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मुक्तिका: हँसो भी

10 अगस्त 2015

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featured imageमुक्तिका संजीव * मापनी: १२२११ -१२२११ -१२११ मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन फ़ऊलुन * करेंगे कुछ न तो कुदरत न दे कुछ किसी की कब नहीं हसरत रही कुछ हँसो भी, हँस पड़ो कसरत नहीं यह हमीं हैं खुद खुदा, किस्मत नहीं कुछ तजेंगे हम नहीं ये दल न संसद करेंगे नित तमाशे, गम नहीं कुछ बनेगे हम नहीं शंकर, न कंकर न सोये हम, न सोओ तुम, जगो कुछ न नेतागण रहे मालिक, न चाकर हुए जोकर न बख्शो अब इन्हें कुछ न चंदा हो सका है चाँदनी का न रातें रह सकी हैं चंदनी कुछ बहो भी 'सलिल' वर्ना मलिन हो जल न संजीवित रहे तो कुछ नहीं कुछ ***

संजीव वर्मा सलिल की अन्य किताबें

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रचनाएँ
sanjivsalil
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साहित्य की सभी विधाओं में चिंतनपरक रचनाएँ.
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मुक्तिका: हँसो भी

10 अगस्त 2015
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मुक्तिका संजीव *मापनी: १२२११ -१२२११ -१२११ मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन फ़ऊलुन*करेंगे कुछ न तो कुदरत न दे कुछ किसी की कब नहीं हसरत रही कुछहँसो भी, हँस पड़ो कसरत नहीं यह हमीं हैं खुद खुदा, किस्मत नहीं कुछतजेंगे हम नहीं ये दल न संसद करेंगे नित तमाशे, गम नहीं कुछबनेगे हम नहीं शंकर, न कंकर न सोये हम, न सोओ तुम, जगो क

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नवगीत: संसद की दीवार पर

10 अगस्त 2015
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संजीव *संसद की दीवार पर दलबन्दी की धूल राजनीति की पौध पर अहंकार के शूल *राष्ट्रीय सरकार की है सचमुच दरकार स्वार्थ नदी में लोभ की नाव बिना पतवारहिचकोले कहती विवश नाव दूर है कूल लोकतंत्र की हिलाते हाय! पहरुए चूल *गोली खा, सिर कटाकर तोड़े थे कानून क्या सोचा था लोक का तंत्र करेगा खून?जनप्रतिनिधि करते रहे

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पुस्तक समीक्षा: चीखती टिटहरी हाँफता अलाव, नवगीत संग्रह -डॉ. रामसनेहीलाल शर्मा 'यायावर

10 अगस्त 2015
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कृति-चर्चा:चीखती टिटहरी हाँफता अलाव : नवगीत का अनूठा रचावसंजीव*[कृति-विवरण: चीखती टिटहरी हाँफता अलाव, नवगीत संग्रह, डॉ. रामसनेहीलाल शर्मा 'यायावर', आकार डिमाई, आवरण बहुरंगी सजिल्द जैकेट सहित, पृष्ठ १३१, १८०/-, वर्ष २०११, अयन प्रकाशन महरौली नई दिल्ली, नवगीतकार संपर्क: ८६ तिलक नगर, बाई पास मार्ग फीरोज

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