shabd-logo

Sixth Sense

7 अगस्त 2015

317 बार देखा गया 317
featured image परमात्मा को किसी परिभाषा किसी जाति या किसी समय सीमा मे नही बाधा जा सकता है। बह कही खोया नही जो ढूढा जाय। उसे सिर्फ अनुभव किया जा सकता ओर अनुभव मे अनेको महानतम पुरुषो के आया है। परमात्मा को शब्द परिभाषा सिद्धांत शास्त्र मे मत खोजो यह तो मार्ग है मंजिल नही। उसे पुकारो ,प्रार्थना करो बह अन्तर वासी है। और तुम बाहर के मार्ग मे ढूंढ रहे हो । ऐसी प्रार्थना हो की ह्रदय प्रेम से भर जाय आखें आंसुओ से भर जाय। तुम्हारे पास सच्ची पूंजी आसू ही है जो चढाने लायक है। तुम शांत, मौन होकर पुकारो, तुम्हारी आखे गीली हो जावेगी । उस समय तुम्हारे पास न कोइ शब्द रहेगा न अभिव्यक्ति सिर्फ अनिर्वचनीय अनुभूति ।
1

Sixth Sense

7 अगस्त 2015
0
1
0

परमात्मा को किसी परिभाषा किसी जाति या किसी समय सीमा मे नही बाधा जा सकता है। बह कही खोया नही जो ढूढा जाय। उसे सिर्फ अनुभव किया जा सकता ओर अनुभव मे अनेको महानतम पुरुषो के आया है। परमात्मा को शब्द परिभाषा सिद्धांत शास्त्र मे मत खोजो यह तो मार्ग है मंजिल नही। उसे पुकारो ,प्रार्थना करो बह अन्तर

2

कर्म का फल कैसे और किसे मिलता है ?

21 अगस्त 2015
0
7
1

एक राजा ब्राह्मणों को लंगर में भोजन करा रहा था। तब पंक्ति के अंत मैं बैठे एक ब्राम्हण को भोजन परोसते समय एक चील अपने पंजे में एक मुर्दा साँप लेकर राजा के उपर से गुजरी। और उस मुर्दा साँप के मुख से कुछ बुंदे जहर की खाने में गिर गई। किसी को कुछ पत्ता नहीं चला। फल स्वरूप वह ब्राह्मणजहरीला खान

3

रक्षा बंधन के पर्व की वैदिक विधि

25 अगस्त 2015
0
3
1

रक्षा बंधन के पर्व की वैदिक विधि-वैदिक रक्षा सूत्र बनाने की विधि :इसके लिए ५ वस्तुओं की आवश्यकता होती है -(१) दूर्वा (घास)(२) अक्षत (चावल)(३) केसर(४) चन्दन(५) सरसों के दाने ।इन ५ वस्तुओं को रेशम के कपड़े में लेकर उसे बांध दें या सिलाई कर दें, फिर उसे कलावा में पिरो दें, इस प्रकार वैदिक राखी तैयार हो

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए