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कॉपी पेस्ट को ले कर लोगो की भावनाये।

25 जुलाई 2015

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आज का पोस्ट एक ऐसे मुद्दे पर है। जो अक्सर लोगो के सामने आता है। तो आइये सुनिये वो मुद्दा क्या है। मुद्दा है। एक इंसान का दूसरे इंसान पे यक़ीन करना। सबसे पहले एक कहानी सुनिए। आप वही पहुच जायेंगे जहा पहुचाना चाहता हु। सुनिए एक गांव में एक राज मिस्त्री था। उसी गांव में एक और आदमी भी था। जो बिलकुल नकारा था। वो किसी की भी बात पे यकीन नही करता था। चाहे कोई कुछ भी कहे उसे यकीन नही आता था। वो बस दिन भर गांव में बैठा रहता था और सुबह शाम काम पर से आने वालो को देखकर। बेकार की बाते करता था। एक बार वो राज मिस्त्री उस नकारा आदमी को शहर ले गया। और उसे एक 20 मंज़िल की ईमारत दिखाई। उस के अंदर ले गया। कुछ सामान रह गया था वो लेने गया था वापसी में वो राज मिस्त्री ने कहा वो ईमारत कैसी लगी। उसने कहा बहुत अच्छी एक दम लाजवाब राज मिस्त्री बोला ये मैंने बनायीं है। पहले तो उस नकारा ने काफी देर उस मिस्त्री का मुह देखा फिर उस से बोला अबे अपनी शक्ल देखी है आईने में तू और इतनी खूबसूरत ईमारत बनाये। तेरे वस की नहीं है। ज्यादा लंबी लंबी न छोड़। मिस्त्री उसे जब भी शहर ले कर जाता और हर वार नयी नयी इमारते दिखाता और कहता ये मैने बनायीं है। ये मैंने बनाई है। पर उसे कभी यकीन न आया। तो फिर उस मिस्त्री ने कहा चल अबकी बार जब बनाऊंगा तो तू मेरे साथ रहना फिर देखना। उस ने कहा ठीक है। कुछ दिन बाद मिस्त्री को एक और ईमारत बनाने का काम मिला। अब मिस्त्री उस नकारा को साथ ले जाने लगा एक दो मंज़िल तैयार करने के बाद इस नकारा की तबियत खराब हो गयी जिस्की वजह से वो मिस्त्री के साथ नहीं आ सका पर मिस्त्री को तो काम करना ही था वी करता रहा और कुछ वक्त में ही उसने वो ईमारत तैयार कर दी। जब वो नकारा सही हुआ तो मिस्त्री उसे शहर ले कर आया। और वही ईमारत दिखाई जो इस बार उसने बनाई थी। और कहा ये देख तेरे जाने के बाद ये बनाई है। वो तो नकारा था। उसने फिर उसे झुठला दिया। के नहीं ऐसा हो ही नहीं सकता। तू और ऐसी ईमारत बनाये अबे जा अभी तू बच्चा है। जब में नहीं था हो सकता है। मेरे जाने के बाद इस ईमारत के मालिक ने कही से ये बनी बनाई खरीदी होगी। बहुत समझाया पर वो नहीं माना। आखिर कार उस मिस्त्री को यही कहना पढ़ा के हा भाई चल तू जीता में हारा ये उस मालिक ने कही से खरीदी है बस। उसने कहा हा देखा न अब आया लाइन पे। ।।। यहाँ तक पहुचने के लिए शुक्रिया। अब इस पोस्ट के असल मुद्दे पर आता हु। इस पोस्ट का मकसद था। के वो हक़ीक़त दिखाना जो यहाँ शोशल साइट्स पर अक्सर लोग नहीं जानते और वो लोग पोस्ट लिखने वालो पे यकींन नहीं करते। उस नकारा से मुराद वो शख्स है। जो किसी छोटे शख्स या मेरे जैसे लड़के के पोस्ट पर यकीन नहीं करते के ये पोस्ट उसने लिखा होगा। और मिस्त्री तो अब आप समझ ही गए होंगे। वही जो लंबी लंबी पोस्ट लिखने वाले हो। वो जो उसके जाने के बाद ईमारत बना लेता है। तो जब नकारा उसे देखता है। तो कहता हैं। ये उसने कही से बनी बनाई खरीदी होगी। उसका भी यही मतलब है। के आपने किसी भी मुद्दे पर कोई पोस्ट लिखा। पर वो यही कहेगा। ये पोस्ट कॉपी किया /चुराया है। आप कुछ भी कह दो। पर उसे यकीन दिलाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है। अभी कुछ लोगो तो ये पोस्ट भी कॉपी किया हुआ लगेगा। खैर लगने दो हमें क्या। जिन्हें समझाना था वो समझ गऐ। सबक। कभी किसी को छोटा बड़ा नहीं समझिये। ज्ञान उम्र से नहीं। ज्ञान वालो के साथ उठने बैठने से हासिल होता है। एक मिसाल। एक 10 साल का बच्चा भी वेदों का ज्ञानी बन जाता है। और एक 50 साल के इंसान से एक मन्त्र भी सही से कहना नहीं आता। उन सभी महाशयों को मद्दे नज़र रखते हुए। में एक शेर अर्ज़ कर रहा हु। नासमझ की कोई दवा नहीं हकीमो के दवाखानो में। वो बस बकबोली करना जानते है। खेत खलियानों में। हकीम दानिश की कलम से।
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दहेज़ सम्बंधित लेख

24 अप्रैल 2015
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लड़के वाले या लड़की वाले किसी भी पक्ष को सिर्फ दोष देने से किसी समस्या का हल नहीं होगा..मानसिकता बदलनी चाहिए. और इसके लिए जरूरी है कि हर लड़की को आत्मनिर्भर बनाया जाए. क्यूंकि अब तक ९५% मानसिकता यही है कि लड़की की किसी अच्छे कमाने वाले लड़के से शादी कर दी जाए जो माता-पिता के बाद अब उसकी देखभाल करे.

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दहेज़ के खिलाफ एक जंग

24 अप्रैल 2015
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सब दहेज़ पे तो लिख ही रहे थे मेने सोचा थोडा सा हट के पोस्ट बनाया जाये इसलिए इस मुद्दे पे बनाया सब कुछ मैंने नहीं लिखा है बहुत कुछ गूगल से भी लिया है दहेज़ लेना और देना ये दोनों ही इस्लाम कि नज़र में गुनाह है और ये सब जानते हैं पर क्या आप जानते हैं के निकाह के आजकल के प्रोसेस में हम एक और बदतरीन ज़ुल्म

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नेपाल और भारत में भूकंप

25 अप्रैल 2015
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शनिवार को शक्तिशाली भूकंप के झटकों ने नेपाल को हिलाकर रख दिया. इमारतें दरक गईं हैं. नेपाल की पुलिस के अनुसार भूकंप में 700 से ज़्यादा लोगों की मौत हो गई है. कई लोगों के इमारतों के मलबों में दबे होने की आशंका है. अमरीकी भूगर्भीय सर्वेक्षण ने कहा है कि भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 7.9 थी और

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मुझे शायरी का बहुत शोक है में जब फ्री होता हु तब शायरी लिखने बैठ जाता हु

25 अप्रैल 2015
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दोस्त पड़ते पड़ते खुश है हम लिखते लिखते और लिखते है जिसके लिए वो नाम से ही चिढ़ते है हकीम पडेगा हम सभी को अब जंग-ए-मैदान मे आना, घरों मे बात करने से ये मसले हल नही होंगे। हकीम ना बिका हूँ ना ही कभी बिक पाऊंगा, ये ना समझना मै भी हज़ारो जैसा हूँ। हकीम कदम पाक थे तेरे फिर तुझे ये क्या हुआ, रुख भ

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एक छोटी सी लापरवाही से बड़ा नुकसान हो सकता है

26 अप्रैल 2015
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कृपया इसे ध्यान से पढ़े और अपने मित्रों और परिवार को सलाह दें ! आप किसी का जीवन बचा सकते हैं ! घटना: एक छोटा बच्चा इसलिए मर गया क्योंकि डॉक्टर को उसके दिमाग में चींटियाँ ही चींटियाँ मिली ! जो स्पष्ट करता है कि बच्चा या तो मुँह में कोई मीठी चीज रख के सो गया या या उसके बगल में सोते समय कोई खाने की

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सफलता का विषय

1 मई 2015
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आज हम सफलता के विषय में बात करते हैआज के वक्त में सफल व्यक्ति वही है जो सुबह उठकर पहले यह तय करता है कि आज उसे क्या-क्या काम करने है। और रात तक वह उन सारे कामों को कई परेशानियों के बाद भी पूरा कर लेता है | और हा दुनिया आपको मुफ्त में कुछ नहीं देती | सफलता जैसी बेशकीमती चीज तो बिलकुल नहीं | अतः सफलत

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कुछ नयी लाईने

1 मई 2015
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आज की नयी शायरी हकीम के साथ

12 मई 2015
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आप दोस्तों की दुआओ से आज फिर एक ग़ज़लज अ लिखा है। देखिये पढ़िए और हा अभी बहुत सी गलतिया भी निकलेंगी क्या है। न अभी तो सीख़ ही रहा हु। तो पेशे खिदमत है। न जाने कब तलक मुझको वोे युही सताएगी, कब अपने दिल का हाल वो मुझे बताएगी। एक दौर था जब उसकी हर साँस पे नाम मेरा था, क्या आज भी वो मेरे ही लिखे गीत

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आज की ग़ज़ल

17 मई 2015
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~~~~~~~ ताज़ा ~ग़ज़ल~~~~~~~ अभी जाग ही रहा हु में तनहा और अकेला, सोचा के क्या कमी है तेरी याद आ गयी। ऊपर को देखा तारे देखे और देखा चाँद, बातो ही बातो में तेरी बात आ गयी। वैसे तो हर वक्त हर घडी तुझे याद किया, कितने मिले मुझे पर दिल अपना तझको दिया, न होता इंतज़ार है अब ख्वाब में ही आ मिल, देख चाँद निक

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सूरत सिंह जी खालसा इंसाफ के लिए ज़िन्दगी से लड़ते हुए।

19 जुलाई 2015
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यह जो फोटो में दिखाई दे रहे है ना ये है सरदार सूरत सिंह जी खालसा... में भी आपकी तरह इनको नही जानता था जान अब्दुल्लाह भाई ने इनका फोटो अपने प्रोफाइल पे लगाया आपकी तरह मेरे मन में भी सवाल आया को आखिर है कौन ये महाशय..? सो पूछ लिया अब्दुल्लाह जान भाई से , पर इनके बारे में जानते ही

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माननीय साध्वी जी के मस्जिद को ले कर विवादित बयान का जवाब मेरी कलम से

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साध्वी जी का बयान सुना के मस्जिदों में। हथियार रखे जाते है। सुबह फजर में ट्रेनिंग दी जाती है। आतंकवादी बनाये जाते है। बस फिर क्या में भी सबूत ढूंढने में लग गया। के इतनी बड़ी साध्वी जी झूठ थोड़ी बोलती होंगी बस में लग गया रिपोर्टर की तरह दिन भर लगा रहा कई मस्जिदे देखि पर कुछ नहीं मिला रात को जब सोया। उ

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25 जुलाई 2015
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अब आप भी लिखिए अपने पोस्ट आर्टिकल आपके मुह से बोलकर हाथो को दीजिये आराम आप जो बोलेंगे वो आपके सामने लिखा जायेगा

9 नवम्बर 2015
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क्या आप भी चाहते हैं कि जो आप बोलो वह सारा कुछ लिखा जाए अगर आप चाहते हैं तो यह पोस्ट पूरा पढ़े और भी जानकारी ले और आप भी आज के बाद लिखना बंद करें और आप वही करो जो यहां पर आप जो भी बोलेंगे आपका वह सारा कुछ यहां पर लिखा जाएगा आपको यह पोस्ट अपने मुंह से बोलकर लिख सकते है तो कितना अच्छा रहेगा अगर ऐसा हो

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