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कर्म का फल कैसे और किसे मिलता है ?

21 अगस्त 2015

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एक राजा ब्राह्मणों को लंगर में भोजन करा रहा था। तब पंक्ति के अंत मैं बैठे एक ब्राम्हण को भोजन परोसते समय एक चील अपने पंजे में एक मुर्दा साँप लेकर राजा के उपर से गुजरी। और उस मुर्दा साँप के मुख से कुछ बुंदे जहर की खाने में गिर गई। किसी को कुछ पत्ता नहीं चला। फल स्वरूप वह ब्राह्मणजहरीला खाना खाते हीं मर गया। अब जब राजा को सच का पता चला तो ब्रम्ह हत्या होने से उसे बहुत दुख हुआ। मित्रों ऐसे में अब ऊपर बैठे यमराज के लिए भी यह फैसला लेना मुश्किल हो गया कि इस पाप-कर्म का फल किसके खाते में जायेगा ??? राजा... जिसको पता ही नहीं था कि खाना जहरीला हो गया है.. या वह चील... जो जहरीला साँप लिए राजा के उपर से गुजरी... या वह मुर्दा साँप... जो पहले से मर चुका था... दोस्तों बहुत दिनों तक यह मामला यमराज की फाईल में अटका रहा। फिर कुछ समय बाद कुछ ब्राह्मण राजा से मिलने उस राज्य मे आए। और उन्होंने किसी महिला से महल का रास्ता पूछा... तो उस महिला ने महल का रास्ता तो बता दिया, पर रास्ता बताने के साथ-साथ ब्राम्हणों से ये भी कह दिया कि देखो भाई... "जरा ध्यान रखना, वह राजा आप जैसे ब्राह्मणों को खाने में जहर देकर मार देता है।" बस मित्रों जैसे ही उस महिला ने ये शब्द कहे उसी समय यमराज ने फैसला ले लिया कि उस ब्राह्मण की मृत्यु के पाप का फल इस महिला के खाते में जाएगा और इसे उस पाप का फल भुगतना होगा। यमराज के दूतों ने पूछा प्रभु ऐसा क्यों ? जबकि उस ब्राम्हण की हत्या में उस महिला की कोई भूमिका भी नही थी। तब यमराज ने कहा कि भाई देखो जब कोई व्यक्ति पाप करता हैं तब उसे आनंद मिलता हैं। पर उस ब्राम्हण की हत्या से न तो राजा को आनंद मिला न मरे हुए साँप को आनंद मिला और न ही उस चील को आनंद मिला... पर उस पाप-कर्म की घटना का बुराई करने के भाव से बखान कर उस महिला को जरूर आनंद मिला। इसलिये राजा के उस अनजाने पाप-कर्म का फल अब इस महिला के खाते में जायेगा। बस मित्रों इसी घटना के तहत आज तक जब भी कोई व्यक्ति जब किसी दुसरे के पाप-कर्म का बखान बुरे भाव से (बुराई) करता हैं, तब उस व्यक्ति के पापों का हिस्सा उस बुराई करने वाले के खाते में भी डाल दिया जाता हैं। दोस्तों अक्सर हम जीवन में सोचते हैं कि जीवन में ऐसा कोई पाप नही किया फिर भी जीवन में इतना कष्ट क्यों आया ? दोस्तों ये कष्ट और कहीं से नही बल्कि लोगों की बुराई करने के कारण उनके पाप-कर्मो से आया होता हैं जिनको यमराज बुराई करते ही हमारे खाते में ट्रांसफर कर देते हैं। इसलिये दोस्तों आज से ही संकल्प कर लो कि किसी के भी पाप-कर्मों का बखान बुरे भाव से नही करना, यानी किसी की भी बुराई नही करनी हैं।
गीता

गीता

बहुत अच्छी है

16 दिसम्बर 2015

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Sixth Sense

7 अगस्त 2015
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परमात्मा को किसी परिभाषा किसी जाति या किसी समय सीमा मे नही बाधा जा सकता है। बह कही खोया नही जो ढूढा जाय। उसे सिर्फ अनुभव किया जा सकता ओर अनुभव मे अनेको महानतम पुरुषो के आया है। परमात्मा को शब्द परिभाषा सिद्धांत शास्त्र मे मत खोजो यह तो मार्ग है मंजिल नही। उसे पुकारो ,प्रार्थना करो बह अन्तर

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कर्म का फल कैसे और किसे मिलता है ?

21 अगस्त 2015
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एक राजा ब्राह्मणों को लंगर में भोजन करा रहा था। तब पंक्ति के अंत मैं बैठे एक ब्राम्हण को भोजन परोसते समय एक चील अपने पंजे में एक मुर्दा साँप लेकर राजा के उपर से गुजरी। और उस मुर्दा साँप के मुख से कुछ बुंदे जहर की खाने में गिर गई। किसी को कुछ पत्ता नहीं चला। फल स्वरूप वह ब्राह्मणजहरीला खान

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रक्षा बंधन के पर्व की वैदिक विधि

25 अगस्त 2015
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रक्षा बंधन के पर्व की वैदिक विधि-वैदिक रक्षा सूत्र बनाने की विधि :इसके लिए ५ वस्तुओं की आवश्यकता होती है -(१) दूर्वा (घास)(२) अक्षत (चावल)(३) केसर(४) चन्दन(५) सरसों के दाने ।इन ५ वस्तुओं को रेशम के कपड़े में लेकर उसे बांध दें या सिलाई कर दें, फिर उसे कलावा में पिरो दें, इस प्रकार वैदिक राखी तैयार हो

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