🕉️🕉️🕉️🐚सृष्टि-रहस्य🐚🕉️🕉️🕉️
नश्वर जगत् है- धारणा भ्रामक- त्रुटिपुर्ण है
ब्रह्म सत्य है एवम् जगत् सापेक्षित सत्य है
वस्तु का रूप रंग आकार बदल सकता है
तरंग का खेल सारा नष्ट नहीं हो सकता है
महाविध्वंस धातक सस्त्रादि बन सकते हैं
महल ढह मिट्टी का मलवा बन सकते हैं
पंचतत्व का ये तन जल राख बन जाता है
सृष्ट वस्तु लुप्त हो शुन्य नहीं हो सकती है
ब्रह्म-एषणा के विस्तारण से जगत् बना है
संचर-प्रतिसंचर धारा में ब्रह्मांड समाया है
व्यष्टि - समष्टि का सत्य मन जब जाना है
जगत् मिथ्या नहीं प्रभु की लीला माना है
निहारिकायें-अनंत व्योम प्रभु की लीला है
जगमग असंख्य तारे, पुच्छ्ल तो डराया है
धूम्रकेतु- सप्त-ॠषि-निहारिकायें भाती है
सृष्टि का अद्भुत संग्रह, प्रभु की हीं माया है
सौर्य- मण्डल भूमामन का हीं विस्तारण है
अणुमन-चेतनमन तो प्रकुंचन-विस्तारण है
ब्रह्माण्डीय तरंगों से- जड़ चेतन आविष्ट है
प्रभुरचित विशाल जटिल सृष्टि भी सत्य है
ज्ञानार्जन-सृजन का सुपथ धर्म समिक्षा है
यह वसुंधरा जल-थल-नभ का दृष्टरूप है
प्रभु का अदृश्य अव्यक्त शुभ आमन्त्रण है
सृष्टि के नियम विचित्र, स्वतः संचालित हैं
अपभ्रंश वा विकृत आप्त वाक्य धृष्टता है
पञ्च-तत्व से मानव तन रचना रहस्य है
मानव मन की असिमित 'परिधि' सत्य है
संस्कार अर्जन एवं क्षय कर्म से संभव है
प्रारब्ध है पूर्वनिश्चित- बिधना का खेल है
सृष्ट-जगत् कुकर्मों से कुपित हो सकता है
महाविनाश का भय तो विचलित करता है
चिंता की गति, क्यों (?) एषणा प्रचण्ड है
सम्मोहन-उच्चाटन अविद्या अप्राकृतिक है
महासम्भूति का निर्देशन सत्य परिभाषित है
दो ब्रह्मों का समकालिक अवतरण भ्रम है
सुक्ष्मता का बोध- चिंतन-मनन हीं तंत्र है
सृष्ट-जीव अणु-परमाणु का जिवंत उद्भव है
अणु-चेतन सत्ता का
आसक्ति-विरक्ति का
चल रहा अंतर्द्वंद्व है
आदि-अंत का रहस्य ज्ञान-
विज्ञान की अनंत है अभिलाषा
बुद्धिजीवी की अंनंतकालीन जिज्ञासा है
मृत्युकाल में भी ज्ञान पाने की रहती आशा है
आत्म-उत्सर्जन, पुनर्जन्म का चक्र सधन है
मस्तिस्क सिमित, मार्ग सहज अति दुरुह-वक्र है
झंझावात उग्र-दंभ प्रचण्ड समन कठिन है
बड़वानल की भीषण-अग्नि समन का भ्रम है
अप्राप्य ज्ञान प्राप्य, भविष्य में संभव होता है
प्रभु-पद में पुर्ण-आत्म-समर्पण जो करता है
सत्य सुगम सुलभ बन मन को मुक्त करता है
मन ऋणभावमुक्त हो बनता प्रभु का दर्पण है
मोक्ष आत्मा का परमात्मा से है महामिलन
संकट-मोचन का साक्षात परचम्
मोक्ष-द्वार का संभव शुभ- चिंतन
🙏🙏 डॉ. कवि कुमार निर्मल 🙏🙏