21 जून 2015
12 फ़ॉलोअर्स
हमारे हाथ में है जो कलम वो सच ही लिखेगी , कलम के कातिलों से इस तरह करी बगावत है !D
dhnayvaad shabdnagari .
24 जून 2015
प्रिय मित्र , आपकी उत्क्रष्ट रचना - पितृ सत्ता के समक्ष लो राम गया हार ! को शब्दनगरी के फ़ेसबुक , ट्विट्टर एवं गूगल प्लस पेज पर भी प्रकाशित किया गया है । नीचे दिये लिंक्स मे आप अपने पोस्ट देख सकते है - https://plus.google.com/+ShabdanagariIn/posts https://www.facebook.com/shabdanagari https://twitter.com/shabdanagari - प्रियंका शब्दनगरी संगठन
24 जून 2015
उत्तम कविता .... पुरे जोश और उल्लास से भरी अच्छी रचना ...
24 जून 2015
पूरी रचना में कहीं भी जोश-ओ-ख़रोश की ज़रा भी कमी नहीं हुई...और शीर्षक तो आपके होते ही हैं लाजवाब...वाह! बहुत-बहुत बधाई !
22 जून 2015
bahut josh bhari prerak prastuti .aabhar
21 जून 2015
अतिउत्तम वीरगाथा
21 जून 2015
वीरोगति रूप मृत्यु का कहलाता सुन्दरतम ! समर -भूमि से वीर नहीं करते हैं कभी पलायन !........ बहुत जोश से भरी कविता जो हर योद्धा को प्रेरित करे .... बधाइयाँ
21 जून 2015