोग:--अस्य मंत्रस्य दक्षिणामूर्ति ऋषि विराट् छन्दः मातंगी देवता ह्रीं बीजं हूं शक्तिः क्लीं कीलकं सर्वाभीष्ट सिद्धये जपे विनियोगः ।

ऋष्यादिन्यास :--ॐ दक्षिणामूर्ति ऋषये नमः शिरसी विराट् छन्दसे नमः मुखे मातंगी देवतायै नमः हृदि ह्रीं बीजाय नमः गुह्ये हूं शक्तये नमः पादयोः क्लीं कीलकाय नमः नाभौ विनियोगाय नमः सर्वांगे

करन्यासः--ॐ ह्रां अंगुष्ठाभ्यां नमःॐ ह्रीं तर्जनीभ्यां नमः ॐ ह्रूं मध्यमाभ्यां नमःॐ ह्रैं अनामिकाभ्यां नमः ॐ ह्रौं कनिष्ठिकाभ्यां नमः ॐ ह्रः करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः


हृदयादिन्यास:--ॐ ह्रां हृदयाय नमः ॐ ह्रीं शिरसे स्वाहा ॐ ह्रूं शिखायै वषट् ॐ ह्रैं कवचाय हूं ॐ ह्रौं नेत्रत्रयाय वौषट् ॐ ह्रः अस्त्राय फट्

ध्यानः--श्यामांगी शशिशेखरां त्रिनयनां वेदैः करैर्विभ्रतीं, पाशं खेटमथांकुशं दृढमसिं नाशाय भक्तद्विषाम् ।

रत्नालंकरणप्रभोज्जवलतनुं भास्वत्किरीटां शुभां ,मातंगी मनसा स्मरामि सदयां सर्वाथसिद्धिप्रदाम् ।।


मंत्र- ॐ ह्रीं क्लीं हूँ मातंग्यै फट स्वाह।।


ये मंत्र साधना अत्यंत तीव्र मंत्र है । मातंगी महाविद्या साधना प्रयोग सर्वश्रेष्ठ साधना है जो साधक के जीवन को भाग्यवान बना देती है। मंत्र जाप के बाद अवश्य ही कवच का एक पाठ करे।

मातंगी कवच


श्रीदेव्युवाच :--साधु-साधु महादेव ! कथयस्व सुरेश्वर !

मातंगी-कवचं दिव्यं, सर्व-सिद्धि-करं नृणाम् ।।

श्री ईश्वर उवाच :--श्रृणु देवि ! प्रवक्ष्यामि, मातंगी-कवचं शुभं ।

दगोपनीयं महा-देवि ! मौनी जापं समाचरेत् ।।

विनियोगः-ॐ अस्य श्रीमातंगी-कवचस्य श्री दक्षिणा-मूर्तिः ऋषिः । विराट् छन्दः । श्रीमातंगी देवता । चतुर्वर्ग-सिद्धये जपे विनियोगः ।


ऋष्यादि-न्यासः-श्री दक्षिणा-मूर्तिः ऋषये नमः शिरसि -विराट् छन्दसे नमः मुखे ।श्रीमातंगी देवतायै नमः हृदि ।

चतुर्वर्ग-सिद्धये जपे विनियोगाय नमः सर्वांगे ।


#मूल_कवच_स्तोत्र


ॐ शिरो मातंगिनी पातु, भुवनेशी तु चक्षुषी ।तोडला कर्ण-युगलं, त्रिपुरा वदनं मम ।।पातु कण्ठे महा-माया, हृदि माहेश्वरी तथा ।त्रि-पुष्पा पार्श्वयोः पातु, गुदे कामेश्वरी मम ।।ऊरु-द्वये तथा चण्डी, जंघयोश्च हर-प्रिया ।महा-माया माद-युग्मे, सर्वांगेषु कुलेश्वरी ।।अंग प्रत्यंगकं चैव, सदा रक्षतु वैष्णवी ।ब्रह्म-रन्घ्रे सदा रक्षेन्, मातंगी नाम-संस्थिता

रक्षेन्नित्यं ललाटे सा, महा-पिशाचिनीति च । नेत्रयोः सुमुखी रक्षेत्, देवी रक्षतु नासिकाम् ।।महा-पिशाचिनी पायान्मुखे रक्षतु सर्वदा ।लज्जा रक्षतु मां दन्तान्, चोष्ठौ सम्मार्जनी-करा ।।चिबुके कण्ठ-देशे च, ठ-कार-त्रितयं पुनः

स-विसर्ग महा-देवि ! हृदयं पातु सर्वदा ।।नाभि रक्षतु मां लोला, कालिकाऽवत् लोचने ।उदरे पातु चामुण्डा, लिंगे कात्यायनी तथा ।।उग्र-तारा गुदे पातु, पादौ रक्षतु चाम्बिका ।भुजौ रक्षतु शर्वाणी, हृदयं चण्ड-भूषणा ।।जिह्वायां मातृका रक्षेत्, पूर्वे रक्षतु पुष्टिका ।विजया दक्षिणे पातु, मेधा रक्षतु वारुणे ।।नैर्ऋत्यां सु-दया रक्षेत्, वायव्यां पातु लक्ष्मणा ।ऐशान्यां रक्षेन्मां देवी, मातंगी शुभकारिणी ।।रक्षेत् सुरेशी चाग्नेये, बगला पातु चोत्तरे ।ऊर्घ्वं पातु महा-देवि ! देवानां हित-कारिणी ।।पाताले पातु मां नित्यं, वशिनी विश्व-रुपिणी ।प्रणवं च ततो माया, काम-वीजं च कूर्चकं ।।मातंगिनी ङे-युताऽस्त्रं, वह्नि-जायाऽवधिर्पुनः ।सार्द्धेकादश-वर्णा सा, सर्वत्र पातु मां सदा ।।

हर्षित कृष्ण शुक्ल की अन्य किताबें

1

व्यक्ति की अधिक पाने की लालसा

12 अक्टूबर 2019
0
1
1

*🌹श्री राधे कृपा ही सर्वस्वम🌷* *जय श्रीमन्नारायण* आज समाज की दयनीय स्थिति जीवन में अधिक पाने की लालसा का खत्म ना होना जीवन को ऐसे मोड़ पर लाकर खड़ा कर देता है की अंततोगत्वा कोई भी साथ में चलना पसंद नहीं करता दोष दूसरों को देते हैं और अपनी तरफ कभी ध्यान नहीं देते एक दृष्टांत याद आ रहा है एक राजा था

2

जीवन का आनन्द अमृत

13 अक्टूबर 2019
0
0
0

*🌹श्री राधे कृपा हि सर्वस्वम🌷* *जय श्रीमन्नारायण* *जय श्री राधे राधे* समस्त मित्रों को शरद पूर्णिमा की हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं आज बड़ा ही पावन दिवस है भागवत जी के अनुसार आज के ही दिन भगवान श्री राधाबल्लभ सरकार ने रासलीला का आयोजन किया यह लीला आज के ही दिन हुई और कहते हैं इस दिन चंद्र देव ने

3

गुप्त मन का भय आत्मविश्वास की कमी

15 अक्टूबर 2019
0
1
0

🏵💐🌼🌹🏵💐🌼🌹🏵💐🌼🌹🏵💐🌼🌹 *श्री राधे कृपा हि सर्वस्वम*🌼🌹🌼🌹🌼🌹🌼 *जय श्रीमन्नारायण* सभी मित्रों को की श्री सीताराम -------------- आज जीवन में ना जाने कितने उतार-चढ़ाव आते रहते हैं और अक्सर देखा जाता है की एकता अत्यधिक चिंता ग्रस्त होकर अपने जीवन को समाप्त करने तक की योजना

4

भ्रूण हत्या व देहज दानव

16 अक्टूबर 2019
0
0
0

🌳🦚🦜☘🍀🌴🌲🎍🌲 *जय श्रीमन्नारायण**🌹श्री राधे कृपा हि सर्वस्वम🌷* *भ्रूण हत्या समाज का कलंक*🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚 आइए आज विचार करें जो यह एक कलंक रूपी अभिशाप लगा हुआ है इसका कारण क्या है ऐसी मानसिकता क्यों बन गई जरा विचार करिए चैनलों पर मीडिया के सामने समाज में हर कोई इसका विरोध करता हुआ दिखाई

5

करवा चौथ के पावन पर्व की शुभकामनाएं

17 अक्टूबर 2019
0
0
0

🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷 *जय श्रीमन्नारायण*🌹 *श्री राधे कृपा हि सर्वस्वम* 🌷 🌛🌛🌛🌛🌛🌛🌛🌛 *आद्या शक्ति पराम्बा माँ भगवती की अंशस्वरूपा मातृ शक्तियों को करवा चौथ व्रत की हार्दिक शुभकामनाएँ*🌳☘🦜🌳🌲☘🏵💐 सभी मात्र शक्तियों को आज पावन करवा चौथ व्रत की हार्दिक शुभकामनाओं सहित मंगल कामना हम

6

जीवन का आनन्द

20 अक्टूबर 2019
0
0
0

*💐 श्री राधे कृपा हि सर्वस्वम 🌹*☘🌳☘🌳☘🌳☘🌳 *जय श्रीमन्नारायण**जय श्री सीताराम*🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚 *जीवन के विविध रंग*🌲🌷🦜🌳🌷☘🦚☘💐🌹 जीवन और मृत्यु यह दोनों परस्पर मानव जीवन की अभिन्न अंग है दोनों का संबंध परस्पर जुड़ा हुआ है जीवन का उपभोग वैसे तो मनुष्य ही नहीं पशु-पक्षी कीड़े मकोड़े

7

क्रोध को त्यागें क्षमा शील बने

22 अक्टूबर 2019
0
0
0

🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚 *श्री राधे कृपा ही सर्वस्वम*🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 *जय श्रीमन्नारायण जय जय श्री सीताराम* 🏵🏵🏵🏵🏵🏵🏵 *सुखी जीवन के लिए क्षमा करना सीखें* सामाजिक जीवन में राग के कारण लोग एवं काम की तथा द्वेष के कारण क्रोध एवं पैर की वृत्तियों का संचार होता है क्रोध के लिए संघर्ष कल

8

सन्त का स्वभाव

24 अक्टूबर 2019
0
0
0

🌹🏵🌹🏵🌹🏵🌹🏵 *जय श्रीमन्नारायण**श्री राधे कृपा हि सर्वस्वम*💐🌷💐🌷💐🌷💐🌷 *सन्त का स्वभाव एवं गुण*🌲🌳🌲🌳🌲🌳🌲🌳🌲 मनुष्य इस जीवन में सदैव अनुकूलता को चाहता है पर प्रतिकूलता नहीं चाहता यह उसकी कायरता है अनुकूलता को चाहना ही खास बंधन है इसके सिवाय और कोई बंधन नहीं इस चाहना को मिटाने के

9

सनातन धर्म संस्कार व त्योहार

28 अक्टूबर 2019
0
1
0

📿📿📿📿📿📿📿📿📿 *जय श्रीमन्नारायण*🌹☘🌹☘🌹☘🌹☘🌹 *श्री राधे कृपा हि सर्वस्वम* 🌲🌳🌲🌳🌲🌳🌲🌳🌲 *सनातन संस्कृति एवं त्योहार* समस्त मित्रों एवं श्रेष्ठ जनों को दीपावली गोवर्धन पूजा यम द्वितीय की हार्दिक शुभकामनाएं यह पावन पंच पर्व जन-जन में ज्ञान अन्न धन से परिपूर्ण करें यही कामना है आज पा

10

मानव जीवन की सार्थकता

2 नवम्बर 2019
0
1
1

🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 *श्री राधे कृपा हि सर्वस्वम* 🌲🌲🌲🌲🌲🌲🌲🌲 *जय श्रीमन्नारायण*🦚🦜🦚🦜🦚🦜🦚🦜🦚 *जीवन रहस्य*🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷 यह जीवन परमपिता परमेश्वर ने कृपा करके हमें प्रदान किया जिसे पाने के लिए देवता भी लालायित रहते हैं जितने भी सजीव शरीर हैं उनमें मानव शरीर की महत्ता सबसे अधिक

11

श्री पुरुषोत्तम मास महात्म्य

10 सितम्बर 2020
0
0
0

🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸 हरे कृष्ण, 2💫पुरुषोत्तम मास में राधा कृष्ण की पूजा की जाती है जिनके पास युगल किशोर के श्री विग्रह है तो वे उनकी सेवा पूजा करें ।जिनके पास नहीं है वे फिर फोटो फ्रेम के समक्ष करें ।💫अन्य महीनों में भले ही मंगला आरती न करते हो परंतु पुरुषोत्तम मास में मंगला आरती का नियम अवश्य ले

12

पुरुषोत्तम मास का महात्म्य

10 सितम्बर 2020
0
0
1

🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸 हरे कृष्ण, *पुरुषोत्तम मास के कुछ सामान्य नियम* ----- सामान्य इसलिए कहा गया क्योंकि काफी कठिन कठिन नियम भी हैं ।इसलिए जो इस कलियुग में सर्वसाधारण कर सके उन्हीं नियमों को यहां बताया जा रहा है ।1 -- ब्रह्म मुहूर्त में स्नान (नदी ,कुआं ,जलाशय ,तालाब आदि ) परंतु अब तो बाथरूम में ह

13

भगवान राम की पावन नगरी अयोध्या

18 अक्टूबर 2020
0
0
0

जय श्रीमन्नारायणध्यान दें मथुरा में तो कारागार है परंतु भगवान श्रीराम जी की पावन नगरी में कारागार नही है जबकी वह सम्राट थे चक्रवर्ती राजा थे*कारण स्पष्ट है*👇👇*बाढ़े खल बहु चोर जुआरा।जे लंपट परधन परदारा*।।मानहिं मातु पिता नहिं देवा। साधुन्ह सन करवावहिं सेवा।।जब धर्म की हानि हो,शुभ कर्म रोक जिए जाएं

14

महा विद्या साधना

11 नवम्बर 2020
0
0
0

{{{ॐ}}} #मातंगी_मंत्र_साधनावर्तमान युग में, मानव जीवन के प्रारंभिक पड़ाव से अंतिम पड़ाव तक भौतिक आवश्यकताओ की पूर्ति के लिए प्रयत्नशील रहता है । व्यक्ति जब तक भौतिक जीवन का पूर्णता से निर्वाह नहीं कर लेता है, तब तक उसके मन में आसक्ति का भाव रहता ही है

15

भगवत स्तोत्र

26 नवम्बर 2020
0
0
0

*श्रीमते रामानुजाय नमः**जय श्रीमन्नारायण*आपका दिन मङ्गलमय हो.." उत्तिष्ठोत्तिष्ठ शंखघ्न उत्तिष्ठ अंबोधिचारक: । कूर्मरूपधरोत्तिष्ठ त्रैलोक्ये मंङ्गलं कुरु ।। "" उत्तिष्ठोत्तिष्ठ गोविंद उत्तिष्ठ गरुड़ध्वज:। उत्तिष्ठ कमलाकांत त्रैलोक्ये मंङ्गलं कुरु ।। "" उत्तिष्ठोत्तिष्ठ बाराह दंष्ट्रोद्धृतवसुन्ध

16

नरक वर्णन

20 मई 2021
0
0
0

*जय श्रीमन्नारायण*🌲🌳🌲🌳🌲🌳🌲🌳🌲*श्रीमद्देवीभागवत के अनुसार तामिस्र आदि नरकों का वर्णन*परम भागवत श्री नारद जी के पूछने पर भगवान श्रीमन्नारायण ने जो वर्णन किया बताया बोले हे नारद नर्कको की संख्या 21 बताई गई है कुछ *लोग कहते हैं कि यह 28 हैं क्रमशः तामिश्र, अंधतामिश्र, रौरव, महारौरव, कुंभीपाक*, *क

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए