अलग- अलग लड़कियों के अलग-अलग सपने होते है। कभी कभी हम यह कहकर उन्हें नकार देते है, कि ये तो लड़कियों वाला काम नहीं है।
जैसे कुछ लड़कियां पुलिस में या आर्मी में जाना चाहती है तो ये कहा जाता है कि ये तो लड़कों वाला काम है। लड़कियों की हमेशा सौम्य छवि हो ऐसा सभी चाहते है, लड़कियां भी बोल्ड हो सकती है।
लड़कियां भी क्राईम और इन्वेस्टिगेशन रिपोर्टर हो सकती है और कई है भी।
लड़कियों को भजन या सॉफ्ट स्टोरी ही लिखना चाहिए, रोमांटिक या फिर सामजिक मुद्दों पर तो सिर्फ मर्द ही लिख सकते है।
कुछ लड़कियां लड़कों से भी अच्छी तरह ड्राईव कर सकती है।
जब एक लड़का फ़ैशन डिजायनर , मेक-अप आर्टिस्ट या शेफ़ हो सकता है तो क्यों ना लड़कियां मर्दों वाला काम कर सकती है।
हमारे देश की महिलाएं इसी वजह से उतनी तरक्की नहीं कर पाती क्योंकि उनको एक दायरे में सीमित कर दिया जाता है, समय है सोच बदलने का।