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माँ के आशीष बिना जीत कहाँ होती है,I

14 जनवरी 2021

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माँ

जिस्म से रूह तक ,एक-एक रुआँ होती है,

वो तो माँ है सारी, दुनियाँ से जुदा होती है,

उसकी प्यारी सी, थपक आँख सुला देती है,

माँ तो पलकों से, भर- भर के दुआ देती है

ये जो दौलत है, बेखोफ़ जिगर, शौहरत, है

माँ के आँचल की, हल्की सी हवा होती है I

चाहे दुनियाँ ही, रुके, सांस भले थम जाये,

माँ की ममता बहते जल सी दुआ होती हैI

मंदिरों के ये दिए, –फूल, देहरी के चावल,

हर मुश्किल को उड़ाती सी धुआं होती हैI

नाम अपना भी सिकन्दर,हो या जहाँ जाने,

माँ के आशीष बिना जीत कहाँ होती है,I

मदन पाण्डेय “ शिखर”

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ज्ञान हॉर्स

ज्ञान हॉर्स

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8 अप्रैल 2021

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भारती का प्यार हिन्दी...

14 सितम्बर 2020
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हिन्दी की सामर्थ्य

14 सितम्बर 2020
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मुस्कराते ही रहना...

13 अक्टूबर 2020
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मेरा ख़्वाब माँगते हैं ...

6 नवम्बर 2020
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मेरा ख़्वाब माँगते हैं ...इतने वेवश चेहरे, कि नकाब माँगते हैं,बंद करूँ आँखें , मेरा ख़्वाब माँगते हैं । बचपन की यादें ,जवानी के लुक –छिपे,ये चोरी –चोरी, मेरी किताबमाँगते हैं । छुपा छुई –मुई में, हर –सिंगार में फँसा,इम्तहान लेते मेरा , ये गुलाब माँगते हैं । दर्द की झाइयाँ नर्म, पलकों की सिंहरन,मज़ा

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मेरा ख़्वाब माँगते हैं ...

4 दिसम्बर 2020
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मेरा ख़्वाब माँगतेहैं ...इतने वेवश चेहरे, कि नकाब माँगते हैं,बंद करूँ आँखें , मेरा ख़्वाब माँगते हैं। बचपन की यादें ,जवानी के लुक –छिपे,ये चोरी –चोरी, मेरी किताब माँगते हैं । छुपा छुई –मुई में, हर –सिंगार में फँसा,इम्तहान लेते मेरा , ये गुलाब माँगते हैं । दर्द की झाइयाँ नर्म, पलकों की सिंहरन,मज़ाक

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माँ मुझे अच्छे से प्यार कर लेना

14 जनवरी 2021
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माँ मुझे अच्छे से प्यार कर लेना, मेरी आँखों में अपनादुलार भर देना,दुनियाँ को सारी मैं ममता सिखाऊँ,ऐसा तुम मेरा श्रंगार कर देना । ....माँ मुझे अच्छे से मैं घुटनों चलूँगी, गिर- गिर पड़ूँगी, गोदी नाचूँगी, खिल खिल हसूँगीझुलूंगी, खेलूँगी , सबको खिलाऊँगी, आँगन मेँ

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माँ के आशीष बिना जीत कहाँ होती है,I

14 जनवरी 2021
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माँजिस्म से रूह तक ,एक-एक रुआँ होती है,वो तो माँ है सारी, दुनियाँ से जुदा होती है, उसकी प्यारी सी, थपक आँख सुला देतीहै,माँ तो पलकों से, भर- भर के दुआ देती है ये जो दौलत है, बेखोफ़ जिगर, शौहरत, हैमाँ के आँचल की, हल्की सी हवा होतीहै I चाहे दुनियाँ ही, रुके, सांस भले थम जाये,माँ की मम

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सैनिक की होली....*** तुम रंग रंगी बरसाने की, हम केसरिया टोली रे, आओ प्रिय दोनों खेलें, रंगों की आँख मिचौली रे। लाल गुलाबी हरा बसंती , सारे रंग रंगाना जी, सपनों में आ ज

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