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एक मुक्तक, मुक्तता के पर्व के नाम...

15 अगस्त 2015

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कौन कहता है आज का दिन ड्राय भीगा है तिरंगा लहू शहीद है बहाय मेरी रूह मेरी जिंद जय हिंद!!! जय ६९वाँ स्वतंत्रता पर्व, ६८ की हुई आज़ादी

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रीतेश खरे

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धन्यवाद शब्दनगरी :)

12 सितम्बर 2015

शब्दनगरी संगठन

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इस मुक्तक दिवस को समर्पित सुंदर पंक्तियाँ

17 अगस्त 2015

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हिंदी: सिर्फ मेरी नहीं

10 अगस्त 2015
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मेरी होती सिर्फ ये भाषा तो मैं चुप ही रहताखुद में ही सीमित रहता सबसे मैं न कहतासबसे पहले जान लो मैंने खुद से ही कहा हैतौल लूँ क्या हिंदी का ह्रदय में प्रतिमान रहा हैपाया है स्वर अपना मैंने इसी वेग में बहतामेरी होती सिर्फ ये भाषा तो मैं चुप ही रहतातुम भी जानो जब अंतर के भाव उमड़ हैं आतेनैनों का ये नीर

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एक मुक्तक, मुक्तता के पर्व के नाम...

15 अगस्त 2015
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कौन कहता हैआज का दिन ड्रायभीगा है तिरंगालहू शहीद है बहायमेरी रूहमेरी जिंदजय हिंद!!! जय ६९वाँ स्वतंत्रता पर्व, ६८ की हुई आज़ादी

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हिंदी: सिर्फ मेरी नहीं

10 अगस्त 2015
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मेरी होती सिर्फ ये भाषा तो मैं चुप ही रहताखुद में ही सीमित रहता सबसे मैं न कहतासबसे पहले जान लो मैंने खुद से ही कहा हैतौल लूँ क्या हिंदी का ह्रदय में प्रतिमान रहा हैपाया है स्वर अपना मैंने इसी वेग में बहतामेरी होती सिर्फ ये भाषा तो मैं चुप ही रहतातुम भी जानो जब अंतर के भाव उमड़ हैं आतेनैनों का ये नीर

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हिंदी: सिर्फ मेरी नहीं

10 अगस्त 2015
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मेरी होती सिर्फ ये भाषा तो मैं चुप ही रहताखुद में ही सीमित रहता सबसे मैं न कहतासबसे पहले जान लो मैंने खुद से ही कहा हैतौल लूँ क्या हिंदी का ह्रदय में प्रतिमान रहा हैपाया है स्वर अपना मैंने इसी वेग में बहतामेरी होती सिर्फ ये भाषा तो मैं चुप ही रहतातुम भी जानो जब अंतर के भाव उमड़ हैं आतेनैनों का ये नीर

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हिंदी: सिर्फ मेरी नहीं

20 अक्टूबर 2015
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मेरी होती सिर्फ ये भाषा तो मैं चुप ही रहताखुद में ही सीमित रहता सबसे मैं न कहतासबसे पहले जान लो मैंने खुद से ही कहा हैतौल लूँ क्या हिंदी का ह्रदय में प्रतिमान रहा हैपाया है स्वर अपना मैंने इसी वेग में बहतामेरी होती सिर्फ ये भाषा तो मैं चुप ही रहतातुम भी जानो जब अंतर के भाव उमड़ हैं आतेनैनों का ये नीर

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हिंदी: सिर्फ मेरी नहीं

10 अगस्त 2015
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मेरी होती सिर्फ ये भाषा तो मैं चुप ही रहताखुद में ही सीमित रहता सबसे मैं न कहतासबसे पहले जान लो मैंने खुद से ही कहा हैतौल लूँ क्या हिंदी का ह्रदय में प्रतिमान रहा हैपाया है स्वर अपना मैंने इसी वेग में बहतामेरी होती सिर्फ ये भाषा तो मैं चुप ही रहतातुम भी जानो जब अंतर के भाव उमड़ हैं आतेनैनों का ये नीर

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हिंदी: सिर्फ मेरी नहीं

10 अगस्त 2015
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मेरी होती सिर्फ ये भाषा तो मैं चुप ही रहताखुद में ही सीमित रहता सबसे मैं न कहतासबसे पहले जान लो मैंने खुद से ही कहा हैतौल लूँ क्या हिंदी का ह्रदय में प्रतिमान रहा हैपाया है स्वर अपना मैंने इसी वेग में बहतामेरी होती सिर्फ ये भाषा तो मैं चुप ही रहतातुम भी जानो जब अंतर के भाव उमड़ हैं आतेनैनों का ये नीर

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हिंदी: सिर्फ मेरी नहीं

3 नवम्बर 2015
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मेरी होती सिर्फ ये भाषा तो मैं चुप ही रहताखुद में ही सीमित रहता सबसे मैं न कहतासबसे पहले जान लो मैंने खुद से ही कहा हैतौल लूँ क्या हिंदी का ह्रदय में प्रतिमान रहा हैपाया है स्वर अपना मैंने इसी वेग में बहतामेरी होती सिर्फ ये भाषा तो मैं चुप ही रहतातुम भी जानो जब अंतर के भाव उमड़ हैं आतेनैनों का ये नीर

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हिंदी: सिर्फ मेरी नहीं

10 अगस्त 2015
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मेरी होती सिर्फ ये भाषा तो मैं चुप ही रहताखुद में ही सीमित रहता सबसे मैं न कहतासबसे पहले जान लो मैंने खुद से ही कहा हैतौल लूँ क्या हिंदी का ह्रदय में प्रतिमान रहा हैपाया है स्वर अपना मैंने इसी वेग में बहतामेरी होती सिर्फ ये भाषा तो मैं चुप ही रहतातुम भी जानो जब अंतर के भाव उमड़ हैं आतेनैनों का ये नीर

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माँ का यक़ीन

24 मई 2016
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ख़ुश हो जाती है मेरी माँजब उसको wish करता हूँ happy mother's dayक्योंकि भागती हुई ज़िंदगी की दौड़ मेंबेमंज़िल सी किसी रेस की होड़ मेंउसके बच्चे को फ़ुर्सत कहाँ के पूछ ले कैसी हो माँकमाल की बात है कि वो बखूब समझती है येउसे शिकवा भी नहीं बिछे हुए फासलों सेभले ही उड़ गया वो दूर अपने घोंसले सेभूला तो न होगा वो

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