shabd-logo

आइए, देश के साथ चलें !

14 अगस्त 2015

471 बार देखा गया 471
भारत की जनता ने देश को एक ऐसा प्रधानमंत्री चुन कर दिया जो स्वयं हिंदीतर भाषी है परन्तु अपने मन, विचार और कर्म से न सिर्फ अपने देश में बल्कि विदेश में भी बड़े ही आग्रह के साथ हिंदी का प्रयोग करते हुए विकास की लहर को और भी आगे बढाता चला जा रहा है| यह भारत का सौभाग्य है कि इस समय भारत का नेतृत्व एक ऐसे व्यक्ति के पास है जो भारतीय संस्कृति की सच्ची संवाहिनी “हिन्दी भाषा” को अपना कर देश को शीर्ष पर पंहुचाने के लिए तत्पर है| इस कार्य में अनायास ही हिंदी के लिए अनुकूल वातावरण बनता जा रहा है| प्रधानमंत्री के हाल ही के अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र संघ दौरे के दौरान हमें ऐसी कई घटनाएँ देखने को मिली जो हिन्दीप्रेमियों के लिए प्रसन्नता की द्योतक हैं| देश में उत्पन्न इस परिस्थिति और अवसर का लाभ हम सभी हिंदी प्रचारकों व हिंदी प्रेमियों को उठाना चाहिए और हिंदी को देश-प्रदेश में ही नहीं बल्कि विश्व पटल पर अग्रणी और प्रिय भाषा बनाने का प्रयास पूरे जोर-शोर से करना चाहिए परन्तु साथ ही यह भी ध्यान रखना अति आवश्यक होगा कि हमारे प्रयासों में भावातिरेक न हो बल्कि हिन्दी प्रचार के समय संवेदनशीलता और अपनत्व की भावना हो और हिंदी प्रचार को परभाषा निंदा न बनने दें| यहाँ तक कि अंग्रेजी भाषा के प्रति भी कोई दुराग्रह नहीं रखा जाना चाहिए; यही कुशलता और सफलता की कसौटी है। जो लोग हिंदी की वर्चस्ववादी विचारधारा रखते हैं, उनके प्रयास कितने ही अच्छे होते हुए भी हिंदी प्रचार-प्रसार में विपरीत प्रभाव डाल सकते हैं| कहते हैं न कि अति उत्साह भी काम बिगाड़ देता है| आज पूरे देश में परिवर्तन की हवा चल रही है, हिंदी को इस हवा का पूरा-पूरा लाभ उठाना है| हिंदी के लिए सभी में, यहाँ तक कि हिंदीभाषियों में भी अंतःप्रेरणा जगानी होगी ताकि हिंदीतरभाषी और अंग्रेजी-अभ्यस्त लोगों से विरोध को टाला जा सके| हम जो लोग न्यूक्लियर पॉवर कार्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड में कार्य कर रहे हैं, उन्हें अपने वैज्ञानिक और तकनीकी काम-काज में और आम जनता तक नाभिकीय प्रौद्योगिकी के लाभ पंहुचाने के लिए भी हिंदी को अधिक से अधिक आगे बढ़ाना है| तो आइए, इसी धारा में देश के साथ कदम से कदम मिलाकर हिंदी को आगे ले जाने में हम भी एक उपकरण बने और अपने-अपने स्तर पर जितना भी हिंदी प्रगति के लिए प्रयास कर सकते हैं, करें| जय हिंद, जय हिंदी|

महावीर शर्मा की अन्य किताबें

ओम प्रकाश शर्मा

ओम प्रकाश शर्मा

जय हिंद, जय हिंदी !

18 सितम्बर 2015

1

विश्व में भारत की पहचान

13 अगस्त 2015
0
3
2

भारत के प्रधानमंत्री ने संयुक्त राष्ट्र संघ में अपनी बात हिंदी में रख कर और भारतीय विद्या योग की महत्ता जता कर विश्व समुदाय को आश्वस्त किया कि योग आज की आवश्यकता है और अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 21 जून को हर वर्ष मानाने का निर्णय करवाया| यह विश्व में भारत की पहचान स्थापित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कद

2

रावतभाटा अणु नगरी के पास प्राकृतिक झरना - पाडाझर , यहाँ प्राकृतिक गुफा में प्राकृतिक शिवलिंग है जिस पर प्राकृतिक जल की बुँदे टपकती है|

13 अगस्त 2015
0
8
2
3

आइए, देश के साथ चलें !

14 अगस्त 2015
0
2
1

भारत की जनता ने देश को एक ऐसा प्रधानमंत्री चुन कर दिया जो स्वयं हिंदीतर भाषी है परन्तु अपने मन, विचार और कर्म से न सिर्फ अपने देश में बल्कि विदेश में भी बड़े ही आग्रह के साथ हिंदी का प्रयोग करते हुए विकास की लहर को और भी आगे बढाता चला जा रहा है| यह भारत का सौभाग्य है कि इस समय भारत का नेतृत्व एक ऐसे

4

हिंदी के प्रति अपने अवबोध को सुधारिए

14 अगस्त 2015
0
4
1

सामान्यतया हम जो भी वास्तविकता देखते हैं उसे अपने ज्ञान, विश्वास, संस्कार, प्रवृत्ति, मान्यताओं और आवश्यकता के आधार पर ढाल लेते हैं या मन में बसा लेते हैं या दिमाग में परिभाषित कर लेते हैं और उस वास्तविकता को उसी प्रकार व्याख्या कर समझते हैं| इसे हम नजरिया या दृष्टिकोण कहते हैं जिसे शुद्ध रूप से अवब

5

कृष्ण जन्म की कथा

21 अगस्त 2015
0
3
2

मेरे एक मित्र हैं, मार्क्सवादी विचारधारा के हैं| जब मैं उनके घर मिलने गया तो उनके पिताजी टीवी पर भागवत कथा सुन रहे थे| उन्होंने मेरा स्वागत किया और बिठाया| वे सेवानिवृत्त हो चुके थे| बातों ही बातों में उन्होंने बताया कि भागवत कथा में कृष्ण जन्म की कथा चल रही थी| स्वामी जी बता रहे थे कि जब संसार में

6

कार्यालय में कार्य के कारण तनाव

16 नवम्बर 2015
0
3
2

महावीर शर्मा हमारा शरीर ईश्वर प्रदत्त है और इसकी शारीरिकएवं मानसिक कार्यप्रणाली सर्वदा समस्थिति और संतुलन में रहने के लिए प्रेरित रहतीहै| यदि शरीर में कोई विजातीय और अवांछित तत्व या द्रव्य उत्पन्न हो जाते हैं या प्रवेश कर जाते हैं या गलती सेग्रहण कर लिए जाते हैं तो इसमें स्वाभाविक क्षमता होती है कि

7

बुरा वक़्त

16 नवम्बर 2015
0
5
3

8

अति सर्वत्र वर्जयेत

6 अप्रैल 2017
0
2
0

<!--[if gte mso 9]><xml> <o:OfficeDocumentSettings> <o:TargetScreenSize>800x600</o:TargetScreenSize> </o:OfficeDocumentSettings></xml><![endif]--><!--[if gte mso 9]><xml> <w:WordDocument> <w:View>Normal</w:View> <w:Zoom>0</w:Zoom> <w:TrackMoves/> <w:TrackFormatting/> <w:PunctuationKerning/> <

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए