पीड़ा में गुजरा वर्ष 2020 , विश्व के लिए 2021 अति शुभ हो
डॉ शोभा भारद्वाज
भारत में ग्यारह बजे थे सिंगापुर टाईम डेढ़ बजे मोबाईल
की घंटी बजी , देखा मेरी बेटी, अमेरिका की बेस्ट यूनिवर्सिटी में पढ़ी सिंगापूर में उच्च पदाधकारी ,मोटे –मोटे आंसू बहाती हुई सुबक रही थी . उसने सिंगापुर टाईम्स , गार्जियन, न्यूयार्क टाइम्स ,वाशिंगटन पोस्ट पढ़ी ,बीबीसी में खबरे देखीं घबरा गयी हमसे प्रार्थना कर रही थी मम्मा ,पापा आपसे हाथ जोड़ती हूँ अंतर्राष्ट्रीय फ्लाईट दो दिन बाद बंद हो जायेंगीं
आप दोनों के पासपोर्ट के पहले पेज की फोटो कापी एवं दो फोटो मेरे पास हैं .आपका
वीजा एवं टिकट तुरंत भेज दूंगी मेरे सुसराल वाले भी आ रहे हैं आप प्लीज सिंगापुर आ
जाओ .
मम्मा ,पापा सिंगापुर में
बेहतरीन मेडिकल सुविधायें हैं आधुनिक टेस्ट के साधन , भर्ती कर बढ़िया इलाज है . तीन वर्षीय उसकी बेटी हाथ जोड़ कर अपील कर रही है
नानू ,नानी आई लव यू .बेटी दामाद ने कहा मम्मा ‘भारतीय मीडिया
सरकार से डरता है सब झूठी खबरे आप लोगों को दी जा रही हैं . यहाँ फ्रंट पेज पर इंडिया की खबरें हेड लाइन पर हैं .इंडिया की 130 करोड़ जनसंख्या , न मास्क ,न शील्ड न अच्छे अस्पताल , न जाँच के साधन
हैं वेंटिलेटर की कमी है और न दवाईयाँ अत: बुरा हाल होगा ‘मैं समझ गयी इंटरनेशनल मीडिया भारत पर टिप्पणियाँ कर देश की छवि खराब कर
रहा है भारत की ऐसी तस्वीर कभी सोची नहीं थी इसे कहते हैं बाजारवाद ?’
चीन के बुहान शहर से फैले कोरोना वायरस ने समस्त
विश्व को आतंकित कर दिया मोदी जी की अपील को देश की जनता ने माना .सुबह सात बजे से
रात नों बजे तक जनता कर्फ्यू सूनसान सड़के बाहर सन्नाटा पांच बजते ही लोग घर के
बाहर अथवा बालकनी में थाली, घटियाँ शंख बजाते हुए कोरोना योद्धाओं का सम्मान कर रहे थे सन्नाटे के बाद
आवाजें बहुत अच्छी लगी फिर वही सड़कों पर सन्नाटा. टीवी न्यूज चैनलों में यही
दिखाया जा रहा था उसी रात बेटी हमसे सिंगापुर आने की अपील कर रही थी .
विकसित देशों से भी हम अधिक समर्थ हैं विदेशों से
मरीज आपरेशन कराने आते हैं कम खर्चे में मरीज स्वस्थ होकर अपने देश लौटते हैं . हमारे
डाक्टर हर परिस्थिति में काम करने में समर्थ है विश्व के विकसित देशों में हमारे
डाक्टर एवं नर्से सम्मानित हैं .मेरी बेटी भावुक हो रही है उसके माता पिता
बिना इलाज के मर जायेंगे उसे हमारा जीवन खतरे में नजर आ रहा है वह हर कीमत पर
हमारा सिंगापुर पहुंचने का इंतजाम करेगी उसके अनुसार वहाँ हम कोरोना के बढ़ते
प्रकोप एवं संक्रमण के शिकार होने से बच जायेंगे यदि संक्रमित हुए बेहतर इलाज होगा
.उसे नींद नहीं आ रही थी . रात बीतती गयी उसकी भक्ति चरम पर थी .माँ हम वर्षों ईरान
में रहे हैं आप जानती हो लोग सड़क पर बेहोश होकर गिर रहे है उनको उठाने वाला कोई
नहीं सामूहिक कब्रे खुद रही हैं कितना दर्दनाक है . इटली में सड़क पर लाशें पड़ी हैं
सरकार उठवाती है .बूढ़े घर के बंद दरवाजों में सहमें बैठे हैं . योरोप की सरकारे
परेशान है अपने लोगों को कैसे बचायें विकसित देशों का यह हाल है भारत का क्या होगा
?बेटी बिलख – बिलख कर रोती जा रही थी उसको कैसे समझायें हमारी समझ में नहीं आ रहा था वह
कुछ सुनने को तैयार नहीं थी .यह हमारा अकेले का दुःख नहीं था और भी परिवारों में
विदेश में बसे बच्चे ऐसे ही परेशान होंगे . माता पिता अपने बच्चों के लिए चिंतित
थे .
हमारे लिए जाना आसान नहीं था लाक डाउन की स्थिति में
बेटा घर से काम करेगा दूसरा बेटा बम्बई में है वह भी आ सकता है उनका ध्यान रखना .
लाक डाउन की घोषणा के नाम पर नौकरी पेशा बहुत भयभीत थे अधिकतर लड़के लड़कियाँ ढाबे
या कैटरिंग सर्विस का खाना खाते हैं सब बंद हो जायेगा . हमारे यहाँ काम करने वाली
ने अपने गावं जाने की तैयारी कर ली . पिता डाक्टर हैं उनका मरीजों के प्रति फर्ज
है उनके कई ब्लडप्रेशर के मरीज हैं उनका क्या होगा ? इस बक्त डाक्टर का
अपना धर्म है . बड़ा घर कैसे और कब तक बंद किया जा सकता है .किचन में देखा जिस
सामान की कमी थी जल्दी खरीदने की कोशिश की वहाँ भी लंबी लाईने थी .
जिस दिन लाक डाउन शुरू हुआ सब दुकाने बंद थी चाय के
लिए उस दिन दूध भी उपलब्ध नहीं था. एक रेस्टोरेंट का मालिक बाहर बैठा अपने
ग्राहकों को समझा रहा था कोशिश करो ब्रेड मिल जाए उसी से काम चला लो अधिकतर के पास
चाय बनाने का इंतजाम भी नहीं था . अंत में हमने फोन बंद कर दिया दिमाग शून्य हो
गया . तीन दिन किसी तरह कट गये फ्लाईट बंद हो गयी शन्ति मिली . अब समाचार आया
सिंगापुर में भी करोना पीड़ितों की संख्या बढ़ रही हैं .
बेटी की पीड़ा अब बेटी इनसे रो-रो कर अपील कर रही थी
पापा क्लीनिक बिलकुल नहीं खोलना .दस दिन बाद डोर बेल बजी दरवाजा खोला बहुत बड़ा
डिब्बा बेटी द्वारा भेजा गया था उसमें अपने पापा के लिए पीपीई किट थीं . अगले दिन
शील्ड , फिर मास्क दस्ताने , अब वह अच्छे वेंटिलेटर भेजने की कोशिश कर रही थी हमारे समझाने पर भी नहीं
समझ रही थी वेंटिलेटर पर अस्पताल में रखा जाता है . उसने सिगापुर के डाक्टर से
सलाह ली उन्होंने हंस कर समझाया यदि तुम्हारे डॉ पिता को जरूरत पड़ी तो वह स्वयं
अपने पर इसका इस्तेमाल कैसे करेंगे ? तुम्हारी मम्मा को
अस्पताल में ही जाना पड़ेगा भारत में अब पर्याप्त वेंटिलेटर .
‘ समय बीतता रहा था 23 सितम्बर बेटी का
फोन आया मम्मा विदेशी मीडिया हैरान हैं भारत में बेहतरीन इलाज,भर्ती की सुविधा ,कर्मठ डाक्टर और दवाईयां हैं भारत तो विकसित देशों को दवाईयाँ भेज रहा है
म्रत्यू दर कम है लोगों में गजब की इम्यूनिटी है शुक्र है उसके अनुसार उसके माता
पिता बच गये .बेटी का एक मेसेज मेरे दिल पर लिख गया करोना पीड़ित अस्पताल के बेड पर
अकेला होता है न कोइ तीमारदार न हाल पूछने वाला साथी केवल मोबाईल फोन होता है मर
जाने के बाद अंतिम यात्रा में न अपनों के चार कंधे अपने मजहब के अनुसार अंतिम
क्रिया भी नहीं होती’ .बस पीड़ा ही पीड़ा .
दुखद समाचार उसके ससुर एवं सास घूमने के बेहद शौकीन
हैं , उन्होंने अनेक देशों की यात्रायें की हैं कौन सा देश है जहाँ वह नहीं गये
अब लाक डाउन में बंध गये. ससुर गहरे डिप्रेशन में डूब गये हैं शून्य में देखते
रहते हैं उनकी सिंगापुर में खुशहाल जिन्दगी थी अब सब कुछ थम गया वह अकेले नहीं हैं
ऐसा बहुत लोगों के साथ हुआ है .नव वर्ष दस्तक दे रहा है बहुत पीड़ा देख ली अब और
नहीं .